दिल्ली पुलिस की एक विशेष सेल ने अदालत से वारंट लेकर आज बृहस्पतिवार (दिसंबर 24, 2020) को दिल्ली दंगों के मामले के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य महमूद प्राचा के ऑफिस की तलाशी ली।
Delhi: Police raids at lawyer Mehmood Pracha's office in the city. Police say, "A search warrant issued by the court is being executed". Raids are being conducted in connection with the Delhi riots case.
— ANI (@ANI) December 24, 2020
पत्रकार राज शेखर ने आज ट्वीट किया कि अदालत ने पहले प्राचा के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। महमूद प्राचा पर हलफनामें से छेड़छाड़ करने और दिल्ली दंगा पीड़ितों को झूठे बयान देने के लिए मजबूर करने का आरोप है।
Delhi Police special cell carried out searches on court warrant at Advocate Mehmood Pracha's office. The court had earlier ordered an FIR. Pracha is accused of allegedly forging an affidavit and tutoring riot victims to give false statements.
— Raj Shekhar Jha (@rajshekharTOI) December 24, 2020
इसके अलावा महमूद प्राचा पर एक आरोप ये भी है कि उसने एक अन्य वकील के हस्ताक्षर वाला शपथ पत्र (हलफनामा) आगे बढ़ाया था, जबकि वो वकील तीन साल पहले ही मर चुका था।
पत्रकार आदित्य मेनन के मुताबिक, पुलिस ने दावा किया है कि वो महमूद प्राचा के लॉ फर्म की आधिकारिक ईमेल आईडी के आउटकमिंग दस्तावेजों और मेटा डेटा की खोज कर रही है।
Raids at Advocate @MehmoodPracha's office being carried out by Delhi Police Special Cell. In its warrant, Police has claimed it is searching for "incriminating documents" and "meta data of outbox" of the official email id of Pracha's firm https://t.co/Rs1pAI81Os
— Aditya Menon (@AdityaMenon22) December 24, 2020
अदालत द्वारा इस मामले में दिल्ली पुलिस को आदेश दिए जाने के बाद ही पुलिस ने इस मामले में जाँच शुरू की। अदालत ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया कि एडवोकेट प्राचा के खिलाफ लगे तमाम आरोपों की जाँच के लिए स्पेशल सेल या अपराध शाखा को निर्देश जारी किए जाएँ।
सर्च वारंट के अनुसार, वकील प्राचा पर आईपीसी की धारा 182, 193, 420, 468, 471, 472, 473, 120B के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसमें धारा 471 का प्रयोग कूटरचित दस्तावेज का असली की तरह इस्तेमाल करने पर किया जाता है।
महमूद प्राचा के खिलाफ सांप्रदायिक घृणा भड़काने के लिए हुई थी FIR
इसी साल, जुलाई माह में प्राचा और शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद, दोनों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। दोनों ने ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुस्लिमों और दलितों को ‘आत्म-रक्षा के अधिकार’ और बन्दूक और लाइसेंस आवेदन करने को लेकर बयान दिए थे।
हालाँकि, FIR के बावजूद, महमूद प्रचा को लखनऊ मस्जिद के अंदर एक शिविर में देखा गया था, जहाँ वह मुस्लिम समुदाय के लोगों को प्रशिक्षण दे रहा था कि लाइसेंस के लिए किस तरह आवेदन कर आग्नेयास्त्रों को कैसे हासिल कर सकते हैं। महमूद प्राचा ने इस साल अगस्त के महीने में CAA विरोधी प्रदर्शन फिर से शुरू करने की बात भी कही थी।