दिल्ली सरकार द्वारा संचालित जीबी पंत हॉस्पिटल ने नर्सिंग स्टाफ द्वारा ड्यूटी के दौरान मलयालम भाषा के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाला अपना आदेश रविवार (6 जून) को वापस ले लिया।
दिल्ली के सरकारी अस्पताल गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (GIPMER) ने इससे पहले जारी अपने एक आदेश में नर्सों को ड्यूटी के दौरान केवल हिंदी और अंग्रेजी में बात करने और मलयालम भाषा का प्रयोग न करने का निर्देश जारी किया था।
Delhi's Govind Ballabh Pant Institute of Post Graduate Medical Education & Research withdraws its circular directing nursing staff to communicate only in Hindi/English & disallowing use of Malayalam language. Hosp administration says circular was issued without their information. https://t.co/q0i6gMqO0o
— ANI (@ANI) June 6, 2021
अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि दिल्ली स्वास्थ्य विभाग की ओर से मेमो जारी किए जाने के बाद उनकी जानकारी के बिना सर्कुलर जारी किया गया था। अस्पताल ने पहले स्पष्ट किया था कि नर्सों को मलयालम में एक-दूसरे से बात करने की अनुमति है, लेकिन उन्हें रोगियों के साथ हिंदी में बात करनी चाहिए।
अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि दिल्ली स्वास्थ्य विभाग की ओर से मेमो जारी किए जाने के बाद उनकी जानकारी के बिना सर्कुलर जारी किया गया था। अस्पताल ने पहले स्पष्ट किया था कि नर्सों को मलयालम में एक-दूसरे से बात करने की अनुमति है, लेकिन उन्हें रोगियों के साथ हिंदी में बात करनी चाहिए।
क्या था मलयालम भाषा को लेकर जीबी पंत अस्पताल का सर्कुलर?
GIPMER ने एक शिकायत प्राप्त होने के बाद नर्सिंग स्टाफ के लिए हिंदी या अंग्रेजी को संचार की भाषा के रूप में अनिवार्य करते हुए शनिवार (5 जून) को एक सर्कुलर जारी किया था।
दिल्ली के सरकारी अस्पताल GIPMER ने अपने इस परिपत्र में नर्सिंग स्टाफ को ड्यूटी के दौरान मलयालम भाषा का इस्तेमाल नहीं करने को कहा था क्योंकि अस्पताल का कहना था कि ‘ज्यादातर रोगी मलयालम नहीं समझते हैं’ और ‘असहाय महसूस कर रहे थे।’ मलयालम केरल की प्रमुख भाषा है और ये आदेश वहाँ से आने वाले मलयाली नर्सिंग स्टाफ के लिए था।
इसके बाद अस्पताल द्वारा जारी आदेश में नर्सिंग स्टाफ को निर्देश दिया कि वे हिंदी या अंग्रेजी में ही बात करें, अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। नर्सों ने इस कदम की आलोचना की और कहा है कि वे हमेशा मरीजों से हिंदी में बात करती हैं।
भारी विरोध के बाद जीबी पंत अस्पताल ने वापस लिया सर्कुलर
दिल्ली के सरकारी अस्पताल के इस कदम पर आपत्ति जताते हुए, बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि केजरीवाल सरकार अब यूपी और बिहार के लोगों को निशाना बनाने के बाद केरल की नर्सों को निशाना बना रही है। केजरीवाल की तुलना पीएम मोदी से करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक मलयाली नर्स से कोविड वैक्सीन की पहली खुराक ली थी, जिससे एकता को बढ़ावा मिला था। वहीं इस मामले पर केरल की सत्तारूढ़ पार्टी, सीपीआई (एम) ने अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है।
अस्पताल के इस कदम को भेदभाव बताते हुए राहुल गाँधी, जयराम रमेश समेत कई कॉन्ग्रेसी नेताओं ने तीखी आलोचना की थी। केरल के वायनाड से सांसद राहुल गाँधी ने ट्वीट कर कहा, ‘मलयालम किसी भी अन्य भारतीय भाषा की तरह ही भारतीय है। भाषा का भेदभाव बंद करो!’, वहीं जयराम रमेश ने इसे विचित्र बताया। इसी तरह, कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर ने इसे ‘अस्वीकार्य, असभ्य, आक्रामक और भारतीय नागरिकों के बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन’ बताया।
वहीं इस विवाद पर जीबी पंत नर्सेज एसोसिएशन अध्यक्ष लीलाधर रामचंदानी ने दावा किया कि यह आदेश एक मरीज द्वारा दिल्ली स्वास्थ्य विभाग को अस्पताल में मलयालम भाषा के इस्तेमाल के संबंध में भेजी गई शिकायत के बाद जारी किया गया था। उन्होंने हालाँकि कहा कि ”नर्सिंग एसोसिएशन सर्कुलर में इस्तेमाल किए गए शब्दों से असहमत है।”