Saturday, December 21, 2024
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‘ऑफिस में सबके सामने जाँघों पर खींच कर बैठा रहा था’ – 2018 से ही प्रेमोदय खाखा दिखा रहा था वहशी रवैया, हाईकोर्ट के आदेश को अनसुना किया AAP सरकार ने

खाखा ने महिला से कहा था, "अपना फिगर इतना मेंटेन कैसे रखती हो? क्या दूसरे का कपड़ा पहन कर आती हो कि कुछ पता नहीं चलता?" हिंदुस्तान टाइम्स का कहना है कि पीड़िता ने उसे बताया कि खाखा ने शारीरिक संबंध बनाने के लिए उस पर बार-बार दबाव बनाया।

दोस्त की नाबालिग बेटी का रेप और गर्भपात कराने के आरोपित दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के निलंबित डिप्टी डायरेक्टर प्रेमोदय खाखा के बारे में नए खुलासे हुए हैं। इस घटना से पहले साल 2018 से 2022 के बीच प्रेमोदय पर 4 महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इन सभी आरोपों में से 2 मामले फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट में पेंडिंग हैं। एक पीड़िता का आरोप है कि शिकायत के बाद उसे प्रमोदय की तरफ से धमकियाँ भी दी गईं थीं। दिल्ली सरकार पर भी उस समय पीड़िताओं के बजाय खाखा का पक्ष लेने का आरोप है।

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, खाखा के खिलाफ यौन शोषण की ये शिकायतें किंग्सवे कैम्प स्थित सेवा कुटीर में चल रही मेंटल हेल्थ यूनिट की 4 महिलाओं ने दर्ज कराई थीं। उस समय खाखा यहाँ सुपरिंटेंडेंट के पद पर तैनात थे। शिकायतकर्ता महिलाएँ यहाँ एक NGO के माध्यम से कॉनट्रैक्ट पर कार्यरत थीं। इसमें 2 पीड़िताएँ काउंसलर, 1 मनोवैज्ञानिक और 1 लीगल सेल में कार्यरत थीं। इन शिकायतों के बारे में खाखा के वकील उमाशंकर गौतम को भी कुछ नहीं पता था। नए मामले सामने आने पर उन्होंने हैरानी जताई है।

इन 4 शिकायतों में से 2 में WCD की 5 सदस्यीय आंतरिक समिति (IC) ने आरोप साबित न होना बताकर खाखा को क्लीन चिट दे दी थी। दोनों विभागीय क्लीन चिट को पीड़िताओं ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इनमें से एक मामले में WCD ने 5 फरवरी 2022 को कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। इसकी अगली सुनवाई 26 सितंबर 2023 को है। दूसरे मामले में विभाग ने 30 जून 2023 को अदालत में हलफनामा दायर किया, जिसकी अगली सुनवाई 30 नवंबर 2023 को तय की गई है।

खाखा पर आरोप लगाने वाली तीसरी पीड़िता ने भी जून 2021 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालाँकि, वहाँ से उन्हें सक्षम अधिकारी के पास जाने के निर्देश मिले थे। अभी यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि इस निर्देश के बाद पीड़िता ने WCD की आंतरिक कमेटी को सम्पर्क किया था या नहीं। चौथी शिकायत को गुमनाम बताते हुए WCD के सतर्कता विभाग ने उसमें लगे आरोपों को विचार या कार्रवाई योग्य नहीं माना था।

पहली शिकायत के मुताबिक, 1 दिसंबर 2018 से 7 अप्रैल 2019 के बीच खाखा ने पीड़िता से कई बार दुर्व्यवहार के साथ अपमानजनक टिप्पणियाँ की थीं। खाखा ने महिला से कहा था, “अपना फिगर इतना मेंटेन कैसे रखती हो? क्या दूसरे का कपड़ा पहन कर आती हो कि कुछ पता नहीं चलता?” हिंदुस्तान टाइम्स का कहना है कि पीड़िता ने उसे बताया कि खाखा ने शारीरिक संबंध बनाने के लिए उस पर बार-बार दबाव बनाया। पीड़िता ने यह भी कहा कि आरोपित ने उसे सबके आगे अपनी गोद में खींचने की कोशिश की थी।

शिकायतकर्ता महिला के मुताबिक, जब हालात बर्दाश्त से बाहर हो गए तब उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और खाखा के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत के बाद खाखा पीड़िता को धमकाने लगा। हालाँकि, पीड़िता ने न्याय मिलने तक अपनी लड़ाई जारी रखने का एलान किया है। दूसरी और तीसरी पीड़िताओं ने HT मीडिया को बताया कि रिमांड होम और सेवा कुटीर में खाखा ने आतंक मचा रखा था। दूसरी शिकायतकर्ता के मुताबिक, महिलाओं को धक्का देना और उनको पकड़ लेना खाखा के लिए आम बात थी। खाखा पर महिलाओं को खेलने वाला सामान कहने का भी आरोप है।

दूसरी पीड़िता के मुताबिक, एक बार शाम को ऑफिस में खाखा ने उसे कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ पिलाया। इससे उसे चक्कर आ गया और हालात का फायदा उठाकर खाखा ने महिला को पकड़ना और बदनियती से छूना चाहा। महिला जैसे-तैसे बचकर भाग पाई। इस घटना के बाद पीड़िता कभी खाखा के पास अकेले नहीं गई। वहीं, तीसरी शिकायतकर्ता का आरोप है कि खाखा महिला स्टाफ को फूल और चॉकलेट देकर लुभाने की कोशिश करता था। पीड़िता के मुताबिक, महिलाओं को अकेले में देखकर खाखा कहता था, “मुझसे क्या डरना। मैंने तो नसबंदी करा ली है।” HT मीडिया के मुताबिक, दिल्ली सरकार में महिला और बाल विकास मंत्री कैलाश गहलोत ने इस मामले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया है।

दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से कई पत्र, दिल्ली का WCD सोया रहा

बताते चलें कि 23 फरवरी 2019 को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा WCD विभाग को ‘चाइल्ड सर्वाइवर इंडिया’ के अध्यक्ष अनिल कुमार कालिया की शिकायत पर एक पत्र भेजा गया था। पत्र में लिखा गया है कि जवाब माँगे जाने के बावजूद विभाग ने इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस पत्र में दिल्ली हाईकोर्ट के जॉइंट रजिस्ट्रार ने दिल्ली सरकार के सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी को लिखा कि 5 जुलाई 2019 को पत्र भेजे जाने और बाद में रिमांडर भेजने के बावजूद कोई उत्तर नहीं दिया गया।

इसी तरह, 16 मई 2019 को भेजी गई एक चिट्ठी में भी प्रेमोदय खाखा के खिलाफ फिर से जाँच शुरू करने के लिए कहा गया था। ये पत्र भी दिल्ली हाईकोर्ट के ‘जुवेनाइल जस्टिस सेक्रेटेरिएट’ द्वारा भेजा गया था। साथ ही अब तक जो जाँच हुई उसकी रिपोर्ट माँगी गई थी। इससे ये पता चलता है कि बार-बार पत्र भेजे जाने के बावजूद विभाग इस मामले को लेकर गंभीर नहीं था। खाखा के खिलाफ इतनी शिकायतें आने के बावजूद मंत्री ने उसे अपना OSD बताया। आरोप है कि उसे डिप्टी डायरेक्टर बनाए जाने के लिए भी वरिष्ठों की अनदेखी की गई।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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