NIA ने RSS नेता रुद्रेश की हत्या के मामले में 2 मार्च, 2024 को एक बड़ी सफलता मिली। ये हत्याकांड 2016 में हुआ था। PFI के प्रतिबंधित आतंकी मोहम्मद गौस नियाज़ी को दक्षिण अफ्रीका से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उसका प्रत्यर्पण किया गया। उसने बेंगलुरु में इस हत्याकांड को अंजाम दिया था। उस पर 5 लाख रुपए का इनाम रखा गया था। 35 वर्षीय रुद्रेश का हत्यारा मोहम्मद गौस नियाज़ी PFI का बड़ा चेहरा था। हत्या के बाद वो भारत से बाहर अपने ठिकाने बदल रहा था।
गुजरात ATS को उसके दक्षिण अफ्रीका में होने का पता चला, जिसके बाद NIA को सूचित किया गया। दक्षिण अफ़्रीकी पुलिस ने सहयोग किया और उसे धर-दबोचने में कामयाबी मिली। रुद्रेश को बेंगलुरु के शिवाजी नगर में मार डाला गया था। वो RSS के एक कार्यक्रम से लौट रहे थे। आतंकी घात लगा कर छिपे हुए थे। अब 2016 के इस हत्याकांड और 2022 के प्रवीण नेट्टारू हत्याकांड में कनेक्शन मिला है। 26 जुलाई, 2022 को BJYM नेता प्रवीण नेट्टारू की हत्या हुई थी।
दक्षिण कन्नड़ के बेल्लारी में आतंकियों ने उन पर धारदार हथियार से हमला किया था। वो पॉल्ट्री का कारोबार करते थे। जनवरी 2023 में NIA ने खुलासा किया कि PFI ने ‘सर्विस टीम’ और ‘किलर स्क्वाड’ बना रखा है, ताकि वो अपने ‘दुश्मनों’ की हत्या कर सके और भारत को 2047 तक इस्लामी मुल्क बनाने का उसका सपना पूरा हो। आतंक, सांप्रदायिक घृणा और समाज में अराजकता के जरिए ये अपनी मंशा पूरी करना चाहते थे। इन टीमों को हथियार दिया गया था, प्रशिक्षण भी।
इन्हें सिखाया गया था कि कैसे हिन्दू नेताओं की रेकी करें, फिर उन्हें निशाना बनाएँ। रुद्रेश की हत्या के बाद ये टीमें बनाई गई थीं, PFI के जिलाध्यक्ष असीम शरीफ की गिरफ़्तारी भी हुई थी। PFI ने मुस्लिमों की भर्ती की, मस्जिदों-मदरसों में उन्हें हथियार देकर प्रशिक्षित किया गया। रुद्रेश की हत्या सफल होने के बाद ये साजिश उनके दिमाग में आई थी। 2019 में असीम शरीफ की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी, वो चाहता था कि रुद्रेश की हत्या में उसके ऊपर आरोप न तय किए जाएँ।
उसने दावा किया था कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चार्जेज फ्रेम करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। रिपोर्ट्स में बताया गया था कि वही इस हत्याकांड के पीछे का मास्टरमाइंड था और उसके निर्देश पर ही हत्या हुई थी। अक्टूबर 2016 में बेंगलुरु पुलिस ने रुद्रेश हत्याकांड में प्रत्यक्ष रूप से शामिल आतंकियों JC नगर के मोहम्मद मज़हर (35) और ऑस्टिन टाउन के वसीम अहमद (30) को गिरफ्तार किया था।
NIA files Chargesheet against 20 accused in Praveen Nettaru Murder Case pic.twitter.com/tCf4ctcbKN
— NIA India (@NIA_India) January 23, 2023
इन्होंने ही बाइक से आकर नाला जंक्शन के पास रुद्रेश की हत्या की थी। उनके साथ एक अन्य बाइक पर मुजीब और इरफ़ान थे, इनके साथ वो दोनों भी धराए। इन सबको असीम शरीफ निर्देश दे रहा था। ज्ञात हो कि PFI 2047 तक भारत को इस्लामी मुल्क में परिवर्तित करना चाहता था। उसका मानना था कि अंग्रेजों ने अन्यायपूर्ण तरीके से मुस्लिमों से सत्ता झपट ली। PFI के दस्तावेज का कहना था कि मुस्लिम हमेशा से अल्पसंख्यक रहे हैं और उन्हें जीत के लिए बहुसंख्यक होने की आवश्यकता नहीं है।
इस्लाम के इतिहास की बात करते हुए प्रतिबंधित संगठन का मानना था कि अगर 10% मुस्लिम भी उसका साथ दे दें तो वो ‘कायर’ बहुसंख्यकों का दमन कर के उन्हें घुटनों पर ले आएगा और इस्लाम का पुराना परचम फिर लहराएगा। उसने लिखा था कि मुस्लिमों को याद रखना चाहिए कि अल्लाह की बनाई कायनात में उन्हें दीन का काम करने के लिए भेजा गया है, उनका लक्ष्य होना चाहिए अल्लाह के कानून की स्थापना। इसी में हिन्दू नेताओं के बारे में डिटेल जुटाने के लिए कहा गया था।
‘अंतिम शो’ की बात करते हुए RSS/हिन्दू नेताओं की सूची और उनके विवरण जुटाने के लिए कहा गया था। साथ ही उनकी गतिविधियों पर नज़र रखने का निर्देश भी दिया गया था। PFI का कहना था कि हिन्दुओं का नरसंहार करने के लिए यही सही समय है। प्रतिबंधित संगठन के दस्तावेज में लिखा था कि जब उसके पास पर्याप्त मात्रा में लड़ाका और हथियार होंगे, तब भारतीय संविधान की जगह शरिया लागू कराया जाएगा। इसके रास्ते में आने वालों के नरसंहार की बात की गई थी।
इसके लिए तुर्की जैसे इस्लामी मुल्कों से मदद तक माँगी गई थी। साफ़ है, ये डेथ स्क्वाड्स हिन्दुओं की हत्या के लिए बनाए गए थे। प्रवीण नेट्टारू या रुद्रेश की PFI से कोई दुश्मनी भी नहीं थी, ऐसे में ये टार्गेटेड किलिंग था इससे इनकार नहीं किया जा सकता। दोनों हत्याओं में कनेक्शन का अर्थ है PFI की साजिश गहरी थी हिन्दुओं को निशाना बनाने की। ये सब PFI के ‘विजन 2047’ विजन डॉक्यूमेंट के हिसाब से किया गया। सिर्फ ये दोनों ही नहीं, कई हिन्दू नेता इनके निशाने पर थे।