उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए हिंदू विरोधी दंगे के दौरान 20 वर्षीय दिलबर नेगी की हत्या मामले में दाखिल चार्जशीट से नया खुलासा हुआ है। इसमें मुस्तफाबाद में हुए दंगों का मास्टरमाइंड डॉक्टर एमए अनवर को भी बताया गया है।
पीड़ितों के इलाज का दावा करने वाला डॉक्टर अनवर, न्यू मुस्तफाबाद स्थित अल हिंद हॉस्पिटल का मालिक है। अल हिंद हॉस्पिटल फारुकिया मस्जिद और उस मिठाई दुकान से एक किलोमीटर दूर है, जहाँ दिलबर नेगी काम करता था।
आरोप-पत्र में कहा गया है कि 15 जनवरी के बाद से ही फारुकिया मस्जिद से कई वक्ताओं ने लोगों को उकसाना शुरू कर दिया था। यहाँ पर अवैध रूप से CAA और NRC का विरोध चल रहा था, जिसमें अलग-अलग तारीख में भाषण देकर लोगों को यह कहा जाता था कि NRC लागू होने के बाद उन्हें नागरिकता नहीं दी जाएगी, उन्हें डिटेंशन कैंप में डाल दिया जाएगा।
साथ ही इसमें यह भी जिक्र किया गया है कि समुदाय विशेष को केंद्र सरकार के खिलाफ उकसाया गया। 23 फरवरी को हिंसा में भाग लेने वालों और हिंसा के लिए उकसाने वालों के खिलाफ दयालपुर पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई है।
आरोप-पत्र के अनुसार फारुकिया मस्जिद में होने वाले विरोध-प्रदर्शन के आयोजक अरशद प्रधान और अल हिन्द हॉस्पिटल के मालिक डॉक्टर एमए अनवर थे। हालाँकि इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में अनवर का कहना है कि चार्जशीट में अपना नाम होने की उसे जानकारी नहीं है, क्योंकि वे काफी व्यस्त हैं। उसका दावा है कि उसे फँसाया जा रहा है।
पुलिस ने आरोप-पत्र में 12 लोगों को आरोपित बनाया है। ये सभी न्यायिक हिरासत में हैं। इनकी पहचान मोहम्मद शाहनवाज उर्फ शानू, मोहम्मद फैजल, आजाद, अशरफ अली, राशिद उर्फ मोनू, शाहरुख, मोहम्मद शोएब, परवेज, राशिद उर्फ राजा, मोहम्मद ताहिर, सलमान और सोनू सैफी के रूप में हुई है।
गौरतलब है कि दिलबर अनिल स्वीट हाउस में काम करते थे। दंगाइयों की भीड़ ने उन्हें तलवार से काटने के बाद जलते हुए घर में आग के हवाले कर दिया था।
उत्तराखंड के रहने वाले नेगी के करीबी श्याम सिंह ने ऑपइंडिया को बताया था कि 23 फरवरी की शाम कुछ दंगाई शाहदरा इलाके में शोर मचाते हुए घुसे। दंगाइयों ने नेगी को अपना पहला निशाना बनाया। उनके हाथ-पैर काट दिए। फिर पास की दुकान में लगी आग में झोंक दिया। उनके साथ बिल्डिंग में उनके दो अन्य साथी भी मौजूद थे, लेकिन वो वहाँ से भाग निकलने में कामयाब रहे।
26 फरवरी को जब दुकान मालिक अनिल पाल पुलिस के साथ अपनी दुकान का हाल जानने पहुँचे तो उन्हें मृतक नेगी का शरीर दूसरी मंजिल पर सीढ़ी के पास मिला।
ऑपइंडिया से बातचीत में दिलबर नेगी के छोटे भाई देवेंद्र ने बताया था कि दिलबर का सेना में जाने की सपना था। आखिरी बार जब फ़ौज की भर्ती आई थी तो दिलबर दौड़ में सेलेक्ट भी हो गया था, लेकिन लम्बाई कम होने के कारण उन्हें भर्ती प्रक्रिया से बाहर होना पड़ा था।