Tuesday, November 19, 2024
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जम्मू-कश्मीर में जमात से जुड़े 300 स्कूल बंद करने का आदेश, सरकारी स्कूलों में होगा 11000 छात्रों का एडमिशन: ‘फलाह-ए-आम’ पर कसा शिकंजा

फलाह-ए-आम को जमात-ए-इस्लामी द्वारा 1972 में स्थापित किया था। ये ट्रस्ट 300 से ज्यादा स्कूल कश्मीर में और जम्मू के कुछ क्षेत्रों में चलाता है। ट्रस्ट दावा करता है कि वह गैर राजनीतिक ईकाई है और उनका मकसद सिर्फ शिक्षा व सेवा देना ही है। हालाँकि एनआईए के पास उनके खिलाफ एफआईआर है।

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जमात-ए-इस्लामी से जुड़े फलाह-ए-आम ट्रस्ट की ओर से चलाए जा रहे सभी स्कूलों को बंद कराने का आदेश दिया है। प्रशासन ने कहा है कि ये सारे स्कूल प्रशासन की देखरेख में 15 दिन के अंदर सील किए जाएँगे। इनमें पढ़ रहे 11000 छात्रों को पास के सरकारी स्कूलों में एडमिशन दिया जाएगा।

1990 के एक आदेश का हवाला देते हुए केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने कहा कि इन प्रतिबंधित संगठनों में कोई नई भर्ती नहीं होगी और न ही कोई पंजीकरण किया जाएगा। ये स्कूल सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं, इस बात को सार्वजनिक जिला और जोनल लेवल के एजुकेशन ऑफिसर द्वारा किया गया। 

प्रमुख सचिव (शिक्षा) बीके सिंह द्वारा जारी सरकारी आदेश में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर ने फलाह-ए-आम ट्रस्ट के स्कूलों पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिए हैं। अब इन प्रतिबंधित संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को पास के स्कूलों में शिक्षा पूरी करने के लिए भेजा जाएग। हर सीईओ, प्रिंसिपल और जोनल अधिकारियों को इन छात्रों के एडमिशन में हर संभव मदद करने को कहा गया है। साथ ही इन स्कूलों में व्यापक पैमाने पर जागरूकता फैलाने की भी बात है।

बता दें कि फलाह-ए-आम को जमात-ए-इस्लामी द्वारा 1972 में स्थापित किया गया था। ये ट्रस्ट पूरे प्रदेश में 323 से ज्यादा स्कूल कश्मीर में और जम्मू के कुछ क्षेत्रों में चलाता है। स्कूलों में हजारों छात्र पढ़ते हैं। ट्रस्ट दावा करता है कि वह गैर राजनीतिक ईकाई है और उनका मकसद सिर्फ शिक्षा व सेवा देना ही है। हालाँकि, एक सच यह भी है कि एफएएटी एनआईए की जाँच के कारण पहले भी विवादों में रहा है। इस ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे संस्थानों पर अवैध कार्य किए जाने, धोखाधड़ी,  बड़े पैमाने पर सरकारी भूमि अतिक्रमण करने के आरोप लगे हैं। ऐसे में एनआईए के पास इनके खिलाफ पहले ही प्राथमिकी दर्ज है। अब एजेंसी भी इस ट्रस्ट के खिलाफ अपनी जाँच को बढ़ा रही है। उनका मकसद धोखाधड़ी, अनाधिकृत संस्थाओं और जालसाजी का पता लगाना जो 30 वर्षों में आतंवादियों के इशारे पर  की गई।

1990 में जब तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगाया था तो उसके साथ इन स्कूलों को भी बंद कर दिया था और इसके ज्यादातर स्कूल मोहल्ला और ग्राम प्रशासन कमेटी को सौंप दिए गए थे। इसी तरह साल 2019 में जब जमात ए इस्लामी को प्रतिबंधित किया गया तो भी इस ट्रस्ट को एक नोटिस भेजा गया था और इन्हें शिक्षा संस्थान बंद करने को कहा गया था। हालाँकि बाद में ये मामला टल गया। लेकिन अब सरकार की ओर से आदेश है कि ये मदरसे,स्कूल बंद होने चाहिए। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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