दिल्ली की एक अदालत ने पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों के दौरान पुलिस पर फायरिंग करने वाले शाहरुख पठान की अंतरिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। शाहरुख पठान की तस्वीर सांप्रदायिक दंगों के दौरान एक निहत्थे दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल पर बंदूक तानते हुए सोशल मीडिया पर वायरल भी हुई थी ।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा कि शाहरुख पठान के आचरण से, जिस तरह से वह घटना के बाद फरार हो गया था और बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था, सुझाव दिया कि वह फिरसे फरार हो सकता है, जिस कारण आरोपित को राहत नहीं दी जा सकती।
अदालत ने कहा कि पुलिस कांस्टेबल पर पिस्तौल तानने का अर्थ है कि आरोपित कानून को खिलवाड़ समझता है। इस घटना के संबंध में रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि उसकी प्रवृति ऐसी नहीं है कि उसे राहत दी जा सके। शाहरुख पठान ने अपनी माँ के इलाज के लिए अंतरिम जमानत देने की माँग की थी। उसने याचिका में कहा कि उसकी माँ की पीठ और रीढ़ की हड्डी में चोट लगने की वजह से उनकी सर्जरी होनी है। इसलिए उसे अपनी माँ का ख्याल रखने के लिए अंतरिम जमानत चाहिए।
इसके अलावा, शाहरुख ने अपनी याचिका में अपने पिता के घुटने की सर्जरी का भी हवाला दिया था मगर अदालत ने कहा कि उसकी माँ और पिता का ध्यान उनके परिजन रख सकते हैं।
शाहरुख पठान पर आरोप है कि उसने साम्प्रदायिक दंगों में भाग लिया था और इसकी विधिवत पहचान भी की गई थी। अदालत ने नवंबर 09, 2020 को दिए गए अपने आदेश में पठान की याचिका पर संज्ञान लेने के साथ ही इस बात पर भी गौर किया कि उसके पिता पर भी मादक पदार्थ की तस्करी के मामले में सजा दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि आरोपित शाहरुख की ओर से दी गई दलीलें राहत देने के लिए नाकाफी हैं। सीएए के विरोध में हुए दंगे में हथियार के साथ शामिल होना साधारण अपराध नहीं है।
‘दंगे की जगह से गुजर रहा था शाहरुख, किसी ने थमा दी बन्दूक’
शाहरुख पठान के वकील सुनील मेहता ने जमानत के दौरान दलील दी कि साम्प्रदायिक दंगे के दौरान उनका मुवक्किल घटनास्थल से गुजर रहा था, उसी दौरान हुई पत्थरबाजी के दौरान वह एक शेल्टर के नीचे जाकर छिपने लगा, लेकिन वहाँ उसे जगह नहीं मिली। वकील ने शाहरुख के बचाव में कहा कि जब वो जगह तलाश रहा था तभी भीड़ में से ही किसी अनजान आदमी ने उसे पिस्तौल थमा दी, जिसका इस्तेमाल शाहरुख ने अपनी सुरक्षा के लिए किया था।
गौरतलब है कि ये वही शाहरुख पठान है जिसे NDTV के प्रोपेगेंडा पत्रकार रवीश कुमार ने ‘अनुराग’ साबित करने का प्रयास किया था और इस बहाने जमकर फेक न्यूज़ भी फैलाई थी।
फरवरी 24, 2020 को दिल्ली के मौजपुर-जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास पथराव और झड़पें हुईं थीं, और आरोपित शाहरुख पठान पुलिसकर्मियों के हेड कांस्टेबल दीपक दहिया पर फायरिंग करने के बाद फरार हो गया था।