दिलेश्वर सिंह करीब 55 साल के हैं। बिहार के कैमूर जिले के देवरथ कला निवासी सिंह एक सामान्य किसान हैं। लेकिन इन दिनों अपने खेतों में नहीं हैं। दिल्ली के एम्स में बैठकर अपने बेटे के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहे हैं। उनके बेटे हैं 31 वर्षीय विभोर सिंह। सीआरपीएफ की 205 कोबरा बटालियन के असिस्टेंट कमांडेंट विभोर सिंह बिहार के औरंगाबाद जिले में 25 फरवरी 2022 को एक आईईडी ब्लास्ट की चपेट में आकर घायल हो गए थे। अब उनकी हालत तो स्थिर है, लेकिन दो साल की बच्ची के पिता विभोर की जान बचाने के लिए डॉक्टरों को दोनों पैर काटने पड़े हैं।
IED ब्लास्ट उस समय हुआ, जब विभोर अपनी टीम को लेकर माओवादी विरोधी अभियान पर निकले थे। इस दौरान हेड कांस्टेबल सुरेंद्र कुमार यादव को भी चोटें आई थी। उनका इलाज भी दिल्ली एम्स में चल रहा है। साथियों के मुताबिक ब्लास्ट की चपेट में आकर बुरी तरह से घायल होने के बाद भी विभोर टीम का नेतृत्व करते रहे और बाकी जवानों को हौसला देते रहे। घायल अवस्था में साथियों को हिम्मत देते हुए उनका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल भी हुआ था।
CRPF assistant commandant Vibhor Kumar Singh injured in IED blasts by #Maoists in Gaya – Aurangabad jungles on Friday, talks about his condition. Other #CRPF personnel were also injured in the explosions. #Bihar #Gaya #Aurangabad pic.twitter.com/R7YGaAR15b
— Dev Raj (@JournoDevRaj) February 26, 2022
ब्लास्ट में घायल हुए जवानों के तत्काल उपचार के लिए हेलीकॉप्टर की जरूरत थी। लेकिन इस मामले में दर्ज एफआईआर से पता चलता है कि ‘विषम परिस्थिति’ के कारण ऐसा संभव नहीं हो पाया। जवानों को गया में प्राथमिक इलाज के बाद दिल्ली एम्स लाया गया। ऑपइंडिया को रिटायर्ड ADG (BSF) संजीव कृष्ण सूद ने बताया कि जहाँ ब्लास्ट हुआ वह काफी रिमोट इलाका था। ऐसे इलाके में इस तरह की स्थिति से निपटने की तैयारी कैसी हो, इस पर गौर करने की जरूरत है, क्योंकि यदि घाव विभोर के पैरों के बजाय किसी और अंग में हुआ होता तो इतनी देरी के बाद शायद ही उनकी जान बचाई जा सकती थी।
वहीं ऑपइंडिया को वीर चक्र प्राप्त कर्नल (रिटायर्ड) तेजिंदर पाल त्यागी ने बताया, “मैंने युद्ध में अपने सिपाहियों को बलिदान होते देखा है। मैं युद्ध की विभीषिका को जानता हूँ। मुझे यह जान कर बहुत तकलीफ हो रही है कि विभोर सिंह को एयरलिफ्ट करने में भी समय लगा। किसी भी अभियान की प्लानिंग में एयर सपोर्ट शुरुआत में ही दे दी जाती है। ऐसा लग रहा है कि प्लानिंग में कमी थी।” कर्नल त्यागी को 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पराक्रम दिखाने के लिए वीर चक्र मिला था। उन्होंने बताया, “सैनिकों और बलिदानियों के लिए इस सरकार के काम पिछली सरकारों के मुकाबले कई गुना ज्यादा बेहतर हैं।
कौन हैं असिस्टेंट कमांडेंट विभोर सिंह
असिस्टेंट कमांडेंट विभोर सिंह मूल रूप से बिहार के कैमूर जिले के रहने वाले हैं। परिवार में माता-पिता, पत्नी और एक बेटी है। उन्होंने बीटेक किया है। देश सेवा की लगन उन्हें मई 2017 में CRPF में खींच लाई। ऑपइंडिया को विभोर का परिवार एम्स के ट्रॉमा सेंटर परिसर में बाहर बने एक छोटे से पार्क में मिला। विभोर के साथ हुई घटना का दर्द उनके चेहरे से साफ झलक रहा था। लेकिन उनका हौसला कायम था।
विभोर सिंह के पिता दिलेश्वर सिंह ने बताया, “शाम के करीब पौने आठ बजे हमें जानकारी मिली थी कि बेटा नक्सली एरिया में ऑपेरशन के दौरान घायल हो गया है। हमें गया जाने को कहा गया। हम परिवार वालों के साथ रात लगभग 11 बजे गया पहुँचे। पहले बताया गया छोटी घटना है। लेकिन अगली सुबह हमें पता चला कि नुकसान बहुत ज्यादा हुआ है।”
वहीं विभोर की माँ ऑपइंडिया से बात करते हुए रोने लगीं। उन्होंने बताया, “मेरे बेटे ने देश के लिए अपने पैर गँवाए हैं। अब देश भी उनके लिए कुछ करे। हमारी माँग है कि सरकार उनको सम्मानित करे। विभोर अपने खेत-खलिहान का झगड़ा करने नहीं गया था। सरकार से विनती है कि मेरे बेटे को सम्मानित करे।”
विभोर की माँ की तरह ही उनकी पत्नी भी ऑपइंडिया से बात करते हुए फूट-फूटकर रोने लगीं। खुद को सँभालने के बाद उन्होंने बताया, “घटना के दिन ही उन्हें (विभोर सिंह) चोट लगने की जानकारी दी गई थी। मैंने बात करनी चाही तो इलाज की बात कहकर मुझे रोक दिया। फिर बताया गया कि उन्हें इलाज के लिए हेलीकॉप्टर से राँची और पटना ले जाया जाएगा। फिर हेलीकॉप्टर सुबह उड़ने को बताया गया। उनका इलाज शुरू होने में लगभग 23 घंटे लग गए। अगर उन्हें समय से दिल्ली लाया गया होता तो हो सकता है कि उनका पैर बच जाता।” हालाँकि एम्स में मिल रहे इलाज पर उन्होंने संतुष्टि जताई है। साथ ही बताया कि CRPF के IG और ADG भी विभोर का हाल जानने एम्स आए थे।