वाराणसी के ज्ञानवापी विवादित ढाँचे (Gyanvapi Controversial Structure, Varanasi) की वीडियोग्राफिक सर्वे में सामने आए शिवलिंग में कभी हीरे जड़े हुए थे। जब मुस्लिम आक्रांताओं ने आदि विश्वेश्वर मंदिर पर हमला किया, तब उन्होंने उस रत्न को उखाड़ लिया और अपने साथ ले गए। शिवलिंग के ऊपर दिखने वाला चिह्न उसी हीरे के जड़ने का निशान है।
हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने बताया, “मेरी जानकारी के मुताबिक, जो मूल शिवलिंग है, वहाँ पर हीरे रखने की जगह बनी हुई थी। शिवलिंग के ऊपर जो स्थान बना है वह हीरे रखने की जगह है। शिवलिंग के ऊपर हीरे रखने की जगह है, जहाँ से हीरे गायब हैं और यह पूरा-पूरा शिवलिंग है।” उन्होंने कहा कि फव्वारे की बात लोगों को बेवकूफ बनाने की बात है।
हरिशंकर जैन का कहना है कि औरंगजेब आकर मंदिरों का विध्वंस किया था। हालाँकि, वह आदि विश्वेश्वर का पूरा मंदिर ध्वस्त नहीं कर पाया था। उन्होंने कहा कि वे 274 पेज का दस्तावेज कोर्ट में जमा करा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि इस डॉक्युमेंट में काशी क्या है, इसका महत्व क्या है आदि जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि काशी एक धार्मिक नगरी है, जिसे भगवान शिव ने बसाया था और इसका उल्लेख पुराणों और शास्त्रों में भी है।
जैन ने बताया कि पुराने मंदिर के ऊपर ही गुंबद बना दिया गया है। गुंबद के नीचे मंदिर की शिखा है। इसके बारे में भी रिपोर्ट दी गई है। उन्होंने बताया कि इसकी तस्वीर उनके पास है।
आजतक के अनुसार, रिपोर्ट के एक पेज में कहा गया है कि तहखाने की दीवार पर पान के पत्ते के आकार की फूल की 6 आकृतियाँ बनी हुई हैं। वहीं, तहखाने में 4 खंबे पुराने तरीके के हैं, जिनकी ऊँचाई 8 फीट है। खंभों के चारों ओर नीचे लेकर ऊपर तक घंटी, कलश और फूल की आकृतियाँ बनी हैं। एक खंभे पर पुरातन हिंदी भाषा में सात लाइनें खुदी हुई हैं।