दिवाली को सिर्फ दो हफ्ते रह गए हैं। इस बीच भारत के दुकानदार बेहद स्पष्ट रूप से देख पा रहे हैं कि आम लोग चीनी झालरों और उत्पादों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। अपने कम दामों के चलते कुछ समय पहले भारतीय बाज़ार में चीनी झालर काफी लोकप्रिय हुआ करते थे और उनकी खरीद भी काफ़ी ज़्यादा थी। लेकिन इस साल ट्रेंड बदल गया है।
भारत और चीन की सेना के बीच सीमा पर हुए विवाद के बाद पूरे देश में चीन को लेकर आक्रोश की भावना जगी और इसका नतीजा यह निकला कि छोटे दुकानदारों के लिए यह वरदान जैसा साबित हुआ। साथ ही भारत में तैयार किए गए दीयों की माँग और खरीद काफी बढ़ गई है।
We’ve made lamps that used to come from China earlier, their sale is good. We’re keeping only handmade made in India products. We get orders from across the country & even from abroad. There should be marketing of our products so that more people know about us: Dilip, shopkeeper https://t.co/XTDOFFw9s1 pic.twitter.com/9ywdhqpDUf
— ANI (@ANI) October 31, 2020
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए एक दुकानदार ने बताया कि फ़िलहाल भारत में निर्मित (स्वदेशी) मिट्टी के दीयों की खरीद काफी ज़्यादा है। दुकानदार ने बताया कि पहले इस तरह के दीये चीन से भी बन कर आते थे लेकिन इस बात स्थानीय उत्पादों की माँग बहुत ज्यादा है। इसके अलावा दुकानदार ने कहा:
“आम जनता चीनी उत्पादों को सिरे से नज़रअंदाज़ और खारिज कर रही है। इस चीज़ से हमें काफी फ़ायदा होगा और हम अपनी दुकानों में भी स्वदेशी उत्पाद ही रख रहे हैं।”
इसके अलावा एक और दुकानदार ने बताया कि उसे विदेश से मोमबत्तियों और दीयों के ऑर्डर मिले हैं।
6 लाख दीयों से रोशन होगी अयोध्या, बनेगा विश्व रिकॉर्ड
अयोध्या का जिला प्रशासन दिवाली के मौके पर विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी कर रहा है। पिछले साल 4.1 लाख दीये जलाए गए थे, वहीं इस साल दिवाली के मौके पर प्रशासन 6 लाख दीये रोशन करने की तैयार कर रहा है। यह सारे दीये अयोध्या में स्थित सरयू नदी के तट पर जलाए जाएँगे।
जिला प्रशासन ने बताया है कि इस विशालकाय योजना को प्रभावी रूप से अंजाम देने के लिए विश्वविद्यालयों के कुल 8 हज़ार छात्रों को शामिल किया गया है। कुल 6 लाख दीये दिवाली से ठीक एक दिन पहले 13 नवंबर को रोशन किए जाएँगे।
आत्मनिर्भर भारत अभियान ‘वोकल फॉर लोकल’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का आह्वान किया था, जिसके तहत उन्होंने भारत के नागरिकों को ‘वोकल फॉर लोकल’ का मूलमंत्र दिया था। इसकी वजह से भारत के स्थानीय उत्पादों और सुविधाओं में काफी बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी हुई है।
भारत में सावन के बाद से ही त्यौहारों का मौसम शुरू हो जाता है, जिसमें रक्षाबंधन, नवरात्रि, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, विजयादशमी, दिवाली समेत कई अन्य त्यौहार मनाए जाते हैं। इन सभी त्यौहारों के लिए स्थानीय शिल्पकार, कलाकार और कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) स्वदेसी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं।
रक्षाबंधन में लोगों ने कहा था चीनी राखी को ‘ना’
चीन और भारत की सेना के बीच हुए विवाद के बाद से आम लोगों में चीन से जुड़ी लगभग हर चीज़ को लेकर काफी आक्रोश है। इसका ही नतीजा था कि रक्षाबंधन के दौरान लोगों ने चीन की राखियों को सिरे से नकार दिया था।
एएनआई की रिपोर्ट में इस बात का ज़िक्र था कि लोग स्थानीय उत्पादों में ज्यादा रूचि ले रहे हैं। अहमदाबाद के एक दुकानदार की बात का उल्लेख करते हुए उस रिपोर्ट में बताया गया था कि लोग चीन के बदले भारत के उत्पाद खरीदने के लिए ज्यादा रुपए खर्च करने के लिए भी तैयार हैं।