दिल्ली की एक अदालत ने जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर की जमानत याचिका को एक बार फिर खारिज कर दी है। दिल्ली के पटियाला कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने मेडिकल आधार पर जमानत देने की उसकी दलीलें ठुकरा दी।
बता दें, इसी साल फरवरी के महीने में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने सफूरा को 10 अप्रैल को गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया था। इसके बाद, उसने पटियाला कोर्ट में स्वास्थ्य का हवाला देकर बेल की गुहार लगाई थी।
सफूरा जरगर के वकील ने उसके गर्भवती होने की बात का उल्लेख करते हुए कहा कि सफूरा पॉलीसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम से पीड़ित है। इससे गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऑन रिकॉर्ड बातों को ध्यान में रखते हुए, ये नहीं कहा जा सकता कि अभियुक्त के ख़िलाफ़ कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं है। इसके अलावा उन्होंने जेल अधिकारियों को आदेश दिया कि गर्भवती सफूरा जरगर को उपयुक्त मेडिकल सुविधाएँ दी जाएँ।
गौरतलब है कि इससे पहले भी दो बार सफूरा जरगर की याचिका को खारिज की जा चुकी है। इससे पूर्व पटियाला कोर्ट ने जरगर की बेल याचिका को खारिज करते हुए उसकी न्यायिक हिरासत की अवधि 25 जून तक बढ़ा दी थी। उससे पहले 23 अप्रैल को मेट्रोपोलिटियन मजिस्ट्रेट वसुंधरा छौंकर ने सफूरा को आरोपों को मद्देनजर राहत देने से मना कर दिया था।
बता दें कि सफूरा जरगर के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला चल रहा है। उसपर आरोप है कि उसने जाफराबाद-सीलमपुर में 50 दिनों के हंगामा की साजिश रची थी और वहाँ महिलाओं-बच्चों को बिठाने के लिए पूरा जोर लगाया था। यहाँ तक कि कॉन्ग्रेस पार्टी के फिरोज ख़ान ने भी सफूरा जरगर को रिलीज करने की माँग की है। उन्होंने दिल्ली पुलिस पर अपनी शक्ति का दुरूपयोग करने और लोगों के अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया है।