Tuesday, November 19, 2024
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‘एक्स-मुस्लिम ऑफ केरल’ : इस्लाम छोड़ने वालों ने बनाया नया संगठन, अब तक 300 जुड़े; जनवरी की इस तारीख को घोषित किया ‘पूर्व मुस्लिम दिवस’

"हमने 10 सदस्यीय कार्यकारी समिति का गठन किया है। सदस्यता अभियान जारी है। शुरुआत में हमने 300 मुसलमानों की पहचान की, जिन्होंने वर्षों पहले इस्लाम छोड़ दिया है। वे खुले तौर पर इस संगठन का समर्थन करते हैं।"

केरल में इस्‍लाम धर्म को छोड़ने वाले लोगों के लिए एक नया संगठन बनाया गया है। इस संगठन का नाम एक्स मुस्लिम ऑफ केरल (Ex-Muslim of Kerala) रखा गया है। इसका उद्देश्य इस्लाम छोड़ने वालों लोगों को सहायता प्रदान करना और उन्‍हें समर्थन देना है। संगठन ने हर साल 9 जनवरी को ‘पूर्व मुस्लिम दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है। 9 जनवरी को कोच्चि में मिले केरल के पूर्व मुस्लिम सदस्यों ने भी इस फैसले का समर्थन किया है। संगठन के अध्यक्ष लियाक्कथली सी एम (Liyakkathali C M) ने कहा, “देश में यह पहली बार है जब इस तरह का कोई आधिकारिक संगठन बनाया गया है।”

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, “हमने 10 सदस्यीय कार्यकारी समिति का गठन किया है। सदस्यता अभियान जारी है। शुरुआत में हमने 300 मुसलमानों की पहचान की, जिन्होंने वर्षों पहले इस्लाम छोड़ दिया है। वे खुले तौर पर इस संगठन का समर्थन करते हैं।”

लियाक्कथली ने कहा कि संगठन का उद्देश्य इस्लाम छोड़ने वालों को नैतिक समर्थन प्रदान करना है, लेकिन कई मुस्लिम ऐसे भी हैं, जो इस्लाम की खामियों का हवाला देते हुए उसे छोड़ तो चुके हैं, पर सार्वजनिक रूप से इसे स्वीकार करने में डरते हैं। उनके (लियाक्कथली) अनुसार, पूर्व मुस्लिमों का कहना है कि इस्लाम छोड़ने वाले लोगों को सामाजिक बहिष्कार के अलावा मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है।

इसकी वजह से कई लोग अपना धर्म छोड़ने के बाद अपनी पहचान छिपाकर जीने को मजबूर हैं। उनके परिवार वालों ने भी उनका साथ देने से मना ​कर दिया है। पूर्व मुस्लिमों को उनके कार्यस्थल पर निशाना बनाया जाता है। हम उन लोगों को समर्थन और साहस देना चाहते हैं, जो अपने धर्म को छोड़ने के इच्छुक हैं।

उन्होंने आगे कहा कि यही कारण है कि पूर्व मुस्लिमों के लिए इस संगठन में उनके मानवाधिकारों और गरिमा की रक्षा के लिए संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को सुनिश्चित किया गया है। हम धार्मिक परंपराओं या प्रथाओं के नाम पर किए गए सभी अत्याचारों के खिलाफ अदालतों का रुख करने की भी योजना बना रहे हैं, जो बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

बता दें कि 9 जनवरी को पूर्व-मुस्लिम दिवस के रूप में चुनने पर लियाक्कथली ने कहा कि पिछले साल इसी दिन इस्लामी उपदेशक एम एम अकबर (M M Akbar) और ई ए जब्बार (E A Jabbar) के बीच इस्लाम को लेकर बहस हुई थी। इस बहस को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी व्यापक रूप से दिखाया गया था। इस्लाम पर खुली आलोचना ने मार्ग प्रशस्त किया और कई लोगों को धर्म छोड़ने के लिए प्रेरित किया। इसलिए हम चाहते थे कि 9 जनवरी पूर्व-मुस्लिम दिवस के रूप में मनाया जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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