राजस्थान के जैसलमेर में सामानांतर सत्ता चलाने के लिए जाना जाने वाले गाजी फकीर की मौत हो गई, जिसके बाद उसके जनाजे में भारी भीड़ देखने को मिली। राजस्थान की सरकार ने स्वीकार किया है कि राज्य के अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं, फिर भी कोरोना के दिशानिर्देशों का पालन नहीं कराया जा रहा। गाजी फ़कीर मौलवी भी थे, ऐसे में उसके अनुयायी भी हजारों की संख्या में हैं, जिन्होंने भीड़ जुटाई।
गाज़ी फ़क़ीर के बेटे सालेह मोहम्मद राज्य में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री हैं, ऐसे में जनाजे में जुटी भीड़ की निंदा करना या इसके खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर की बात, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निधन पर शोक जता कर इतिश्री कर ली। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कॉन्ग्रेस नेता रहे गाजी फ़कीर के घर के सामने मुस्लिमों की भारी भीड़ जुटी हुई है और उसके अंतिम क्रिया-कर्म की तैयारी हो रही है।
केबिनेट मंत्री सालेह मोहमद के पिता मुस्लिम धर्मगुरु गाजी फकीर का देर रात हुआ देहांत, अंतिम दर्शन को पैतृक गाँव जैसलमेर में उमड़ी भीड़। pic.twitter.com/94e2kbkz3Z
— राजस्थानी ट्वीट 😷 (@8PMnoCM) April 27, 2021
ये सब तब हो रहा है, जब गाजी फ़कीर के बेटे सालेह मोहम्मद के कोरोना पॉजिटिव आए एक हफ्ता भी नहीं हुआ है। शुक्रवार (अप्रैल 23, 2021) को ही ट्वीट करके पोखरण के MLA ने जानकारी दी थी कि चिकित्सकों की सलाह पर उन्होंने खुद को जयपुर आवास पर आइसोलेट किया हुआ है। उन्होंने अपने संपर्क में आए लोगों से भी जाँच कराने की अपील की थी। सालेह मोहम्मद के पास अल्पसंख्यक विभाग, वक्फ मामलों और जान अभाव अभियोग निराकरण जैसे मंत्रालय हैं।
कोरोना के लक्षण दिखने पर मैंने व मेरे PSO की जाँच कराई, जिसकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी है। चिकित्सकों की सलाह पर हम स्वयं को जयपुर आवास पर ही आइसोलेट कर लिया है।
— Shale Mohammad (@ShaleMohammad_) April 23, 2021
विगत 2 3 दिनों से आइसोलेट ही थे फिर भी हमारे सम्पर्क में आये हुवे लोगो से अनुरोध है कि आप सभी भी अपनी जांच जरूर करवा लें
‘सरहद का सुल्तान’ कहने जाने वाले गाजी फकीर सिंधी मुस्लिमों के धर्मगुरु थे, ऐसे में उनके जनाजे में कोरोना के नियमों का जम कर उल्लंघन हुआ और जनाजे में जुटी भीड़ के सामने पुलिसकर्मी भी मौन रहे। 85 वर्षीय गाजी फकीर के परिवार में उनकी बीवी, 6 बेटे और 3 बेटियाँ हैं। जैसलमेर विधायक रूपाराम धणदे, जैसलमेर नगरपरिषद के सभापति हरिवल्लभ कल्ला, पूर्व जिला प्रमुख अंजना मेघवाल, पूर्व जिला कॉन्ग्रेस अध्यक्ष गोविंद भार्गव, पूर्व प्रधान मूलाराम चौधरी और युवा नेता विकास व्यास सहित कई कॉन्ग्रेस नेताओं ने पहुँच कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
पाकिस्तान स्थित सिंधी मुस्लिमों के सबसे बड़े आस्था स्थल पीर पगारो के खलीफा के रूप में गाजी फकीर के अनुयायी सीमा के उस पार पाकिस्तान में भी हैं। सरपंच और फिर जिला परिषद रहने वाले गाजी फ़कीर ने अपने परिवार के कई लोगों को राजनीति में आगे बढ़ाया। भाई फतेह मोहम्मद प्रधान और जिला प्रमुख के साथ कॉन्ग्रेस जिलाध्यक्ष रहे। एक बेटे अमरदीन फकीर जैसलमेर समिति के प्रधान रह चुके हैं तथा युवा कॉन्ग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं।
देशद्रोह सहित कई मामलों में आरोपित गाज़ी कई वर्षों से भारतीय एजेंसियों के पकड़ में नहीं आ पाए क्योंकि उनके ख़िलाफ़ सबूत ही नहीं मिले। पुलिस हिस्ट्रीशीट में उनका नाम 1965 से ही आता रहा है लेकिन कॉन्ग्रेस में उनके वर्चस्व के कारण कोई उनका बाल भी बाँका नहीं कर सका। पुलिस अधिकारी पंकज चौधरी ने छानबीन शुरू की तो उन्हें बरख़ास्त कर दिया गया। 90 के दशक में एक एसपी को इसीलिए ट्रांसफर कर दिया गया था।