मध्य प्रदेश वन विभाग ने एक अनूठी योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत हाथियों से विशेष लगाव रखने वाले लोग इन्हें गोद ले सकेंगे। वन्य प्राणी संरक्षण के लिए यह अभियान बांधवगढ़ में पहली बार शुरू हो रहा है। अब कोई भी बांधवगढ़ के हाथियों को गोद ले सकता है। इसके लिए उनके भोजन की जिम्मेदारी लेनी होगी।
यह जरूरी नहीं कि पूरे साल के लिए हाथियों को गोद लिया जाए। महीने, तीन महीने, छ: महीने का भी खर्च उठा सकते हैं। कोई भी व्यक्ति एक दिन से लेकर एक वर्ष तक हाथियों को गोद ले सकता है। उनमें से हाथियों के खान पान, दवाई, उपकरण ट्रेनिंग के खर्चे हेतु 500 रूपए प्रति दिन से लेकर 1.50 लाख तक राशि दान कर सकते है।
बांधवगढ़ के हाथियों को गोद लेने में कई लोगों ने दिलचस्पी दिखाई है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 13 हाथियों के साथ दो हाथियों गौतम (74 वर्षीय) और तूफान (69 वर्षीय) को गोद लेने के लिए दिया जा रहा है।
वन, वन्यजीव विभाग के मुख्य सचिव आलोक कुमार के अनुसार, वन विभाग ने पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों को हाथियों के साथ फिर से जोड़ने के उद्देश्य से योजना शुरू की है जो उन्हें दर्शनीय स्थलों की यात्रा के दौरान जॉय राइड पर ले जाता है और महामारी के बीच हाथियों के रखरखाव के लिए धन का भी इंतजाम हो जाता है।
हाथी महोत्सव
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सप्ताह भर चलने वाला हाथी महोत्सव की शुरुआत इस सप्ताह सोमवार (सितंबर 28, 2020) से हुआ। हाथी महोत्सव के दौरान, रिजर्व में हाथियों को उनके नियमित काम से छुट्टी दी जाएगी। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर विंसेंट रहीम ने कहा, “हाथियों के लिए कायाकल्प शिविर सोमवार को शुरू हुआ, जिससे उन्हें अपने नियमित काम से छुट्टी मिल गई। ये हाथी हमें पूरे साल पेट्रोलिंग, ट्रैकिंग और अन्य नियमित कार्यों में मदद करते हैं। अब, हम हाथी महोत्सव के दौरान पूरे सप्ताह उनकी सेवा करेंगे।”
विंसेंट ने कहा कि छत्तीसगढ़ के 35 हाथियों की घुसपैठ से रिजर्व प्रभावित हुआ है और पर्यटक एक साल से जंगली हाथियों की उपस्थिति से चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि गोद लेने का कार्यक्रम 15 विशेष हाथियों के साथ संबंध बढ़ाएगा और लोगों की चिंता को कम करेगा।
जंगली हाथियों को सँभालने और उन्हें नुकसान पहुँचाए बिना शांत करने के लिए वन रक्षकों, गाइडों और ग्रामीणों को प्रशिक्षित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।