दारुल उलूम देवबंद ने इस्लामिक मिशनरी आंदोलन तबलीगी जमात (tablighi Jamat) को ‘आतंकवाद का प्रवेश द्वार’ बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगाने के सऊदी अरब सरकार के फैसले का विरोध किया है। देवबंद के मुख्य मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने सऊदी अरब से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए कहा कि इससे मुस्लिमों के लिए गलत संदेश जाएगा।
यह पहली बार है जब देवबंद के इस्लामिक मदरसा ने सऊदी सरकार की खुलेआम निंदा की है। नोमानी ने तबलीगी जमात पर लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है। साथ ही दावा किया कि जमात दीन (विश्वास) फैलाने का काम करने का काम करता है। इसके साथ ही देवबंद ने सऊदी सरकार के फैसले को पश्चिमी देशों की साजिश करार दिया है। उसका आरोप है कि जमात को बदनाम किया जा रहा है।
वहीं इस मामले में दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मुख्यालय ने इस मामले में कहा है कि सऊदी का निर्णय प्रभावशाली पश्चिमी ताकतों के द्वारा लिया गया है, जो कि रियाद की मुस्लिम उम्मा से सदियों पुराने जुड़ाव को खत्म करना चाहता है। तब्लीगी जमात के प्रवक्ता समीरुद्दीन कासमी ने अपने सदस्यों का बचाव किया और कहा कि हमारा आतंकवाद से कोई सम्बन्ध नहीं है।
100 पहले आया अस्तित्व में
देवबंद के मोहतमिम अब्दुल कासिम नोमानी का कहना है कि दारुल उलूम के उस्ताद रहे हजरत मौलाना हसन के शिष्य मौलाना मोहम्मद इलयास ने 100 साल पहले तबलीगी जमात की स्थापना की थी।
सऊदी सरकार का फैसला
गौरतलब है कि 11 दिसंबर 2021 को सऊदी अरब ने तबलीगी जमात और दाबा को ‘आतंकवाद का द्वार’ करार देते हुए अपने यहाँ की मस्जिदों के मौलानाओं को शुक्रवार को दिए जाने वाले उपदेश के दौरान इन दोनों संगठनों के बारे में जनता को चेताने को कहा था। सऊदी के इस्लामिक मंत्रालय ने तबलीगी जमात को समाज के लिए खतरा माना है।