Friday, November 22, 2024
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चीन से पैसा लेकर भारत विरोधी प्रोपेगेंडा: न्यूजक्लिक और प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ चार्जशीट का UAPA कोर्ट ने लिया संज्ञान, 31 मई को सुनवाई

प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ एफआईआर में दिल्ली पुलिस की विशेष सेल की विस्तृत आरोपों में 'कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत के हिस्से नहीं हैं' बताया गया है। इसके अलावा, भारत सरकार की कोविड के खिलाफ लड़ाई को बदनाम करने, किसानों के आंदोलन को वित्तपोषित और चीनी दूरसंचार कंपनियों का बचाव करने का भी आरोप शामिल है।

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार (30 अप्रैल 2024) को वामपंथी समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक और उसके संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत दायर आरोप पत्र पर संज्ञान लिया। इस मामले में अब अगली सुनवाई 31 मई 2024 को होगी और आरोप पर बहस होगी।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इन दोनों पर न्यूजक्लिक और प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ चीन की ओर से पैसे लेकर चीन के पक्ष में बड़े पैमाने पर प्रोपगेंडा फैलाने का आरोप लगाया है। इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक (SPP) अखंड प्रताप सिंह ने अदालत की बताया कि रेड के दौरान दो आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था।

SPP अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि इनमें से एक आरोपित अमित चक्रबर्ती सरकारी गवाह बन चुका है। इसके साथ ही उन्होंने यह बताया कि इस मामले में आठ संरक्षित गवाह हैं। उन्होंने कहा, “आरोपी के सभी अधिकार अदालत द्वारा सुरक्षित रखे जाएँगे।” उन्होंने बताया कि अन्य व्यक्तियों (जिनके नाम FIR में हैं और जिनके नाम बाद में सामने आए) की जाँच अभी भी जारी है।

दिल्ली पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में पुरकायस्थ के खिलाफ UAPA के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी वाला आदेश अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर की अदालत में पेश किया था। दरअसल, जब UAPA के तहत कोई मामला दर्ज किया जाता है तो केंद्र या राज्य सरकार को जाँच एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूतों के आधार पर आरोपित के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देनी होती है।

पुरकायस्थ और न्यूज़क्लिक के एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था और नवंबर में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। चक्रवर्ती इस साल जनवरी में इस मामले में सरकारी गवाह बन गए थे। बता दें कि न्यूज़क्लिक, पुरकायस्थ, अमेरिकी व्यवसायी नेविल रॉय सिंघम और वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स के जेसन फ़ेचर के खिलाफ UAPA सहित धाराओं में FIR दर्ज की गई थी।

हालाँकि, आरोप पत्र केवल न्यूज़क्लिक और पुरकायस्थ के खिलाफ दायर किया गया था। दरअसल, दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि न्यूज़क्लिक को अमेरिका के माध्यम से चीन से अवैध धन प्राप्त हुआ था। FIR में एक्टिविस्ट गौतम नवलखा के साथ पुरकायस्थ की ‘1991 से दोस्ती’ का भी उल्लेख किया गया है, जो एल्गर परिषद-माओवादी लिंक मामले में नजरबंद हैं।

प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ एफआईआर में दिल्ली पुलिस की विशेष सेल की विस्तृत आरोपों में ‘कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत के हिस्से नहीं हैं’ बताया गया है। इसके अलावा, भारत सरकार की कोविड के खिलाफ लड़ाई को बदनाम करने, किसानों के आंदोलन को वित्तपोषित और चीनी दूरसंचार कंपनियों का बचाव करने का भी आरोप शामिल है।

उधर, इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रबीर पुरकायस्थ द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका में प्रवर्तन निदेशालय (ED) से सवाल किया है कि उसने प्रबीर के वकील को रिमांड माँगने के बारे में पहले से सूचित क्यों नहीं किया था? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपित को सूचित किए बिना सुबह 6 बजे रिमांड आदेश पारित करना ‘बहुत जल्दबाजी’ थी।

अदालत ने फर्जी कथाओं को बढ़ावा देने और विदेशी वित्त पोषित संस्थाओं की ओर से राष्ट्रीय हितों को खतरे में डालने के आरोप में UAPA के तहत अपराधों के लिए उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली एसएलपी में दोनों पक्षों को विस्तार से सुना। पुरकायस्थ को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 3 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल तिहाड़ जेल में हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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