उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की एक अदालत ने मदरसे में नाबालिग लड़की से रेप के आरोपित मौलाना को 20 साल जेल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपित जीशान पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी ठोंका है जिसमें से 40 हजार रुपए पीड़िता को देने होंगे। इस केस की सुनवाई के दौरान पीड़िता अपने बयान से मुकर भी गई थी और उसके माता-पिता भी किसी अपराध से इंकार कर रहे थे। हालाँकि पुलिस की पैरवी और मेडिकल जाँच से मिले सबूतों को कोर्ट ने सजा के लिए पर्याप्त माना।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मामला 19 मार्च 2020 का है। यहाँ देहरादून के पटेल नगर थानाक्षेत्र में एक पिता टैक्सी चला कर अपने परिवार का गुजर-बसर करता था। घर में पत्नी के अलावा 14 साल की एक बेटी भी थी। इस परिवार के बगल में जीशान नाम का लगभग 30 साल का एक मौलाना भी रहता था। वह पड़ोस के मदरसे में दीनी तालीम देता था। वो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के पुरकाजी थानाक्षेत्र का रहने वाला है। जीशान लड़की पर बुरी नजर रखता था। घटना के दिन लड़की का पिता कहीं बाहर काम से गया था।
अपनी शिकायत में पीड़िता के पिता ने बताया कि घटना के दिन उनकी बेटी अपने आँगन में झाड़ू लगा रही थी। इस दौरान पड़ोस में रहने वाले और पहले से परिचित मौलाना जीशान ने पीड़िता से पानी माँगा। लड़की विश्वास कर के आरोपित के पास पानी ले कर गई तो जीशान ने उसे मदरसे के एक कमरे में बंद कर लिया। इस दौरान उसने नाबालिग से रेप किया। बाद में किसी को बताने पर जान से मार डालने की धमकी भी दी। डरी-सहमी लड़की ने अपने परिवार वालों को पूरी बात बताई। परिजनों ने मामले में FIR दर्ज करवाई जिसके बाद पुलिस ने 20 मार्च 2020 को जीशान को गिरफ्तार कर लिया। यह केस पॉक्सो एक्ट और IPC की धारा 376 के तहत दर्ज किया गया था।
सुनवाई के दौरान पीड़िता अपने बयान से मुकर गई थी। पीड़िता के साथ उसके माता-पिता भी केस में पीछे हटने लगे थे। हालाँकि पुलिस ने अपनी पैरवी जारी रखी। इस दौरान आरोपित मौलाना जीशान व पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट सजा का बड़ा आधार बनी। मामले की सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश पॉक्सो मीना देउपा ने जीशान को 20 साल कारावास और 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने की राशि न जमा करने पर जीशान को 2 महीने और अधिक जेल काटना होगा। इस 50 हजार रुपए के जुर्माने में 40 हजार रुपए पीड़िता को दिए जाएँगे। फ़िलहाल जीशान को जेल भेज दिया गया है। कोर्ट में पुलिस का पक्ष सरकारी वकील अल्पना थापा ने रखा था।