आदेश के बाद अब दिल्ली पुलिस शाहीन बाग़ में पहुँच गई है। कोर्ट ने कहा है कि क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जनहित को देखते हुए पुलिस कार्रवाई करे। कोर्ट के निर्देश के बाद दिल्ली पुलिस वहाँ पहुँच गई है। बता दें कि शाहीन बाग़ में हो रहे विरोध प्रदर्शन के नाम पर लोग अंडे व बिरयानी खा रहे हैं। वहाँ पिकनिक मनाए जाने व लोहड़ी का नाच-गान करने की ख़बरें भी आईं। दिक्कत ये है कि कई रास्तों के बंद होने से लोगों को अपने दफ्तर जाने-आने में कई घंटे ज्यादा लग रहे हैं। बच्चों को भी स्कूल जाने में परेशानी हो रही है।
बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध के नाम पर पूरे इलाक़े में अराजकता का माहौल बना कर बैठे प्रदर्शनकारियों को समझाएगी कि वो वहाँ से उठ कर जाएँ और आम लोगों की परेशानी का ख्याल करें। अगर वो नहीं मानते हैं कि पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। हालाँकि, पुलिस ने कहा है कि वो बलप्रयोग नहीं करेगी और लोगों को समझा-बुझा कर वहाँ से हटाया जाएगा।
पुलिस ने इस काम के लिए स्थानीय व्यापारियों से संपर्क साधा है। साथ ही क्षेत्र के मौलवियों व प्रबुद्धजनों को भी भरोसे में लिया जा रहा है। मुस्लिम समुदाय के बुजुर्गों को भी पुलिस समझा रही है। पुलिस चाहती है कि इसका समाधान शांति से निकल जाए। हाल ही में हज़ारों लोगों ने सड़क पर उतर कर इन प्रदर्शनकारियों का विरोध किया। स्थानीय लोग इनसे तंग आ चुके हैं जबकि मीडिया इन प्रदर्शनकारियों को लगातार फुटेज दे रहा है। बूढ़ी महिलाओं से लेकर 20 दिन की बच्चियों तक को आंदोलन का चेहरा बना कर पेश किया जा रहा है।
Sources: Delhi Police has initiated efforts to clear Shaheen Bagh of protestors as per HC order. They will focus on persuasive methods rather than use force. Police in touch with local traders’ bodies, religious leaders and community elders to amicably resolve the matter
— Bharti Jain (@bhartijainTOI) January 14, 2020
कई लोगों ने सोशल मीडिया पर ये भी कहा कि शाहीन बाग़ में प्रदर्शन के नाम पर पिकनिक मना रहे लोगों को दिल्ली पुलिस ने ‘आज़ादी देने’ की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बता दें कि ये आज़ादी स्लोगन वामपंथियों के चाहता नारा है, जिसे अलग-अलग रूप में पेश किया जाता है। इसका अधिकतर इस्तेमाल हिन्दुओं के विरोध के लिए हुआ। ‘जिन्ना वाली आज़ादी’ तक के नारे लगे।
दिल्ली पुलिस नें शाहीन बाग में आजादी देने की प्रक्रिया प्रारंभ की।
— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) January 14, 2020
आशंका ये भी है कि प्रदर्शनकारी दंगे जैसे हालात पैदा कर सकते हैं। सीएए विरोधी आंदोलन के फेल होने के बाद वामपंथियों ने महिलाओं को धरने पर बिठा कर मीडिया में बने रहने की तरकीब निकाली। आशंका है कि ‘महिलाओं के दमन’ का झूठा आरोप लगा कर दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार को बदनाम करने की साज़िश रची जा सकती है। कुछ लोगों का कहना है कि ये प्रदर्शनकारी पुलिस के वहाँ पहुँचने का ही इन्तजार कर रहे थे, जिससे वो लोग अराजकता फैला कर पुलिस को बदनाम कर सकें। हालाँकि, पुलिस हाईकोर्ट के आदेश पर वहाँ गई है।