Monday, December 23, 2024
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दमोह के जिस गंगा जमना स्कूल ने गैर मुस्लिम छात्राओं को पहनाया ‘हिजाब’, वहाँ प्रेयर में ‘दुआ’ भी होती है: मध्य प्रदेश सरकार ने दिए जाँच के आदेश

रिपोर्ट के अनुसार इस स्कूल के प्रेयर में 'दुआ' भी शामिल है। इसके बोल इस तरह से हैं- लब पे आती है दुआ बनकर तमन्ना मेरी, जिंदगी हो शमा की सूरत खुदाया मेरी। परिजनों को दुआ के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन स्कूल के डायरेक्टर के हवाले से इसे एक सामान्य प्रक्रिया बताते हुए कहा गया है कि यह दुआ बच्चों के लिए होती है।

मध्य प्रदेश के दमोह का एक प्राइवेट स्कूल विवादों में है। इस स्कूल का नाम है- गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल। इस स्कूल के टॉपर बच्चों का एक पोस्टर वायरल हुआ है। इसमें गैर मुस्लिम छात्राओं को भी हिजाब में देखा जा सकता है। यह कथित ‘स्कार्फ’ स्कूल ड्रेस का हिस्सा बताया जा रहा है। विवाद के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने जाँच के आदेश दिए हैं। वहीं हिंदुवादी संगठन स्कूल का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की माँग कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 31 मई 2023 को भोपाल में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “दमोह के गंगा जमना स्कूल में हिंदू लड़कियों को हिजाब में दिखाने के मामले की जाँच जिला शिक्षा अधिकारी से कराई गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक को पूरे मामले की गहन जाँच के निर्देश दिए गए हैं।”

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार इस स्कूल के प्रेयर में ‘दुआ’ भी शामिल है। इसके बोल इस तरह से हैं- लब पे आती है दुआ बनकर तमन्ना मेरी, जिंदगी हो शमा की सूरत खुदाया मेरी। परिजनों को दुआ के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन स्कूल के डायरेक्टर के हवाले से इसे एक सामान्य प्रक्रिया बताते हुए कहा गया है कि यह दुआ बच्चों के लिए होती है।

रिपोर्ट में वायरल पोस्टर में दिखने वाली छात्रा रुपाली साहू के हवाले से बताया गया है कि स्कूल के ड्रेस कोड में सलवार, कुर्ता और स्कार्फ शामिल है। इसी स्कार्फ को हिजाब बताया जा रहा है। उसने कहा है कि स्कूल में अन्य जगहों की तरह ही पढ़ाई होती है। किसी खास मजहब के बारे में नहीं बताया जाता। प्रेयर में राष्ट्रगान के साथ ही दुआ भी होती है। रूपाली की माँ लीलावती साहू का भी कहना है कि स्कार्फ ड्रेस में शामिल है। लेकिन पहनना अनिवार्य नहीं है। उनके अनुसार पैरेंट्स मीटिंग में उन्हें कभी कोई मजहबी मसला नहीं दिखा।

स्कूल के डायरेक्टर इदरीश खान का कहना है कि ​हिजाब सिर से पैर तक होता है। जिसे हिजाब बताया जा रहा वह स्कार्फ है। इसे ड्रेस कोड की वजह से बच्चे पहनकर आते हैं। लेकिन यह पहनना अनिवार्य नहीं है। डायरेक्टर का यह भी कहना है कि 2010 से चल रहा यह स्कूल अल्पसंख्यक कोटे से मान्यता प्राप्त है। लेकिन वे धर्म के बच्चों को एडमिशन देते हैं।

इस मामले को लेकर 30 मई 2023 को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी ट्वीट किया था। उन्होंने कहा था, “मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक स्कूल द्वारा हिंदू और अन्य गैर मुस्लिम बच्चियों को स्कूल यूनिफॉर्म के नाम पर जबरन बुर्का व हिजाब पहनाए जाने की शिकायत प्राप्त हुई है। इसका संज्ञान लिया जा रहा है और आवश्यक कार्रवाई हेतु जिलाधिकारी दमोह व पुलिस अधीक्षक दमोह को निर्देश प्रेषित किए जा रहे हैं।”

रिपोर्टों में दमोह के जिलाधिकारी मयंक अग्रवाल के हवाले से बताया गया है कि स्कूल के पोस्टर को लेकर किए जा रहे दावों की जाँच थाना प्रभारी कोतवाली और जिला शिक्षा अधिकारी से कराई गई थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट दे दी है। राज्य के गृह मंत्री के निर्देश के बाद बाद दमोह के तहसीलदार की अध्यक्षता में भी जाँच समिति बनाई गई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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