‘सामाजिक कार्यकर्ता’ साकेत गोखले ने दावा किया था कि दिल्ली पुलिस ने उसे ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो सालों को’ नारे के साथ प्रदर्शन की अनुमति दी थी। दिल्ली पुलिस ने साकेत के दावों को खारिज कर दिया है।
It is hereby clarified that no permission to hold a protest on 02.02.2020 has been given to Sh.Saket Gokhale. A copy of his request letter is being circulated in the social media as permission, which is not the case. @DelhiPolice
— DCP New Delhi (@DCPNewDelhi) February 1, 2020
नई दिल्ली के डीसीपी ने ट्विटर पर साकेत के दावों को झूठा और निराधार बताते हुए कहा, “यह स्पष्ट किया जाता है कि साकेत गोखले को 2 फरवरी 2020 की रैली की इजाजत नहीं दी गई है। सोशल मीडिया में एक कॉपी को सर्कुलेट किया जा रहा है जिसमें रैली को इजाजत देने की बात लिखी गई है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है।”
बता दें कि साकेत गोखले ने इसको लेकर ट्वीट किया था। इसमें 28 जनवरी को पुलिस को लिखे एक पत्र को पोस्ट करते हुए उसने लिखा, “दिल्ली पुलिस ने मुझे ‘देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को’ नारे के साथ रैली करने की अनुमति दी है। यह अनुमति आज मुझे तब दी गई जब मैं पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन गया। लगता है इस नारे को राज्य की अनुमति प्राप्त है।”
इसके बाद उसने दूसरे ट्वीट में एक और झूठ फैलाते हुए लिखा कि पुलिस ने उसे जानकारी दी है कि चुनावी आचार संहिता लगे होने के कारण इस नारे के साथ प्रदर्शन में ‘दिक्कत’ हो सकती है। गोखले ने लिखा है कि उससे अब आग्रह किया गया है कि वह अपना प्रदर्शन आठ फरवरी के बाद कर लें।
साकेत के ट्वीट में आप देख सकते हैं कि उसने जो आवेदन पोस्ट किया है, वो दिल्ली पुलिस से परमिशन लेने के लिए लिखा गया था। उसने ऐसा कोई पत्र शेयर नहीं किया है, जिसमें लिखा गया हो कि दिल्ली पुलिस ने उन्हें इस प्रदर्शन के लिए अनुमति दे दी है। उसके पत्र में पुलिस की एक मुहर लगी है, जिसका मतलब होता है कि पुलिस को वो आवेदन प्राप्त हुआ। ये एक सामान्य प्रक्रिया है। इसमें कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि पुलिस ने मंजूरी दी है। इस मुहर का ये मतलब कतई नहीं होता कि रैली की परमिशन दे दी गई है।
साकेत गोखले के इस झूठे दावे के बाद कई मीडिया हाउस ने रिपोर्ट की कि दिल्ली पुलिस ने देश के गद्दारों को गोली मारो सालों के नारे के साथ रैली करने की परमिशन दे दी है। इसमें वामपंथी प्रोपेगेंडा साइट द वायर से लेकर कॉन्ग्रेस मुखपत्र नेशनल हेराल्ड और फाइनेंशियल पोर्टल मनीकंट्रोल तक शामिल है। यह जानने के बाद भी कि साकेत के दावे का कोई सबूत नहीं है, द वायर ने खबर चलाई कि दिल्ली पुलिस ने अनुमति दी थी, लेकिन फिर बाद में पीछे हट गई।