अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) का पूर्व छात्र फहद जुबेरी एक बार फिर चर्चा में हैं। फहद जुबेरी, जिस पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर यूनिवर्सिटी ने आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था। वह इन दिनों अपने समुदाय के लोगों का विश्वास जीतने के लिए हिंदुओं के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहा है। आपको याद दिला दें कि एएमयू ने वर्ष 2018 में इस्लामिक धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आरोप में फहद के अलावा 3 अन्य छात्रों पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था। फहाद ने इसके लिए माफी भी माँगी थी।
फहद की घटिया मानसिकता वामपंथी मीडिया पोर्टल न्यूजलॉन्ड्री के जरिए सामने आई है। अब उसने अपने मुस्लिम समुदाय के लोगों का विश्वास जीतने के लिए हिंदुओं को बदनाम करने का हथकंडा अपनाया है। न्यूजलॉन्ड्री के साथ बातचीत में फहद ने कहा, “हिंदू विभाजनकारी रहे हैं और उनका यह रवैया भविष्य में भी जारी रहेगा।”
“It’s not just about #Mathura or #Kashi or #Ayodhya. You look at what is happening on the Muslim spaces in Indian cities in general,” said @zuberi_fahad on how rising #Hindutva is targeting Muslim spaces of worship.
— newslaundry (@newslaundry) May 23, 2022
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फहद ने काशी और मथुरा मामले को लेकर कहा है कि इस विवाद का कारण हिंदु हैं। यह बदलने वाला नहीं है। उसने आगे कहा, “यह केवल मथुरा, काशी या अयोध्या के बारे में नहीं है। आप देख सकते हैं कि भारत के मुस्लिम बहुल इलाकों में क्या हो रहा है? हमने यह भी देखा कि नमाज को लेकर गुरुग्राम में क्या हुआ? फिर हमने मस्जिदों में लाउडस्पीकर लगाने पर हिंदुओं द्वारा किए गए हमले भी देखे।”
फहद इस बात पर जोर देते हुए कहता है कि एक शहर सभी वर्ग के लोगों के लिए होता, इसलिए गुरुग्राम में नमाज करना कोई गलत नहीं था। फहद यही नहीं रुका उसने साथ ही यह भी कहा, “ये वे स्थान हैं, जहाँ लोग अपनी पहचान व्यक्त करते हैं। हम ऐसी जगहों पर एक नई तरह की हिंसा देख रहे हैं, जहाँ कुछ लोग मस्जिद के सामने जाकर चिल्लाते हैं। तो यह सिर्फ काशी या मथुरा तक ही सीमित नहीं है। भविष्य में यह और भी गलत होगा।”
बातचीत में, फहद ने जोर देकर कहा कि यह विवाद इसलिए हो रहे हैं, क्योंकि सब कुछ हिंदुओं के हाथ में आ गया है और वे अब रुकने वाले नहीं हैं। इस अराजकता का मुख्य कारण हिंदू और हिंदुत्व की विचारधारा की है, क्योंकि वे अपने हिसाब से चीजों को बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
कौन हैं फहद जुबेरी?
बता दें फहद जुबेरी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र और स्कॉलर है। इसे 2018 में रमजान के महीने में फेसबुक पर एक तस्वीर अपलोड करने के लिए विश्वविद्यालय ने हमेशा के लिए बैन कर दिया था। नशरा अहमद, फहद ज़ुबेरी, उमर गाज़ी और सुशांत टैंक पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था। उन्होंने 6 जून 2018 को दिल्ली के एक पब की एक तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट की थी, जिसमें उनकी टेबल पर बीयर की बोतलें रखी हुई थीं। इसके साथ उन्होंने कैप्शन में लिखा था: “अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संगीत के दिग्गजों के साथ इफ्तारी। अल्लाह की कृपा से तीन सुन्नियों को आज रात मदीरा का सुख मिला है।”
इसके बाद विश्वविद्यालय में आक्रोश फैल गया और कई छात्रों और कार्यकर्ताओं ने उनके सिर कलम करने की धमकी दी थी। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ (AMUSU) के पूर्व उपाध्यक्ष नदीम अंसारी ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295A के तहत धार्मिक भावनाओं को आहत करने और इस्लाम के लिए अभद्र भाषा प्रयोग करने के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था। तब फहद और अन्य ने लोगों ने इसके लिए माफी माँगी थी और उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने का अनुरोध किया गया था।