दिल्ली उच्च न्यायालय ने बागी भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को बड़ा झटका दिया है। गुरुवार (6 जनवरी 2022) को अदालत ने स्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने और प्रतिवादी अधिकारियों की भूमिका और कामकाज की जाँच की माँग की गई थी। मामले की सुनवाई जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की पीठ ने की।
Breaking: Delhi High Court DISMISSED Subramanian Swamy’s plea challenging disinvestment of Air India.@Swamy39 #AirIndia
— Bar & Bench (@barandbench) January 6, 2022
बता दें कि स्वामी ने एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने और अधिकारियों द्वारा इसे दी गई मँजूरी पर रोक लगाने के अनुरोध के साथ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। केंद्र सरकार ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की अर्जी का ये कहते हुए विरोध किया था कि टाटा संस पूरी तरह से भारतीय कंपनी है, जिसने एयर इंडिया को खरीदा है, लिहाजा सुब्रमण्यम स्वामी के आरोप पूरी तरह गलत है।
फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से याचिका खारिज होने की जानकारी दी और विस्तृत आदेश जल्द ही हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। सुब्रमण्यम स्वामी ने इसकी पुष्टि करते हुए ट्वीट किया कि वह अदालत द्वारा आदेश अपलोड किए जाने के बाद इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने पर विचार करेंगे।
The Delhi HC dismisses my WP on Air India. But reasoned Order is being uploaded. After reading that we shall decide on going to SC
— Subramanian Swamy (@Swamy39) January 6, 2022
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद 4 जनवरी को मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने याचिका में आरोप लगाया था कि कर्ज में डूबी राष्ट्रीय विमानन कंपनी में विनिवेश की बोली प्रक्रिया मनमानी, भ्रष्ट, दुर्भावनापूर्ण, असंवैधानिक और जनहित के खिलाफ है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि टाटा संस के पक्ष में पूरी प्रक्रिया में धाँधली की गई थी।
राज्यसभा सांसद ने एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया से संबंधित सभी कार्रवाइयों और फैसलों को रद्द करने की माँग की थी। उन्होंने इस प्रक्रिया में अधिकारियों की भूमिका और कामकाज की सीबीआई जाँच की माँग करते हुए कहा था कि विस्तृत जाँच रिपोर्ट अदालत को सौंपी जानी चाहिए।
हालाँकि, उन्होंने स्पष्ट किया था कि वह विनिवेश के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि केवल उस प्रक्रिया के खिलाफ हैं, जिसके तहत टाटा संस को विजेता बोलीदाता के रूप में चुना गया था। उन्होंने हाईकोर्ट में कहा था, ‘मैं विनिवेश के पक्ष में हूँ। मैंने हमेशा ओपन मार्केट के विचार में विश्वास किया है।”
स्वामी के अनुसार, प्रक्रिया में एक अन्य बोली लगाने वाला स्पाइसजेट बोली लगाने के लिए योग्य नहीं था, क्योंकि एयरलाइन दिवालियापन की प्रक्रिया मद्रास हाईकोर्ट में चल रही है। इसलिए टाटा एकमात्र बोली लगाने वाला था और ऐसी परिस्थिति में बोली नहीं हो सकती है।
हालाँकि, केंद्र ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि विनिवेश एक नीतिगत फैसला है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि एयर इंडिया लगातार घाटे में चल रही है और सरकार अधिक नुकसान नहीं उठा सकती है। टाटा संस ने भी याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि विजेता बोली लगाने वाला 100% भारतीय कंपनी है।
पिछले साल अक्टूबर में टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को घाटे में चल रही एयर इंडिया का अधिग्रहण करने के लिए विजेता बोलीदाता के रूप में चुना गया था। टाटा संस ने एयर इंडिया के लिए 18,000 करोड़ रुपए की विजेता बोली लगाई थी, जिसमें 15,300 करोड़ रुपए का कर्ज और 2700 करोड़ रुपए का नकद शामिल है।