Friday, September 20, 2024
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अहमद को रीना की चिट्ठी- तुम कैसे हो… तुम्हारी याद आती है: कक्षा 3 की क्लास में हो रही पढ़ाई, NCERT सिलेबस की शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुँचा बच्ची का पिता

एनसीईआरटी की इस किताब के 17 नंबर पेज पर 'चिट्ठी आई है' शीर्षक के अंतर्गत एक हिंदू लड़की रीना, एक मुस्लिम लड़के अहमद को पत्र लिखती है और अंत में खुद को उसकी बताती है।

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एनसीईआरटी की तीसरी कक्षा की पर्यावरण की पुस्तक पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें एक हिंदू लड़की और एक मुस्लिम लड़के के बीच संवाद को लेकर लव जिहाद का आरोप लगाया गया है। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब एक स्थानीय निवासी, डॉ. राघव पाठक, ने पुलिस को शिकायत देकर किताब पर गंभीर आपत्ति जताई।

विवाद की वजह: तीसरी कक्षा की पुस्तक में संवाद

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ. राघव पाठक ने अपनी बेटी की किताब में छपे एक पाठ पर कड़ी आपत्ति जताई है। यह आपत्ति तीसरी कक्षा की एनसीईआरटी पर्यावरण की पुस्तक के 17वें पेज पर प्रकाशित ‘चिट्ठी आई है’ नामक पाठ पर है। पाठ में रीमा नाम की हिंदू लड़की, अहमद नाम के मुस्लिम लड़के को एक चिट्ठी लिखती है, जिसमें वह उसे छुट्टियों में अगरतला आने का निमंत्रण देती है और पत्र के अंत में लिखती है, “तुम्हारी रीना।”

पाठक ने आरोप लगाया है कि यह पाठ सीधे तौर पर ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा देता है और छोटी उम्र के बच्चों के मन में धार्मिक आधार पर प्रेम संबंधों के प्रति आकर्षण पैदा कर सकता है। उनकी आपत्ति का आधार यह है कि एक हिंदू लड़की को एक मुस्लिम लड़के को पत्र लिखाते समय एक ऐसा नामांकित संबंध दिखाया गया है, जो भविष्य में सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा दे सकता है।

‘लव जिहाद’ का डर और सांस्कृतिक चिंता

डॉ. राघव पाठक ने खजुराहो के एसडीओपी (उप पुलिस अधीक्षक) सुनील शर्मा को इस मामले में एक लिखित शिकायत दी है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह किताब लव जिहाद के प्रति बच्चों के मन में आकर्षण पैदा कर सकती है। पाठक ने कहा, “मेरी बेटी तीसरी कक्षा में पढ़ती है। जब मैंने उसकी किताब में यह संवाद देखा, तो मुझे घोर आपत्ति हुई। एक हिंदू लड़की कैसे किसी मुस्लिम लड़के को पत्र लिख सकती है, और खुद को उसकी रीना बता सकती है? यह सीधे तौर पर सांस्कृतिक और धार्मिक विभाजन पैदा करने वाला है।”

उन्होंने इस पर जोर दिया कि सरकार जहाँ लव जिहाद जैसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कानून बना रही है, वहीं एनसीईआरटी की किताबें इस तरह के संवाद दिखाकर बच्चों के मन में गलत धारणाएँ पैदा कर रही हैं। उन्होंने माँग की कि किताब के इस पाठ को हटाया जाए या पात्रों के नाम बदल दिए जाएँ ताकि बच्चों के मन में धर्म-परिवर्तन जैसे विचार न पनपे।

पुलिस की प्रतिक्रिया और जाँच

एसडीओपी सुनील शर्मा ने बताया कि उन्हें डॉ. राघव पाठक की शिकायत प्राप्त हुई है, जिसमें उन्होंने एनसीईआरटी की किताब पर लव जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। यह मामला पाठ्य पुस्तक से संबंधित होने के कारण इसे उच्चाधिकारियों को भेजा गया है, ताकि उनकी सलाह पर उचित कार्रवाई की जा सके।

शर्मा ने आगे कहा कि चूँकि यह मामला राज्य स्तर पर प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों से जुड़ा है, इसलिए इसे राज्य सरकार को भी सूचित किया जाना चाहिए। पाठक को सलाह दी गई है कि वे राज्य सरकार को भी इस विषय पर लिखें, ताकि इस मामले में उचित जाँच और समाधान हो सके। फिलहाल, पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा गया है।

पाठ्य पुस्तक में सुधार की माँग

डॉ. पाठक ने यह भी कहा कि वह एक जिम्मेदार नागरिक और पिता के नाते इस मामले को आगे तक ले जाएँगे। उन्होंने माँग की है कि जिस संवाद में हिंदू लड़की रीना और मुस्लिम लड़के अहमद के बीच संवाद दिखाया गया है, उसे पूरी तरह से बदला जाए। उन्होंने कहा, “यह छोटी बात नहीं है। यह एक सोची-समझी साजिश है, जो बच्चों के कोमल मन में सांप्रदायिकता और धार्मिक परिवर्तन के बीज बो रही है।”

पाठक ने कहा कि यदि इस मामले में कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की गई, तो इस तरह की घटनाएं समाज में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकती हैं और बच्चों के मन में गलत विचार उत्पन्न कर सकती हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और लव जिहाद जैसी घटनाओं को रोकने के लिए पाठ्य पुस्तकों में परिवर्तन करना चाहिए।

इस मामले पर केवल पाठक ही नहीं, बल्कि कई हिंदूवादी संगठनों ने भी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि एनसीईआरटी जैसी संस्थाओं द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में इस प्रकार के संवाद बच्चों के मन में धार्मिक ध्रुवीकरण को जन्म दे सकते हैं।

सांस्कृतिक चिंताओं पर गंभीरता से विचार आवश्यक

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में उठाए गए इस मामले ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि शिक्षा के माध्यम से दी जा रही जानकारी को बेहद सावधानीपूर्वक तैयार किया जाना चाहिए। जबकि सरकार और पुलिस इस मामले में अपनी कार्रवाई कर रही है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस विषय पर राज्य सरकार और एनसीईआरटी क्या निर्णय लेती है। इस प्रकार के विवाद एक बार फिर इस बात पर जोर देते हैं कि शिक्षा में घालमेल करने वाली ऐसी कोई भी सामग्री नहीं होनी चाहिए जो बच्चों के कोमल मन को प्रदूषित कर सके।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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