आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद के लड्डू में पशुओं की चर्बी और मछली का तेल पाए जाने का विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। हिन्दुओं की आस्था को चोट पहुँचाने वाली यह मिलावट पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के राज में होने का आरोप लगाया गया है। लड्डू में पशु चर्बी और मछली का तेल मिलाए जाने की बात की पुष्टि लैब रिपोर्ट से भी हो गई है। इसके बाद जगन मोहन रेड्डी और उनके समय में तिरुपति मंदिर का प्रशासन करने वाले तिरुपति देवस्थानम बोर्ड से जुड़े लोग घेरे में हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इस बीच इन सभी रिपोर्टों को खारिज करते हुए अपना बचाव किया है। उन्होंने ऐसी किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया है। उन्होंने कहा, “लड्डुओं के घी के लिए टेंडर प्रक्रिया हर छह महीने में होती है, और मानदंड कई दशकों से नहीं बदले हैं। टेंडर डालने वालों को NBL प्रमाणपत्र और गुणवत्ता का प्रमाणपत्र देना होता है। TTD घी से नमूने लेकर प्रमाणित होने वालों को ही टेंडर देता है। TDP धार्मिक मामले का राजनीतिकरण कर रही है। हमने अपने शासनकाल में 18 बार कई चीजों को अस्वीकार किया था।”
जगन अब कुछ भी कहें, यह मामला थमता नहीं दिख रहा है। इससे पहले भी तिरुपति मंदिर के बारे में हुए विवादों ने हिन्दुओं को झकझोर कर रख दिया था। तब इस हिन्दू मंदिर में ईसाई परम्परा घुसाने का आरोप लगाया गया था। जब यह आरोप लगा था तब जगन मोहन रेड्डी के पिता YS राजशेखर रेड्डी राज्य के मुखिया थे।
यह विवाद 2007 में हुआ था। तब भाजपा समेत हिन्दू संगठनों ने आरोप लगाया था कि TTD ने मंदिर के एक उत्सव के लिए जिन स्तम्भ का ऑर्डर दिया है, वह ईसाइयों के लिए पवित्र क्रॉस जैसे दिखते हैं। 2007 में होने वाले वार्षिक ब्रम्होत्सव के लिए TTD ने 250 स्तम्भ बनाने का ऑर्डर दिया था।
यह ऑर्डर बेंगलुरु की एक कम्पनी का को दिया गया था। यह स्तम्भ महोत्सव के दौरान सौन्दर्य के काम में लगाए जाने थे। इनका निर्माण प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से होना था और इन पर नक्काशी की की जानी थी। हालाँकि, जब इन स्तम्भों का एक नमूना बन कर तिरुपति पहुँचा तो लोगों के कान खड़े हो गए।
भाजपा समेत कई हिन्दू संगठनों ने आरोप लगाया कि इनकी बनावट ईसाई क्रॉस जैसी लगती है। हिन्दुओं ने कथित तौर पर क्रॉस जैसे दिखने वाले स्तम्भ को तोड़ भी दिया था। हालाँकि, TTD में YSR की सरकार द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी इस डिजाइन का बचाव करते रहे थे।
अधिकारियों ने इस दौरान दावा किया था कि यह स्तम्भ मंदिर की डिजाइन से मिलते हुए बनाए गए हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री YSR के ईसाई होने के कारण यह विरोध और तेज हो गया था। भाजपा के स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया था कि तिरुपति के आसपास लगातार ईसाई दखल बढ़ रहा है।
YSR 2004 से 2009 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे और उनकी 2009 में एक विमान हादसे में मौत हो गई थी। उनके बेटे जगन ने इसके बाद उनकी राजनीति को आगे बढाते हुए अपनी पार्टी बनाई और 2019 में मुख्यमंत्री बने थे। उनके कायर्काल में भी तिरुपति में ईसाई को चेयरमैन बनाने का विवाद हुआ था।