डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश के सीतापुर में ‘घृणा फैलाने वाला भड़काऊ बयान देने’ का मामला दर्ज किया गया है। कमलेश तिवारी की हत्या के बाद महंत सरस्वती ने उनके परिजनों से मुलाक़ात की थी। मुलाक़ात के दौरान उन्होंने सार्वजनिक रूप से भाषण दिया था, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस वीडियो में वह कमलेश तिवारी की माँ के कंधे पर हाथ रख कर भाषण देते दिख रहे हैं। उनके ख़िलाफ़ दर्ज मामले में उनके बयान को ‘मुस्लिम समाज के ख़िलाफ़ घृणा फैलाने वाला’ बताया गया है। बता दें कि कमेलश तिवारी को 18 अक्टूबर को इस्लामी कट्टरपंथियों ने नृशंस हत्या कर दी थी।
सीतापुर स्थित मोहम्मदाबाद पुलिस स्टेशन के एसएचओ अरुण कुमार ने बताया कि सरस्वती और उनके अनुयायियों ने दोपहर के समय कमलेश तिवारी के परिजनों से मुलाक़ात की थी। उनका कहना है कि महंत यति सरस्वती ने इसके बाद जो भाषण दिया, वो काफ़ी भड़काऊ था और सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गया। डासना देवी मंदिर के महंत के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 295 ए (किसी धर्म की भावनाओं का अपमान करना), धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के सविचार आशय से शब्द उच्चारित करना) और धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती को डासना मंदिर में आस्था रखने वाले व अन्य लोग काफ़ी श्रद्धा की दृष्टि से देखते हैं। ये मंदिर गाजियाबाद में स्थित है। सितम्बर 2019 में जब यादव और गुज्जर समुदायों के बाच तनाव बढ़ गया था, तब महंत सरस्वती ने आगे आकर दोनों पक्षों को समझाया था। उस संघर्ष को ख़त्म करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस कारण क्षेत्र के लोग उन्हें आदरभाव से देखते हैं। महंत ख़िलाफ़ एफआईआर होने के बाद उनके कई अनुयायियों ने आक्रोश जताया।
मृतक कमलेश तिवारी के आवास पहुंचे यति नृसिंह सरस्वती का भड़काऊ बयान, सौहार्द बिगाड़ने की साजिश पर सजग हुआ खुफिया महकमा,एसपी ने दिए केस दर्ज करने के निर्देश, @myogiadityanath सरकार पर पहलेभी हमलावर होते रहे हैं डासना महंत @dgpup @PMOIndia @Igrangelucknow @sitapurpolice @Uppolice pic.twitter.com/LLF5869A73
— स्पष्ट आवाज समाचार (@AnandSh92993425) October 21, 2019
दरअसल, यादवों और गुज्जरों के बीच संघर्ष एक रोड रेज की घटना के बाद चालू हुआ था। उस तनाव के कारण जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही थी, तब महंत सरस्वती ने आगे आकर शांति स्थापित करने के लिए पहल किया। उन्होंने दोनों समुदायों को समझाया था कि वे एक ही माँ के दो हाथ हैं, इसीलिए लड़ना बंद करें। उन्होंने दोनों समुदायों के लोगों को बताया कि कैसे हिन्दुओं की आपसी लड़ाई का फायदा हिंदुत्व-विरोधी ताक़तों को मिलता रहा है।
हिन्दू हितों के लिए संघर्ष करने के लिए महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती को 2015 में सऊदी अरब से धमकी भी मिल चुकी है। एक व्यक्ति ने महंत को जान से मारने की धमकी दी थी। हालाँकि, उन्होंने कहा था कि वे हिन्दुओं के हितों के लिए लड़ाई लड़ते रहेंगे और किसी से डरेंगे नहीं।