दिल्ली की केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन आपूर्ति के मुद्दे पर लगातार घिरती नजर आ रही है। केजरीवाल सरकार पर जहाँ एक ओर यह आरोप लग रहा है कि उन्होंने 8 ऑक्सीजन के प्लांट स्थापित करने के लिए मिले फंड के बावजूद एक ही ऑक्सीजन प्लांट बनवाया, वहीं दिल्ली उच्च न्यायालय भी लगातार इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार से प्रश्न कर रहा है। शनिवार को न्यायालय ने यहाँ तक कह दिया कि यदि किसी अधिकारी ने ऑक्सीजन की आपूर्ति पर रुकावट डाली तो उसे फाँसी पर चढ़ा देंगे।
जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल ने दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। न्यायालय में हॉस्पिटल की ओर से वरिष्ठ वकील सचिन दत्ता ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार की अक्षमता पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के अधिकारी उस समय नदारद रहे, जब अस्पताल में मरीज ऑक्सीजन की कमी से मर रहे हैं।
दिल्ली सरकार की ओर से पक्ष रखने वाले वकील राहुल मेहरा से बहस करते हुए वरिष्ठ वकील दत्ता ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार (23 अप्रैल) को पूरा दिन दिल्ली सरकार के अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयत्न किया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
SG Mehta and Mehra break into a verbal scuffle.
— Bar & Bench (@barandbench) April 24, 2021
Whole day yesterday we called your officers, they didn’t do anything: Dutta to Mehra
न्यायालय में दिल्ली सरकार की ओर से स्वास्थ्य सचिव आशीष वर्मा पेश हुए। न्यायालय ने दिल्ली सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा कि राजधानी में ऑक्सीजन की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए कुछ कदम हैं, जो उठाए जाने चाहिए थे लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। सरकार की ओर से दलीलें पेश कर रहे एडवोकेट मेहरा से न्यायालय ने कहा कि टैंकर इत्यादि के माध्यम से ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिए कुछ प्रक्रियाएं हैं लेकिन जब तक दिल्ली सरकार कुछ नहीं करेगी, तब तक कुछ भी नहीं होगा।
ऑक्सीजन के टैंकरों पर टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने कहा कि सभी राज्य ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए टैंकरों की व्यवस्था कर रहे हैं, दिल्ली की सरकार भी करे। अरविंद केजरीवाल पर टिप्पणी करते हुए न्यायालय ने कहा कि वह खुद एक प्रशासनिक अधिकारी थे, ऐसे में उन्हें यह पता होना चाहिए कि इस पूरी प्रक्रिया में कैसे काम किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव आशीष वर्मा से कहा कि एक बार दिल्ली के लिए ऑक्सीजन अलॉट हो गई तो आपको लगा कि अब सब आपके दरवाजे पर आ जाएगा लेकिन ऐसे काम नहीं होता है। न्यायालय ने दिल्ली सरकार से प्रश्न किया कि क्या उन्होंने ऑक्सीजन संग्रहित करने के लिए टैंकरों का प्रबंध किया?
केंद्र सरकार के अधिकारी पीयूष गोयल ने न्यायालय को यह भी सूचना दी कि राउरकेला से ऑक्सीजन की आपूर्ति तैयार थी लेकिन उसे लेने के लिए कोई भी नहीं था। गोयल ने कहा कि बाकी राज्य इस मामले पर सहयोग कर रहे हैं, दिल्ली को भी करना होगा।
महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल की याचिका पर सुनवाई के दौरान भी दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन के संकट पर तल्ख टिप्पणी की। जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि संक्रमण की इस सुनामी में यदि कोई भी अधिकारी ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा डालता है तो उसे हम फाँसी पर चढ़ा देंगे। न्यायालय ने दिल्ली सरकार से कहा कि यदि स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों की गलती है तो उनकी शिकायत केंद्र से करें, जिससे उन पर कार्रवाई की जा सके।