अदालत ने कहा है कि वह किसी की आशाओं और आस्थाओं को नहीं तोड़ सकती क्योंकि वे सफल हों या नहीं, उनसे जनता की भावनाएँ जुड़ी होती हैं। मद्रास हाईकोर्ट ने बारिश के लिए किए जाने वाले यज्ञ के ख़िलाफ़ दायर याचिका को रद्द करते हुए ये निर्णय दिया। तमिलनाडु में HR विभाग के कमिश्नर ने एक सर्कुलर जारी करते हुए अच्छी बारिश के लिए यज्ञ करने को कहा था। ‘मक्कल सेती मैय्यम’ के संपादक और एक सामाजिक कार्यकर्ता ने इस बारे में अदालत में याचिका दाखिल की थी। अपनी याचिका में इन्होंने इस सर्कुलर को संविधान के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ बताया था। याचिका में कहा गया था कि यह हमारे देश द्वारा अनुसरण किए जाने वाली धर्मनिरपेक्षता या सेकुलरिज्म के ख़िलाफ़ है।
इस याचिका में दलील दी गई थी कि ये सर्कुलर Tamil Nadu Hindu Religious and Charitable Endowments Act, 1959 का उल्लंघन करता है। इस दौरान जस्टिस सीवी कार्तिकेयन और जस्टिस सीवी रामासामी की पीठ ने सबरीमाला मामले में जस्टिस इंदु मल्होत्रा द्वारा दिए गए जजमेंट का जिक्र किया। जस्टिस दीपक मिश्रा के उस निर्णय का भी जिक्र किया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि धार्मिक क्रियाकलापों का अनुसरण करने पर कोई पाबन्दी नहीं है। अदालत ने कहा कि यह पूछना अप्रासंगिक है कि क्या अभ्यास तर्कसंगत या तार्किक है? साथ ही मद्रास हाईकोर्ट ने साफ़ किया कि न्यायालयों द्वारा धर्म के मामलों में तर्कसंगतता की धारणा को लागू नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि यह याचिका धार्मिक आस्थाओं में विश्वास को तोड़ने के लिए दाखिल की गई है, शांति और सद्भाव बिगाड़ने का प्रयास है। अदालत ने कहा कि इसमें हस्तक्षेप करना उनका काम नहीं है, चाहे बारिश लाने के लिए वैज्ञानिक तरीका अपनाया जा रहा हो या फिर धार्मिक तरीका। पूजा या यज्ञ कर के बारिश लाना एक सफल तरीका है या यह असफल है, इस बात की जाँच करना अदालत का काम नहीं है। अदालत ने कहा कि वह हजारों-लाखों लोगों की आस्था तोड़ने का काम नहीं कर सकती। अदालत ने कहा कि सामान्यतः उसने ख़ुद को धार्मिक क्रियाकलापों और आस्थाओं में हस्तक्षेप करने से दूर ही रखा है।
Court Cannot Destroy Faith & Beliefs Of People: Madras HC Rejects Plea Against Performance Of ‘Yajnas For Rains’ [Read Order] https://t.co/ay1TB4jtiv
— Live Law (@LiveLawIndia) June 2, 2019
अदालत ने याचिका को रद्द करते हुए आगे कहा:
“कृषि भूमि के एक छोटे से टुकड़े के साथ एक किसान, बारिश की कमी के कारण किसी भी फसल को उगाने में सक्षम नहीं होगा। वह आशा और विश्वास करेगा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से उसे बचाने के लिए किसी दिन बारिश आएगी, जिस स्थिति से वह और उसका परिवार मजबूरीवश गुजर रहा है। इसके लिए वह भगवान से प्रार्थना करेगा। वह अगर ख़ुद पूजा करेगा तो हो सकता है उसके पास धन की कमी हो जाए। इसीलिए वह आसपास की मंदिरों में हो रही ऐसी पूजाओं में ख़ुद को सम्मिलित करेगा। अब अदालत ऐसे किसानों की आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकती।”
अदालत ने कहा कि वह इस बारे में कोई राय नहीं दे सकती कि बारिश के लिए यज्ञ करना वैज्ञानिक है या फिर पूरी तरह से धार्मिक है।