Sunday, November 17, 2024
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जिस राम मंदिर का नक्सलियों ने किया ध्वंस, बंद करवा दी पूजा, 21 साल बाद वहाँ CRPF ने करवाई आरती: जवानों ने साफ-सफाई कर ग्रामीणों को सौंपा

2003 में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के सुकमा स्थित राम मंदिर को तोड़-फोड़ कर बंद कर दिया था। ग्रामीणों को धमकी दी गई थी कि इस मंदिर में कोई पूजा नहीं करेगा। हालाँकि अब सीआरपीएफ के जवानों के कारण इस मंदिर में दोबारा से पूजा पाठ शुरू होगी, यह देख गाँव के लोग बहुत खुश हैं।

छत्तीसगढ़ के सुकमा के केरलापेंदा गाँव में नक्सल आतंक के कारण 21 सालों से बंद पड़े हिंदू मंदिर को सीआरपीएफ के जवानों ने खोलकर, उसमें साफ सफाई करके उसे ग्रामीणों को सौंप दिया। इस दौरान मंदिर में पूजा आरती भी हुई।

सामने आई वीडियो में गाँव के बच्चों के साथ मिलकर सीआरपीएफ जवान मंदिर के पट को पानी से धो रहे हैं। इसके बाद वह अंदर रखी भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी की मूर्ति के आगे आरती भी करते हैं।

इस संबंध में सीआरपीएफ की 74वीं कोर के कमांडेंट हिमांशु पांडेय ने बताया कि सुकमा के लाखापाल में बीते 14 मार्च को सीआरपीएफ ने अपना कैंप लगाया था। लाखापाल में ही केरलापेंडा गाँव आता है।

सीआरपीएफ ने देखा कि गाँव में एक मंदिर टूटी-फूटी हालत में है। गाँव वालों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ये मंदिर ऐतिहासिक है और यहाँ साल में एक बार मेला भी लगता था। इसके बाद नक्सलियों ने यहाँ पूजा-पाठ बंद करा दिया।

मंदिर के कपाट दोबारा खोले जाने पर ग्रामीणों ने अपनी खुशी जाहिर की है। बताया गया कि 2003 में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के सुकमा स्थित इस मंदिर को तोड़-फोड़ दिया था। ग्रामीणों को धमकी दी गई थी कि इस मंदिर में कोई पूजा नहीं करेगा। हालाँकि अब सीआरपीएफ के जवानों के कारण इस मंदिर में दोबारा से पूजा पाठ शुरू होगी, यह देख गाँव के लोग बहुत खुश हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1970 में राम मंदिर की स्थापना बिहारी महाराज द्वारा की गई थी। उस समय ग्रामीणों ने सिर पर सीमेंट, पत्थर, बजरी, सरिया लादा और सुकमा से लगभग 80 किलोमीटर दूर पैदल चलकर निर्माण सामग्री पहुँचाई थी। मंदिर का निर्माण हुआ तो रामभक्ति में पूरा क्षेत्र रम गया। धीरे-धीरे इलाके में मांसाहार, मदिरा का सेवन भी बंद हो गया।

बताया जाता है कि आज भी गाँव के 95 प्रतिशत लोग मांसाहार, मदिरापान का सेवन नहीं करते। ग्रामीणों ने बताया कि यहाँ कभी भव्य मेला भी लगता था। साधु-संन्यासी अयोध्या से आते थे, लेकिन नक्सल प्रकोप बढ़ने व नक्सलियों द्वारा पूजा-पाठ बंद करवा देने से मेला आयोजन बंद हो गया। नक्सलियों ने मंदिर को अपवित्र कर ताला लगा दिया।

मालूम हो कि मंदिर के कपाट दोबारा खुलने की खबर सोशल मीडिया पर देखने के बाद नेटिजन्स अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं। सीआरपीएफ के जवानों को आभार व्यक्त किया जा रहा है। लोग कह रहे हैं हमारी सेना और सीआरपीएफ देश और संस्कृति दोनों की रक्षा करती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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