साल 2004 में उत्तर प्रदेश एसटीएफ के वाराणसी यूनिट के प्रभारी रहे पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह फिर से चर्चा में हैं। इसकी वजह यह है कि योगी सरकार ने उन पर किए गए केस वापस ले लिए हैं। सिंह पर मुलायम सरकार के जमाने पर केस हुआ था और उन्हें जेल भी भेजा गया था।
उस समय इस मामले पर काफी हंगामा हुआ था। असल में सिंह ने माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए POTA (आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002) लगाया था। इसे वापस लेने के लिए उन पर इतना दबाव डाला गया कि उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के कुछ महीने बाद ही उन पर केस दर्ज किया गया था।
ड़ी एस पी शैलेन्द्र सिंह का इंटरव्यू देखिए
— Eagle Eye (@SortedEagle) April 1, 2021
भारत मे ईमानदार लोग क्यों नौकरी नही कर पाते हैं।
इसकी जिम्मेदार यही जनता है जो मुलायम जैसे भृष्ट लोगों को सत्ता में पहुचाती है।
अंत तक देखिए आप भी इस दर्द को महसूस करेंगे। pic.twitter.com/7f5Z0S3qyP
17 साल पुरानी इस घटना को लेकर एक टीवी चैनल से बात करते हुए सिंह भावुक हो गए और बताया कि उन पर किस कदर दबाव बनाया गया था। उन्होंने कहा कि उस समय में उन्होंने अपनी जान पर खेलकर मशीनगन बरामद किया था। कोई जाने को भी तैयार नहीं था। सबको डर था कि लाइटगन है पता नहीं कितनी फायर एक बार में हो। कौन बचेगा कौन मरेगा। उसके बाद भी ऐसा कहा गया कि आप लोग केस वापस लो नहीं तो आप लोगों को जेल में डाल देंगे। ऐसी धमकियों में कोई कैसे काम करता।
अपने इस्तीफे पर बात करते हुए वह बोले कि इन्हीं धमकियों के कारण उन्होंने सर्विस से बाहर होना चुना। आम नागरिकों की तरह जीना चुना। वह बोले कि उन्होंने अपने इस्तीफे से जनता को ये दिखाया कि उनके चुने हुए नेता किस तरह से काम करते हैं। इसलिए सोचें कि दोषी कौन है।
….सिर्फ़ योगी जी और मोदी जी ने शैलेंद्र जी की ख़बर ली, परिवार को पूछा और अब न्याय की उमीद है।@narendramodi @HMOIndia @myogiadityanath pic.twitter.com/2lHiPo3IRT
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संघर्षों पर बात करते हुए शैलेंद्र ने कहा कि 17 साल हम किस परिस्थिति में थे, ये कोई नहीं पूछता है। नौकरी छोड़ने का दर्द नहीं है। लेकिन ये सोचते हैं कि हम लोग कैसी परिस्थितियों में जीते हैं। कैसे हमारी जान बची है। परिवार वाले चिंता करते हैं।
इस्तीफे के समय शैलेंद्र ने सिर्फ़ 10 साल की ड्यूटी की थी। 20-21 साल उनकी नौकरी के बचे थे। लेकिन बीच में ऐसे हालत पैदा हो गए कि उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। वह बताते हैं कि वह जब जेल गए तो योगी आदित्यनाथ ने उनके परिवार को फोन करके कहा था, ‘जब मैं आऊँगा तो न्याय करूँगा।’ आज उन्होंने वही किया। वह कहते हैं, “मेरा परिवार उनका आभारी है। आगे किसी के साथ ऐसा न हो इसका मैं अनुरोध करूँगा”
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का खूँखार माफिया नेता मुख्तार अंसारी इस समय पंजाब जेल में बंद है। पिछले दिनों वह मोहाली की कोर्ट में पेश हुआ। लेकिन उसे लेकर आई एंबुलेंस पर विवाद हो गया है। दरअसल जिस एम्बुलेंस से पुलिस ने उसे मोहाली कोर्ट में पेश किया, उसका रजिस्ट्रशन तो बाराबंकी जिले का है, लेकिन अब यह एंबुलेंस पंजीकृत ही नहीं है। इसके अलावा वह अस्पताल भी फर्जी है, जिसका नाम एंबुलेंस पर लिखा था।
न्यूज 18 के अनुसार, जिस अस्पताल के नाम से एंबुलेंस नंबर UP41 AT 7171 का रजिस्ट्रेशन बताया जा रहा है, वह असल में है ही नहीं। इसकी मियाद साल 2015 में खत्म हो चुकी है। एंबुलेंस की फिटनेस भी साल 2017 में एक्सपायर हो चुकी है। बाराबंकी स्वास्थ्य विभाग के पास भी इसकी कोई जानकारी नहीं है।