कोरोना काल में किसान प्रदर्शनकारियों ने लगभग 1 साल तक दिल्ली की सीमाओं को घेरे रखा था। अब कुछ महीनों से पंजाब-हरियाणा की सीमा पर ये किसान बैठे हुए हैं। प्रदर्शनकारियों के आगे झुकते हुए मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस भी ले लिया। हालाँकि, अब किसानों को 3 नए क्रिमिनल लॉ से समस्या हो गई है। बता दें कि भारत सरकार ने IPC (भारतीय दंड संहिता), CrPc (दंड प्रक्रिया संहिता) और IEA (इंडियन एविडेंस एक्ट) को खत्म कर दिया है।
अब इनकी जगह क्रमशः ‘भारतीय न्याय संहिता’ (BNS), ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ (BNSS) और BSA (भारतीय साक्ष्य अधिनियम) लेकर आई है। अब किसानों को इन तीनों से भी दिक्कत है। बता दें कि तीनों कानून अंग्रेजों के ज़माने से ही चले आ रहे थे। ‘किसान मजदूर मोर्चा’ और ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ की तरफ से ये ऐलान किया गया है कि वो इन कानूनों का विरोध करते हैं। दिल्ली में इनकी प्रतियाँ जलाई जाने की योजना है। किसानों से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर पहुँचने की अपील की गई है।
इन्होंने इस साल आने वाले स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च का भी ऐलान किया है। 1 अगस्त को मोदी सरकार की ‘अर्थी’ जलाई जाएगी। साथ ही देश भर के जिला मुख्यालयों पर MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए प्रदर्शन किया जाएगा। शंभु बॉर्डर पर किसान महीनों का राशन लेकर पहुँचने शुरू हो गए हैं। 31 अगस्त को इस धरने के 200 दिन भी पूरे होने वाले हैं। 15 सितंबर को जींद और 22 सितंबर को पीपली में किसानों की रैली प्रस्तावित है।
15 अगस्त को पूरे भारत में ट्रैक्टर मार्च करेंगे किसान, विरोध में जलाएंगे नए क्रिमिनल लॉ की प्रतियां#KisanAndolan | @SumantJourno https://t.co/rzUb6udApN
— TV9 Bharatvarsh (@TV9Bharatvarsh) July 22, 2024
किसानों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष को जमानत दिए जाने की भी निंदा की। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट 1 सप्ताह के भीतर शंभु बॉर्डर खोलने का आदेश दे चुका है। 17 जुलाई को ही ये मोहलत खत्म हो गई है, लेकिन हरियाणा सरकार इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुँची है। 13 फरवरी को ये किसान निकले थे। शंभु बॉर्डर पटियाला और अंबाला के बीच है। बता दें कि 2021 में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के दिन ट्रेक्टर मार्च के दौरान हिंसा हुई थी, लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहरा दिया गया था।