Friday, November 22, 2024
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जिस बच्ची ने बहादुरी भरी गवाही से कसाब को मौत के फंदे तक पहुँचाया, महाराष्ट्र सरकार से मुआवजे के लिए आज भी है मोहताज

देविका रोतावन 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी अजमल कसाब के खिलाफ गवाही देने वाली सबसे कम उम्र की गवाह थी। मुंबई हमलों के दौरान रोतावन महज दस साल थी और वे पुणे जाने के लिए अपने पिता और भाई के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) पहुँची थी।

मुंबई में हुए 26/11 आतंकवादी हमले (Mumbai Terror Attack) की सर्वाइवर और प्रत्यक्षदर्शी देविका रोतावन (Devika Rotawan) ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उसने महाराष्ट्र सरकार से माँग की है कि ईडब्ल्यूएस स्कीम के तहत मकान देने का जो वादा किया गया था, उसे पूरा किया जाए। रोतावन का पूरा परिवार फिलहाल भारी वित्तीय संकट से जूझ रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोतावन ने 21 अगस्त को बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से उसके परिवार को मकान दिया जाए और कुछ ऐसा प्रबंध किया जाए जिससे कि वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सके।

देविका रोतावन अब 21 साल की है। बता दें रोतावन 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी अजमल कसाब के खिलाफ गवाही देने वाली सबसे कम उम्र की गवाह थी। मुंबई हमलों के दौरान रोतावन महज दस साल थी और वे पुणे जाने के लिए अपने पिता और भाई के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) पहुँची थी।

गौरतलब है कि 26/11 की भयावह रात आतंकवादियों द्वारा चलाई गई गोली उसके पैर पर लगी थी। गोली लगने के बाद वह बेहोश हो गई और उसे सेंट जॉर्ज अस्पताल ले जाया गया। हमले के बाद देविका के दो महीने के भीतर 6 सर्जिकल ऑपरेशन हुए और उसे 6 महीने बेड पर रहना पड़ा। जिसके बाद उसने आतंकवादी अजमल कसाब के खिलाफ गवाही दी थी। वह मुंबई आतंकवादी हमले के मामले में सबसे कम उम्र की गवाह बनी थी।

अपनी याचिका में रोतावन ने कहा कि आर्थिक तंगी के चलते किराया नहीं देने की वजह से उसके परिवार को जल्द मुंबई के बांद्रा में स्थित अपने वर्तमान घर को खाली करना पड़ेगा। उसने कहा कि लॉकडाउन की वजह से उसके पिता और भाई को कहीं नौकरी नहीं मिली। जिसके चलते घर के मासिक किराए को देने में दिक्कत हुई है। रोतावन ने बांद्रा चेतना कॉलेज में स्नातक पाठ्यक्रम हयूमैनिटिज़ में दाखिला लिया है। आगे चल कर वे सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहती है।

याचिका में कहा गया कि हमले के तुरंत बाद, उसे केंद्र और राज्य सरकार के कई प्रतिनिधियों द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे के तहत आवास देने का वादा किया गया था। हालाँकि राहत माँगने के लिए कई पत्र लिखने के बावजूद, उसे किसी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं की गई।

देविका ने कहा, “लॉकडाउन के दौरान कई परेशानियाँ बढ़ गई हैं। मैं महाराष्ट्र सरकार की ओर से मदद चाहती हूँ। सरकार की ओर से मुझे कहा गया था कि मकान मिलेगा। अन्य मदद का भी वादा किया गया। लेकिन अभी तक यह पूरा नहीं हो पाया है। मुझे पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से 10 लाख की सहायता राशि मिली थी जो मेरे टीबी के इलाज में खर्च हो गया। मैं इसके लिए शुक्रगुजार हूँ लेकिन जो वादे मेरे से किए गए, वे अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं।”

देविका ने कहा कि पिछले महीने उसने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत आवासीय आवास की माँग की थी। उन्होंने आगे कहा कि सरकार द्वारा प्राप्त सभी सहायता उनके इलाज और देखभाल पर खर्च की गई और यह उनकी शिक्षा के लिए अपर्याप्त थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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