वलसाड की एक अदालत ने फेसबुक पर भगवान गणेश के बारे में अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में एक मुस्लिम युवक को 3 साल जेल की सजा सुनाई है। यह मामला पाँच साल पुराना है। इस मामले में आजाद रियाजुद्दीन अंसारी नाम के युवक ने 2018 में गणेशोत्सव के दौरान फेसबुक पर एक अभद्र पोस्ट डालकर भगवान गणेश का अपमान किया था। मामले में शिकायत दर्ज होने के बाद वलसाड में ही मामला दर्ज किया गया था। वहीं अब इस मामले में फैसला आ गया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अपराधी आजाद रियाजुद्दीन अंसारी वलसाड के शालीमार अपार्टमेंट का रहने वाला है। 34 वर्षीय आज़ाद ने 17 सितंबर, 2018 को सोशल मीडिया पर भगवान गणेश की एक अपमानजनक तस्वीर साझा की। फोटो के साथ, उसने भगवान गणेश के बारे में आपत्तिजनक और अभद्र टिप्पणी की। दरअसल, रियाजुद्दीन ने ‘गणेशजी की पूजा करता कुत्ता’ जैसे कैप्शन के साथ भगवान गणेश की मूर्ति को चाटते हुए एक कुत्ते की एडिटेड तस्वीर साझा की थी।
आज़ाद अंसारी के इस हरकत से स्थानीय हिंदू समाज और संगठनों की धार्मिक भावनाएँ आहत हुईं। जब भगवान के अपमान की घटना की जानकारी वलसाड शहर में गौरक्षकों बकुल राजगोर, हेमंत खेरनार और संगठन के अन्य कार्यकर्ताओं को हुई तो वे उसकी दुकान पर पहुँचे और विरोध दर्ज कराया।
बताया जा रहा है कि इस दौरान आक्रोशित हिंदुओं ने अपराधी आजाद रियाजुद्दीन अंसारी को जूते की माला पहनाई और जुलूस निकाला। लेकिन, ये मामला ऐसे ही नहीं सुलझ गया। बाद में आजाद अंसारी के खिलाफ भगवान गणेश का अपमान करने के आरोप में पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई गई।
पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज होने के बाद, वलसाड सिटी पुलिस ने 18 सितंबर, 2018 को आईपीसी की धारा 153 (ए), 295 (ए), 114 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत अंसारी को गिरफ्तार कर लिया।
फिर मामला वलसाड की अतिरिक्त मजिस्ट्रेट कोर्ट में गया, जहाँ जाँच के दौरान कोर्ट में अंसारी की हरकतें साबित हो गईं. बहस के अंत में अदालत ने पुलिस की शिकायत, गवाहों और सबूतों पर विचार करते हुए आरोपित को दोषी ठहराया।
गौरतलब है कि 5 साल की अदालती कार्रवाई के बाद, वलसाड की अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने अंततः अंसारी को सीआरपीसी की धारा 248 (2) और आईपीसी की धारा 153 (ए), 295 (ए) और आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत दोषी ठहराया और अंसारी को 3 साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने अंसारी पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि कोर्ट के आदेश की प्रति ऑपइंडिया के पास उपलब्ध है।