कतर (Qatar) की कैद में रखे गए भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों की रिहाई को लेकर नेवी चीफ एडमिरल आर हरि कुमार ने जल्द हल निकलने की उम्मीद जताई है। बता दें कि इन भारतीय अधिकारियों को कतर की खुफिया एजेंसियों ने पिछले तीन महीनों से अवैध रूप से कैद कर रखा है। वहीं, हिरासत में लिए गए एक ओमानी अधिकारी को रिहा कर दिया गया है।
एडमिरल हरि कुमार ने शनिवार (3 दिसंबर 2022) को कहा कि सभी 8 पूर्व अधिकारी नौसेना परिवार का हिस्सा हैं और उनकी रिहाई के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नौसेना को इस मामले की पूरी जानकारी है। देश की सभी एजेंसियाँ उन्हें छुड़ाने के लिए लगी हुई हैं।
कतर की खुफिया एजेंसी State Security Bureau (SSB) की कैद में रखे गए इन पूर्व अधिकारियों से मिलने के लिए कान्सुलर एक्सेस भी नहीं दिया जा रहा है। भारत इन पूर्व अधिकारियों से मिलने की लगातार माँग कर रहा है। कतर के इस रूख से भारत के एक सैन्य शक्ति के रूप में उभार को गहरा आघात लगा है।
कतर की क्यों कैद में हैं पूर्व अधिकारी
नौसेना के ये सभी पूर्व अधिकारी कतर की राजधानी दोहा की एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे थे। ये कंपनी टेक्नोलॉजी और कंसल्टेंसी का काम करती है। 30 अगस्त 2022 को कतर की खुफिया एजेंसियों ने इन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए इन्हें हिरासत में ले लिया था।
शुरुआत में इन पूर्व अधिकारियों पर व्यवसायिक प्रतिद्वंद्विता और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप बताया गया, लेकिन बाद में सामने आया कि इन्हें जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। मिडिल-ईस्ट की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये सभी पूर्व अधिकारियों को इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में हिरासत में लिया है। हालाँकि, कतर की तरफ से इस बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त ये सभी अधिकारी पिछले 5 सालों से दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी नाम की एक कंपनी में काम कर रहे थे। यह कंपनी मिडिल-ईस्ट में स्थित एक देश के मिलिट्री अधिकारी की बताई जाती है। यह कंपनी कतर की नौसेना को ट्रेनिंग और कंसल्टेंसी देने का काम करती है।
जिन पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें पूर्व कमांडर पूर्णेन्द्रु तिवारी, पूर्व कमांडर नवतेज सिंह गिल, पूर्व कमांडर वीरेंद्र कुमार वर्मा, पूर्व कमांडर सुगुनाकर पकाला, पूर्व कमांडर संजीव गुप्ता, पूर्व कमांडर अमित नागपाल, पूर्व कैप्टन सौरभ वशिष्ठ और पूर्व कैप्टन गोपा कुमार हैं।
इन अधिकारियों के साथ ओमान के एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी स्क्वाड्रन लीडर खमीस अल अजमी को भी हिरासत में लिया गया था। हालाँकि, खमीस अल अजमी को 18 नवंबर 2022 को ही रिहा कर दिया गया, बाकी सभी भारतीय अधिकारियों को अभी भी हिरासत में रखा गया है।
भारत-कतर सुरक्षा संधि का उल्लंघन
भारत के पूर्व अधिकारियों को अवैध हिरासत में रखना और उन तक भारतीय दूतावास के अधिकारियों की पहुँच को रोकना भारत-कतर के बीच हुई सुरक्षा संधि का सीधा उल्लंघन है। दोनों देशों के बीच साल 2008 मेें एक संधि हुई थी। इस संधि को और अधिक विस्तार देने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में भी जारी है।
इस संधि के तहत समुद्री प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास और कतर को धमकी दिए जाने की स्थिति में भारतीय सेना भेजना शामिल था। इससे भारत का हिंद महासागर क्षेत्र और अदन की खाड़ी तक के जल क्षेत्र में पहुँच बढ़ी।
इसके साथ ही इस समझौते में रक्षा और अंतरिक्ष में कतर के साथ सहयोग के द्वार खोले, जिसमें खुफिया जानकारी साझा करना और जनशक्ति प्रशिक्षण शामिल है। वर्तमान हालात जैसी विशेष स्थिति में नाविकों के प्रत्यर्पण की भी बात कही गई है। हालाँकि, अब कतर इस पूरे फ्रेमवर्क का ही उल्लंघन करता नजर आ रहा है।
भारत में वांछित जाकिर नाइक को कतर में मंच
अधिकारियों को हिरासत में लिए जाने की जानकारी सामने आने के बाद इनके परिजनों ने प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय से गुहार लगाई है। विदेश मंत्रालय कतर के साथ लगातार संपर्क में है और उस पर इन भारतीयों को छोड़ने का दबाव बना रहा है। बता दें कि पिछले कुछ समय से भारत और कतर के संबंधों कुछ कड़वाहट भी देखने को मिली है।
भारत में वांछित कट्टरपंथी जाकिर नाइक को कतर में आयोजित FIFA वर्ल्ड कप के दौरान वहाँ के सरकारी टीवी चैनल पर इस्लाम के बारे में तकरीर देने के लिए बुलाया गया। हालाँकि, भारत के ऐतराज के बाद कतर ने कहा था कि जाकिर को आधिकारिक तौर पर नहीं बुलाया गया है, लेकिन इस्लामिक मुल्क के सरकारी चैनल पर वहाँ के सत्ता की जानकारी के बिना नहीं बैठाया जा सकता।