दिल्ली हाई कोर्ट ने अखूँदजी मस्जिद पर ईद के मौके पर नमाज अदा करने की माँग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में उस स्थान पर प्रवेश की माँग की गई थी, जहाँ महरौली में अखूँदजी मस्जिद हुआ करती थी और रमजान के महीने के दौरान ‘तरावीह’ की नमाज अदा की जाती थी। इस साल 30 जनवरी को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था।
दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि मुंतजामिया कमेटी मदरसा बहरुल उलूम और कब्रिस्तान की अपील को सात मई की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध संबंधित मामले के साथ जोड़ दिया जाए। ये याचिका 7 मार्च को दायर की गई थी। जिसे अब 7 मई को सुना जाएगा। मस्जिद कमेटी ने एकल न्यायाधीश के 23 फरवरी के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें रमजान और ईद की नमाज के लिए मस्जिद स्थल में दाखिल होने की इजाजत देने वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से अपील पर एक आदेश पारित करने की गुजारिश करते हुए कहा कि तब तक रमजान के साथ-साथ ईद की अवधि भी समाप्त हो जाएगी, लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता है, खासकर जब एकल न्यायाधीश ने करीब एक महीने पहले राहत देने से इनकार कर दिया था।
इस दौरान हाई कोर्ट ने 23 फरवरी के आदेश पर भी ध्यान दिया, जिसने “साइट तक पहुँच की माँग करने वाली समान प्रार्थना” के साथ एक आवेदन खारिज कर दिया था। इससे पहले आवेदन में लोगों को ‘शब-ए-बारात’ के अवसर पर मस्जिद स्थल पर अपने परिवार के सदस्यों की कब्रों पर प्रार्थना करने की अनुमति माँगी गई थी।
गौरतलब है कि 600 साल से ज्यादा पुरानी मानी जाने वाली अखूँदजी मस्जिद और साथ ही वहाँ के बहरुल उलूम मदरसे को संजय वन में अवैध ढाँचा घोषित कर दिया गया था और इसे 30 जनवरी को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने ध्वस्त कर दिया।