Monday, November 18, 2024
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पंजाब के किसान डायरेक्ट पेमेंट से खुश, राज्य की कॉन्ग्रेसी सरकार आढ़तियों के जरिए MSP का पैसा चाहती थी देना

“अब हमारे खाते में हमारी फसल का भुगतान हो रहा है, इससे बेहतर क्या हो सकता है? पहले आढ़तिए हमें चेक दिया करते थे... वो हमेशा कुछ न कुछ बहाना बनाता ही रहता था, ताकि भुगतान रोका जा सके।”

पंजाब के किसानों के अनाज की कीमतें सीधे उनके खातों में आनी शुरू हो गई हैं। इसके लिए हाल ही में फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने पंजाब सरकार से जमीनों का रिकॉर्ड माँगा था, ताकि किसानों के खातों में सीधे एमएसपी की रकम जमा की जा सके।

अमरिंदर सिंह सरकार ने केंद्र को जानकारी दी थी कि पंजाब के आधे किसान केवल फसलों के उत्पादक हैं, जमीनों के मालिक नहीं। इस पर केंद्र सरकार ने पंजाब को हरियाणा के मॉडल को अपनाने की सलाह दी थी, जहाँ एमएसपी की रकम जमा कराने के लिए जमीनों की जगह उत्पादकों की जानकारी का इस्तेमाल किया गया है। अब से मंडी तक लाई गई फसलों की कीमत आधार कार्ड के जरिए अदा की जाएगी।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के निदेशक रवि भगत ने कहा कि परीक्षणों के बाद बड़ी संख्या में किसानों ने अपने बैंक खातों में एमएसपी भुगतान प्राप्त करने लगे हैं।

डायरेक्ट पेमेंट सिस्टम को लेकर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) दकौंडा के महासचिव और किसान नेता जगमोहन सिंह ने नई व्यवस्था को किसानों के जीवन में एक बड़ा दिन करार दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार है, जब दूसरों पर निर्भर हुए बिना ही किसानों के हाथों में पैसा आ रहा है।

सरकार की नई व्यवस्था से लोगों के चेहरों पर खुशी के भाव हैं। राजपुरा के निकट नीलपुर गाँव के रहने वाले दलीप कुमार (39 वर्ष) डायरेक्ट पेमेंट की व्यवस्था को बेस्ट बताते हुए कहते हैं, “यह सबसे अच्छी प्रणाली है। हमारे खाते में हमारी फसल का भुगतान हो रहा है, इससे बेहतर क्या हो सकता है?”

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दलीप ने कहा कि वह बीते 15 साल के कृषि कर रहे हैं। उन्होंने मंडी के लिए 10 एकड़ में खेती की है। वह 40 एकड़ में खेती करते हैं और आने वाले दिनों में शेष गेहूँ खरीद के लिए ले जाएँगे। दलीप कहते हैं कि ऐसा पहली बार उनके साथ हो रहा है कि 1,975 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से एमएसपी उन्हें मिलेगी।

पुरानी व्यवस्था के बारे में दलीप बताते हैं, “पहले आढ़तिए हमें चेक दिया करते थे। फसल को मंडी में ले जाने के बाद सब कुछ एजेंट के हाथ में होता था। फसलों के लेनदेन में काफी समय लगता था, क्योंकि आढ़तिया हमेशा कुछ न कुछ बहाना बनाता ही रहता था। ताकि भुगतान को रोका जा सके।”

इससे पहले डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का भुगतान करने पर केंद्र और पंजाब सरकार में ठन गई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार को चेतावनी दी थी कि वह एमएसपी का पैसा सीधे किसानों के खाते में भेजे, यदि सरकार किसानों के खाते में सीधे पैसा नहीं भेजती है तो राज्य में खाद्यान्न की खरीद बंद कर दी जाएगी। बता दें कि पंजाब सरकार आढ़तियों के जरिए एमसपी का पैसा देना चाहती थी। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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