महाराष्ट्र के पुणे में गुरुवार (6 जुलाई) को डीवाई पाटिल हाई स्कूल के प्रिंसिपल अलेक्जेंडर कोट्स रीड और कुछ ईसाई शिक्षकों पर छेड़छाड़, हिन्दू धर्म के अपमान और धर्मान्तरण के प्रयास का आरोप लगा था। बताया गया कि इन आरोपितों ने लड़कियों के टॉयलेट में CCTV कैमरे लगाए थे जिसकी सूचना किसी को नहीं दी गई। आरोपों के बाद इन सभी को उनके पद से हटा दिया गया है। स्थानीय हिंदू संगठनों द्वारा आरोपित प्रिंसिपल की पिटाई भी की गई थी।
इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में कॉन्वेंट स्कूल के प्रिंसिपल भागते दिखाई दे रहे हैं जिनका पीछा हिंदू संगठन के सदस्य कर रहे हैं। इस वीडियो को इस्लामी और वामपंथ समर्थक भारत में अल्पसंख्यक लोगों को असुरक्षित बता कर शेयर कर रहे हैं। इन्ही में से कुछ का कहना है कि मुस्लिमों के बाद अब हिंदूवादियों की लिस्ट में ईसाई दूसरे नंबर पर हैं।
After Muslims Next Target Christians??
— Mohammad Sher Ali (@SpeakMdAli) July 5, 2023
Alexander Reid, Principal, D Y Patil English High School, Ambi, was allegedly beaten up by Bajrang Dal goons for conducting Christian prayer 'Our Father who art in Heaven', every morning in the school
Democracy is in our DNA ! pic.twitter.com/PMAk8O9sLx
कुछ लोग भ्रामक खबरें फैला कर बता रहे हैं कि प्रिंसिपल की पिटाई स्कुल में ईसाई प्रार्थना करवाने के बाद हुई। हालाँकि ये आरोप पूरी तरह से सही नहीं हैं।
Location: Ambi, Pune, Maharashtra
— HindutvaWatch (@HindutvaWatchIn) July 6, 2023
A mob of extremists thrashed the principal of DY Patil High School, tearing his clothes, allegedly due to accusations of "imparting" Christian education in the school.
The school has confirmed the incident and denied all the allegations. pic.twitter.com/eU33TDM0iw
ऑपइंडिया ने मामले की पड़ताल की तो पता चला कि विवाद की मुख्य वजह स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं के वाशरूम में CCTV लगवाना है। इस घटना की जानकारी होने के बाद लड़कियों के माता-पिता पहले से ही नाराज थे। VHP नेता संतोष दभाड़े के मुताबिक बाद में यह भी पता चला कि स्कूल में ईसाईयत के अनुसार जीने के लिए बढ़ावा दिया जाता है। इसी क्रम में छात्रों को बाइबिल से प्रार्थनाएँ पढ़ने के लिए मजबूर किया जाना शामिल था। आरोप है कि स्कूल के अंदर हिंदू त्योहारों का अपमान भी होता था।
आषाढ़ी एकादशी को बताया ‘बेवकूफी’
VHP नेता संतोष दभाड़े ने ऑपइंडिया को आगे बताया कि स्कूल प्रशासन आषाढ़ी एकादशी और गुड़ी पड़वा जैसे हिंदू त्योहारों में छुट्टियाँ नहीं देता था। उन्होंने कहा कि कुछ छात्र एकादशी के अवसर पर पालकी (जुलूस) का आयोजन करना चाहते थे, लेकिन स्कूल प्रशासन ने इसे मूर्खतापूर्ण प्रथा बता कर इसकी अनुमति देने से इंकार कर दिया था। बकौल विहिप नेता स्कूल में 90% छात्र हिन्दू हैं लेकिन फिर भी उनसे ईसाई प्रार्थना करवाई जाती है। हालाँकि खुद को ईसाई प्रार्थनाओं से कोई दिक्कत न बताते हुए संतोष ने हिंदू संस्कृति के अपमान पर सवाल खड़ा किया।
प्रिंसिपल द्वारा महिला अभिभावक से छेड़छाड़
मिली जानकारी के मुताबिक 4 जुलाई को स्कूल के प्रिंसिपल की लोगों द्वारा हुई पिटाई की वजह एक महिला अभिभावक से की गई छेड़छाड़ थी। बताया जा रहा है कि छेड़छाड़ के दौरान आरोपित प्रिंसिपल ने पीड़िता को हेकड़ी भी दिखाई। विरोध के दौरान जमा अभिभावक स्कूल प्रशासन की तमाम दिक्क्तों को प्रधानाचार्य के आगे रख रहे थे। इस दौरान एक महिला गार्जियन ने स्कूल में होने वाली ईसाई प्रार्थना पर सवाल किया तो प्रिंसिपल ने न उनका अपमान किया बल्कि उन्हें गलत ढंग से छुआ भी। VHP नेता संतोष के मुताबिक इसी वजह से घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने प्रिंसिपल की पिटाई की।
मुस्लिम टीचर जिन्ना को चाहता था भारत का पहला PM
VHP नेता संतोष के मुताबिक उन्हें इस बात की जानकारी मिली है कि स्कूल में छात्रों को न सिर्फ हिन्दू विरोधी बातें सिखाई जाती है बल्कि अन्य धर्मों को अच्छा भी बताया जाता है। मुस्लिम टीचर समीना पटेल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने मुस्लिमों को शुद्ध और हिन्दुओं को हमलावर बताया। समीना पर यह भी आरोप है कि उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना को जवाहर लाल नेहरू से बेहतर बताया। बताया गया कि समीना ने बच्चों को सिखाते हुए कहा कि अगर जिन्ना भारत के पहले प्रधानमंत्री बने होते तो भारत और अधिक विकसित होता।
स्कूल प्रबंध को नहीं है जानकारी
ऑपइंडिया से बातचीत के दौरान विहिप सदस्यों ने कहा कि डीवाई पाटिल हाई स्कूल के तीन टीचरों को सस्पेंड कर दिया गया है। इनमें समीना पटेल भी शामिल हैं। ऑपइंडिया ने स्कूल का पक्ष जानने के लिए वहाँ के प्रशासनिक विभाग के शुबर्ट डिसुजा को फोन किया तो उन्होंने मामले की जाँच के बाद निकले निष्कर्ष पर ही कोई टिप्पणी करने की बात कही। डिसूजा ने छात्राओं के टॉयलेट में कैमरे लगाए जाने की घटना से खुद को अनजान बताया।
हिन्दू प्रार्थना को बताया बकवास
स्कूल में अपने बच्चे को पढ़ने वाले एक अभिभावक से ऑपइंडिया ने बात की। उन्होंने बताया कि स्कूल के अंदर होनी वाली तमाम हरकतों की एक शिकायत थाने में दी गई है लेकिन उस पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है और न ही FIR दर्ज की गई। महिला अभिभावक दीप्ति करमाले ने स्कूल में छात्राओं को तंग करने और उनके वॉशरूम में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आरोप लगाया। दीप्ति ने यह भी बताया कि वहाँ पढ़ने वाले छात्रों को न सिर्फ ईसाई मत का पालन करवाया जाता है बल्कि हिंदू संस्कृति और इस से जुडी परंपराओं से दूर रखा जाता है।
पहले कभी हुए एक कार्यक्रम का जिक्र करते हुए महिला अभिभावक ने कहा कि तब कुछ छात्रों ने प्रसिद्ध हिंदू प्रार्थना ‘ऐ गिरी नंदिनी’ गाया था जिसे वहाँ के टीचरों ने बकवास बता दिया था। साथ ही भविष्य में ऐसे गाने स्कूल में न बजाने या गाने की हिदायत भी दी थी। छात्रों को ईसा मसीह की प्रार्थना के लिए मजबूर करने के साथ उन्हें हिंदू त्योहारों पर छुट्टियाँ न मिलने का भी आरोप दीप्ति ने लगाया। उन्होंने स्कूल के टीचरों में हिन्दू समाज के प्रति इतनी नफरत की वजह जाननी चाही है।
एक अन्य घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि छात्रों को मिले एक प्रोजेक्ट में मंदिरों में जाने रोकने पर नोट लिखने के लिए भी दिया गया था। उन्होंने बताया कि स्कूल की मंशा छात्रों द्वारा नोट में मस्जिद, चर्चा या गुरुद्वारा जाने और मंदिर न जाने का लेख लिखने की थी। महिला का आरोप है कि उसके बाद उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा।
राष्ट्रगान का अपमान
अपने बच्चे को पढ़ाने वाले एक अभिभावक ने आरोप लगाया है कि वहाँ के प्रिंसिपल भारत के राष्ट्रगान का सम्मान नहीं करते। वह ‘जन गण मन’ के दौरान अक्सर घूमते-टहलते रहते हैं। प्रिंसिपल पर यह भी आरोप है कि वो उन छात्रों से काफी नाराज रहते थे जो स्कूल में हिंदी या मराठी भाषा में बात किया करते थे। अभिभावक इस बात से भी काफी चिंतित दिखीं कि उन वीडियो का क्या हुआ होगा जो छात्राओं के वाशरूम में लगे कैमरे में रिकॉर्ड हुई होंगी।
फिलहाल छात्रों के नाराज अभिभावकों ने पुलिस में शिकायत दी है और उन्हें मामले में FIR दर्ज होने का इंतजार है। स्कूल मैनेजमेंट इस आरोपित प्रिंसिपल की भी जाँच करवा कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा दे रहा है। ऑपइंडिया ने मामले में पुलिस से बात करने का प्रयास किया तो उनकी तरफ से कोई उत्तर नहीं दिया गया। फिलहाल मिली जानकारी के मुताबिक पूरे केस की जाँच चल रही है।
बता दें कि इस पूरे मामले पर जहाँ ऑपइंडिया ने आपको हर पक्ष के साथ ये बताया था कि कैसे इस स्कूल में हिंदू घृणा को बढ़ावा दिया जा रहा था और स्कूल में सीसीटीवी लगवाने के कारण अभिभावकों ने प्रिंसिपल को पीटा, वहीं दूसरी ओर द वायर ने इस मामले पर झूठी रिपोर्ट प्रकाशित की है। हिंदू घृणा फैलाने के लिए उन्होंने रिपोर्ट में ये दिखाया कि वॉशरूम में कोई कैमरे लगे ही नहीं थे।
इस पूरे प्रकरण पर सिद्धि सोमानी की मूल रिपोर्ट अंग्रेजी में प्रकाशित हुई है, जिसे आप यहाँ क्लिक कर पढ़ सकते हैं। वायर के झूठ की पोल खोलती रिपोर्ट को पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।