शराब घोटाले को लेकर दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को राहत मिलती नहीं दिख रही है। मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार (12 अप्रैल) को अपनी दलील पूरी की। इस दौरान एजेंसी ने कहा कि मनीष सिसोदिया ही पूरे मामले के अहम साजिशकर्ता बताया हैं। उन्होंने आबकारी नीति से संबंधित फर्जी ईमेल कराए।
प्रवर्तन निदेशालय ने राउज एवेन्यू कोर्ट में विशेष जज एमके नागपाल की अदालत को बताया कि आबकारी नीति लागू कराने में पूर्व उपमुख्यमंत्री की मुख्य भूमिका रही है। उन्होंने आबकारी नीति पर जनता की सहमति दिखाने के लिए फर्जी ईमेल कराए। इस मामले पर अब अगली सुनवाई 18 अप्रैल 2023 को होगी।
आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ED ने कहा, “मनीष सिसोदिया ने ईमेल प्लांट किए थे। ये ईमेल न सिर्फ आबकारी विभाग के आधिकारिक ईमेल पर आए, बल्कि मनीष सिसोदिया के व्यक्तिगत ईमेल में भी भेजे गए। इसकी सामग्री मनीष सिसोदिया ने दी थी, जो उनके एजेंडे के अनुकूल थी।”
ED ने आगे कहा कि इन प्री-ड्राफ्ट ईमेल को भेजने के निर्देश दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जाकिर खान को दिए गए थे। ED के वकील जोहेब हुसैन ने अदालत को बताया, “ज़ाकिर खान ने तब अपने इंटर्न से ये ईमेल भेजने के लिए कहा था। एक नीति के लिए सार्वजनिक स्वीकृति दिखाने के लिए यह मनगढ़ंत ईमेल था।”
ED ने अदालत को बताया कि उत्पाद शुल्क नीति बिना किसी चर्चा के बनाई गई थी और किसी भी ज्ञात विवेक के विपरीत थी। हुसैन ने अदालत को बताया कि विशेषज्ञ समिति द्वारा सुझाया गया मॉडल यह था कि व्यक्ति आवेदन करेंगे और दो खुदरा वेंडर प्राप्त करेंगे।
वकील हुसैन ने कहा, “यह कार्टेलाइज़ेशन से बचने के लिए था। यह लॉटरी सिस्टम के जरिए होना था। हालाँकि, मनीष सिसोदिया ने सीमित इकाई मॉडल को प्राथमिकता दी।” हुसैन ने कहा कि नीति का निर्माण गोपनीयता से नहीं की जाती। गोपनीय तरीके से साजिश रची जाती है।
हुसैन ने अदालत से कहा कि मनीष सिसोदिया का यह तर्क कि ‘ये नीतिगत विचार है और अदालत को दूसरा अनुमान नहीं लगाना चाहिए’ पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि नीति निर्माण टेलीपैथिक रूप से नहीं होता है। एक नीति पारदर्शी और निष्पक्ष होती और उसे विचार-विमर्श के साथ पेश किया जाता है।
जमानत का विरोध करते हुए ED ने कहा कि मामले की जाँच के दौरान कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं, जिनकी जाँच हो रही है। इस पर बचाव पक्ष के वकील ने कहा, “ऐसा गोपनीय ढंग से नहीं किया जाना चाहिए। सीलबंद लिफाफे का धंधा रोका जाए। अगर मेरे खिलाफ किसी चीज का इस्तेमाल मुझे मेरी आजादी से वंचित करने के लिए किया जाता है तो उसे मेरे सामने भी रखा जाना चाहिए।”
इस पर प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि आरोपित की गिरफ्तारी के बाद उसके खिलाफ जाँच पूरी करने के लिए एजेंसी को 60 दिन दिए गए थे। यह अवधि अभी पूरी नहीं हुई है। ED ने कहा कि वह इसे 60 दिनों के बाद अदालत के सामने रखेगी। मनीष सिसोदिया के वकील ने अपना पक्ष रखने के लिए समय माँगा। इसके बाद सुनवाई 18 अप्रैल तय कर दी गई।
AAP सांसद संजय सिंह का ED पर आरोप
उधर, AAP सांसद संजय सिंह ने बुधवार (12 अप्रैल 2023) को ED पर जबरन अपने अनुसार बयान देने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आबकारी नीति मामले में छह गवाहों ने हाईकोर्ट जाकर ईडी की साजिश का पर्दाफाश किया।
सांसद ने कहा कि चंदन रेड्डी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि ED ने उन्हें इतना मारा-पीटा कि उनके दोनों कान के पर्दे फट गए। परिवार की धमकी देकर कहा गया कि जैसा वे कहते है, वैसा लिखो वरना तुम्हारे परिवार का वो हाल किया जाएगा कि तुम कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रहोगे। उन्होंने कहा कि चंदन को थर्ड डिग्री देकर हस्ताक्षर कराया गया।
सांसद संजय सिंह ने आगे कहा कि अरुण पिल्लई की पत्नी, बेटी और परिवार के लोगों को धमकाया गया। इसके बाद उनका बयान लिया। संजय सिंह ने दावा किया कि अरुण पिल्लई ने न्यायालय के सामने कहा कि उनसे ED ने जबरन झूठा बयान लिया है। समीर महेंद्रू को धमकाने के लिए उनकी पत्नी को बुलाकर गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उनसे झूठा बयान लिया गया।
संजय सिंह ने यह भी कहा कि भूषण बेलगावी को भी प्रताड़ित किया गया और जबरन झूठा बयान लिया। सांसद ने कहा कि बेलगावी ने भी कोर्ट के सामने कहा कि ED ने जबरदस्ती बयान लिया है। इसी तरह मनस्विनी प्रभुणे को भी धमकाकर झूठा बयान लिया गया।