Sunday, December 22, 2024
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कहीं वैष्णो नाम का इस्तेमाल, कहीं स्वास्तिक और ॐ के चिन्ह: काँवड़ मार्ग पर मिले भोजनालयों और दुकानों की हकीकत, SC के अंतरिम आदेश के बाद फिर नाम छिपाने शुरू

सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश आने के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अधिकतर मुस्लिम दुकानदारों ने अपनी-अपनी दुकानों और ठेलों पर लगे अपने नामों के पर्चों को हटा दिया है। इधर असली नाम लिखने के अभियान को शुरू करने वाले स्वामी यशवीर महराज अभी भी अपने इस आरोप पर अड़े हुए हैं कि दुकानों पर असली मालिक का नाम होना चाहिए।

पश्चिम उत्तर प्रदेश में हर साल निकलने वाली काँवड़ यात्रा इस पर बार उन दुकानदारों की वजह से खासी चर्चा में है जिन पर नाम बदल कर कारोबार करने का आरोप है। मुज़फ्फरनगर के संत स्वामी यशवीर महराज ने काँवड़ यात्रा के शुरू होने से पहले ही आरोप लगाया था कि मार्ग में कई मुस्लिम दुकानदार हिन्दू नाम से कारोबार कर रहे हैं। उन्होंने इन दुकानदारों पर फलों व सब्ज़ियों पर थूक और मूत्र करके हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को जानबूझ आहत करने का आरोप भी लगाया। ऑपइंडिया ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से इन आरोपों की जमीनी पड़ताल की।

फज़ल की दुकान पर दिखा शुभ-लाभ और ॐ

ऑपइंडिया ने अपनी यात्रा की शुरुआत गाजियाबाद जिले से की। यहाँ काँवड़ मार्ग पर मधुबन बापूधाम थानाक्षेत्र में ‘नई दिल्ली जूस एन्ड शेक’ नाम की एक दुकान नजर आई। दुकान जमीन से लेकर पहले फ्लोर तक बड़े-बड़े कई बोर्डों से ढंकी हुई थी। बाहर किनारे की तरफ सफेद रंग से गेट पर शुभ-लाभ लिखा हुआ था। इसी गेट में नीचे ॐ और स्वस्तिक चिन्ह भी बना हुआ था। हमने पास जाकर देखा तो एक व्यक्ति बर्तन धुल रहा था। पहले उसने हमें ग्राहक समझा लेकिन बाद में पत्रकार जान कर बात करने से बचने लगा।

कुछ ही देर में बर्तन धुल रहे व्यक्ति ने न सिर्फ दुकान का शटर अंदर से गिरा लिया बल्कि साथ में लगा गेट भी बंद कर लिया। जब हमने दुकान का जायजा लिया तो प्रशासन के निर्देश पर लगा A4 साइज का एक छोटा सा कागज कोने में नजर आया। इस कागज में दुकान मालिक के तौर पर मोहम्मद फज़ल लिखा हुआ था। नीचे 30 से ले कर 60 रुपए तक जूस के रेट छपे हुए थे। खास पर ये है कि बिना स्पेलिंग मिस्टेक के मुख्य बोर्ड पर अंग्रेजी में बड़ा-बड़ा नई दिल्ली जूस एन्ड शेक लिखवाने वाले फज़ल ने हिंदी वाले कागज में अपनी दुकान का नाम लिखने में कई मात्रा और शब्दों की गलतियाँ कर रखी थीं।

कार्तिक नाम से नॉनवेज की दुकानें

गाजियाबाद जिले में ही नए बस अड्डे से मुरादनगर मार्ग पर माँसाहार की दुकानें हैं। यह व्यस्ततम काँवड़ मार्ग है। देशी ठाठ नाम से शाकाहारी भोजनालय चलाने वाले हिन्दू दुकानदार ने हमें बताया कि इसी मार्ग पर कार्तिक नाम से नॉनवेज की शॉप है। उन्होंने दावा किया कि इस दुकान का मालिक मुस्लिम है। हालाँकि हमें बताया गया कि सावन माह में प्रशासन की सख्ती से माँसाहारी दुकानें बंद हो जाया करती हैं। बावजूद इसके नाम न छापने की शर्त पर हिन्दू दुकानदारों ने माँग की है कि ऐसे नाम बदल कर धंधा करने वालों पर कार्रवाई की जाए।

चिड़ियापुर में अधिकतर दुकानों के नामों में घालमेल

हरिद्वार और दिल्ली के बीच सफर करने वाले अधिकतर दुकानदार UP और उत्तराखंड के बॉर्डर पर मौजूद चिड़ियापुर में खाना खाते हैं। ऑपइंडिया ने उत्तराखंड के समाजसेवी और हिंदूवादी नेता स्वामी दर्शन भारती से बात की। स्वामी दर्शन भारती ने हमें बताया कि चिड़ियापुर में 70% होटल और ढाबे ऐसे हैं जिनके नाम हिन्दुओं के देवी-देवताओं से जुड़े हैं लेकिन मालिक असल में मुस्लिम समुदाय के लोग हैं। उन्होंने इन ढाबों के न सिर्फ बोर्ड बल्कि काउंटरों पर भी हिन्दू देवताओं के चित्रों की मौजूदगी का भी दावा किया और इस पर रोक लगाने की माँग उठाई।

कंचनतारा क्लॉथ शिवचौक पर मौजूद

मुज़फ्फरनगर का शिवचौक काँवड़ यात्रा के हिसाब से सबसे व्यस्त स्थान है। यहाँ यात्रा के दौरान हर समय हजारों काँवड़ यात्रियों की मौजूदगी होती है। कई श्रद्धालु तो यहाँ हरिद्वार से लाया हुआ जल चढ़ा कर अपनी काँवड़ यात्रा का समापन भी करते हैं। इसी चौराहे पर कंचनतारा नाम से कपड़े की दुकान है। यह दुकान मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति की है। इसमें काम करने वाले अधिकतर कारीगर भी मुस्लिम समुदाय के ही हैं।

साईं वैष्णो के नाम से चल रहा था मुस्लिम मालिक का ढाबा

अपनी यात्रा के अगले पड़ाव में हम सहारनपुर जिले के अम्बाला-देहरादून हाईवे पर पहुँचे। यहाँ सरसावा बाईपास के पास एक लाइन से कई होटल मौजूद हैं। इसमें से एक होटल बिना बोर्ड का नजर आया। आसपास से पता करने पर हमें बताया गया कि इस ढाबे का लम्बे समय तक नाम साईं वैष्णो भोजनालय था। होटल का मालिक सहारनपुर का ही निवासी एक मुस्लिम समुदाय का व्यक्ति है। बीच में चले असली नाम लिखने के अभियान के दौरान होटल मालिक ने अपने बोर्ड को उतार लिया था। फिलहाल दुकान मालिक को नया या पुराना बोर्ड लगाने से पहले सुप्रीम कोर्ट में अंतिम निर्णय आने की प्रतीक्षा है।

खुर्शीद ने मानव पंजाब ढाबा के ऊपर लिखा अपना नाम ढका

सहारनपुर जिले में ही अम्बाला बाईपास पर मानव पंजाब ढाबा नाम से 2 दुकानें हैं। पहली दुकान हरियाणा की सीमा के पास है जिसका असल मालिक सिख समुदाय के किसी व्यक्ति को बताया गया। यह ढाबा काफी पुराना है जहाँ अक्सर भीड़ लगी रहती है। इसी मानव पंजाब नाम से देहरादून रोड पर एक नया ढाबा लगभग 1 साल पहले खुला। इस ढाबे का असल मालिक खुर्शीद है। बीच में प्रशासनिक सख्ती के चलते खुर्शीद ने ढाबे के बोर्ड पर अपना असली नाम लिख दिया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टे लगाने के बाद खुर्शीद ने अपने नाम को फिर से ढंक दिया है। फिलहाल खुर्शीद का ढाबा ‘मानव पंजाब’ नाम से चल रहा है।

बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश आने के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अधिकतर मुस्लिम दुकानदारों ने अपनी-अपनी दुकानों और ठेलों पर लगे नामों के पर्चों को हटा दिया है। इधर असली नाम लिखने के अभियान को शुरू करने वाले स्वामी यशवीर महराज अभी भी अपने इस आरोप पर अड़े हुए हैं कि मुस्लिम दुकानदारों द्वारा नाम बदल कर खाने-पीने की दुकानें खोली जाती हैं और हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए उस पर थूका और मूत्र विसर्जित किया जाता है।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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