पूरे देश में इस वक्त नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इस बीच पाकिस्तानी हिंदुओं ने सभी से अपील की है कि वह उनके दर्द को समझें और इस कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन को खत्म कर दें। राजधानी के विभिन्न हिस्सों में रह रहे पाकिस्तानी हिन्दुओं ने मंगलवार को लोगों से अपील की कि वे ‘‘उनकी पीड़ा को समझें’’ और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन ना करें।
संसद में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पारित होने के बाद अपनी एक महीने की पोती का नाम ‘नागरिकता’ रखने वाली 40 वर्षीय मीरा दास ने अपना दुख-दर्द बयां करते हुए कहा, ‘‘हम अपना घर, जमीन सब पीछे छोड़ आए हैं… सब कुछ पाकिस्तान में है। अब यही हमारा घर है। अगर आप हमें स्वीकार नहीं करेंगे तो हम कहाँ जाएँगे? कृपया हमारी पीड़ा को समझें और जो कुछ हमारे घाव को भरने की कोशिश चल रही है, उसका विरोध न करें।’’
बता दें कि दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार (23 दिसंबर) को आयोजित जनसभा को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘नागरिकता’ का नाम लिया था। इस पर नागरिकता की माँ आरती ने खुशी जाहिर करते हुए कहा था, “प्रधानमंत्री ने हमारी बच्ची का नाम लिया, हमारे तो भाग्य खुल गए। इस बच्ची के रूप में हमारे घर में लक्ष्मी ने जन्म लिया है। अब हमारी नागरिकता की राह आसान हो जाएगी, साथ ही बिजली पानी की सुविधा भी मिल सकेगी।”
वहीं पाकिस्तान के हैदराबाद से 2011 में दिल्ली आईं 42 वर्षीय सोना दास (42) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘‘पाकिस्तान में हमने जो तकलीफें झेली हैं, अगर आप उससे गुजरे होते तो आप कभी प्रदर्शन नहीं करते। यह कानून हमारे लिए आशा की नई किरण है।’’
पाकिस्तान में असहनीय प्रताड़ना के चलते भारत में शरण लेने वाले लोग जब आपबीती सुनाते हैं तो उनका दर्द आँसू बनकर छलक जाता है। वे कहते हैं- वहाँ हमें पाकिस्तानी नहीं समझा गया और यहाँ हिंदू नहीं माना जा रहा है। हिंदुस्तान हमें अपने घर जैसा लगता है। यहाँ शांति है, सुकून है। केंद्र की मोदी सरकार ने हमारे लिए भगवान जैसा काम किया है।
पाकिस्तान में अपना घर, नौकरी व रिश्तेदारों को छोड़कर हिंदुस्तान आए सैकड़ों परिवारों का दर्द कम तो हुआ है, लेकिन अब भी खत्म नहीं हुआ। वे दुखी हैं कि वहाँ उन्हें पाकिस्तानी की बजाय हिंदू मानकर प्रताड़ित किया गया। अब हिंदुस्तान आए हैं तो उन्हें हिंदू की बजाय पाकिस्तानी कहा जाता है।
उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक प्रताड़ना का शिकार बन रहे अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता का विकल्प देता है। कानून में इन तीन देशों से पलायन करके 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आने वाले हिंदू, सिख, जैन, पारसी, सिख, ईसाई, बौद्ध समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।
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