गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले शख्स मकबूल आलम को जमानत दे दी। आलम को कथित तौर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर ‘अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकवादी नहीं हैं’ पोस्ट करने के बाद गिरफ्तार किया गया था।
आरोपित पर धारा 120-बी (आपराधिक साजिश की सजा), धारा 153-ए (1)/153-बी (1), धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से बोलना और आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग आदि), धारा 505 (1) (सार्वजनिक रूप से शरारती बयान देना) और 505 (2) (वर्गों के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना पैदा करने वाले बयान) भारतीय दंड संहिता, 1860 के साथ गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 39 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जस्टिस सुमन शिवम की एकल पीठ ने कहा कि आरोपित के पर्सनल फेसबुक अकाउंट से किए गए पोस्ट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। कोर्ट ने आरोपित की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की थी।
\Gauhati High Court grants bail to man who posted on Facebook that Taliban are not terrorists
— 💯अnadi (@tiwari_ji_) October 11, 2021
My report for @barandbench https://t.co/SyxWEfGVsu
Bar and Bench की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने कहा, “आवेदक के खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है, सिवाय इसके कि उसने अपने पर्सनल फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट किया है। हम केवल इस आधार पर उसे अपराधी नहीं मान सकते हैं। इस मामले में आवेदक को और अधिक हिरासत में रखना सही नहीं होगा।” आवेदक की ओर से वकील के. मोहम्मद ने वरिष्ठ अधिवक्ता डी दास को पेश किया। वहीं, राज्य की ओर से एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर आरआर कौशिक पेश हुए।
गौरतलब है कि गुवाहाटी हाई कोर्ट ने हाल ही में मकबूल आलम नाम के व्यक्ति की जमानत अर्जी को मंजूर कर लिया था, जिसे फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। आरोपित ने अपने पोस्ट में तहरीक-ए-तालिबान जैसे आतंकवादी संगठन की तारीफ करते हुए उसका महिमामंडन किया था। जबकि यह पूरी दुनिया जानती है कि तालिबान ही वह आतंकी संगठन है, जिसने अफगानिस्तान की मासूम जनता पर कहर बरपाया है। उसी ने हथियारों के बल पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को बाहर कर देश पर अपनी सत्ता काबिज की है। यही नहीं उन्होंने भारतीय नागरिकों को भी अफगानिस्तान में निशाना बनाने से कोई गुरेज नहीं किया। लेकिन अदालत ने आवेदक को यह देखते हुए जमानत दे दी थी कि उस फेसबुक पोस्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके आधार पर उसे आगे हिरासत में रखने की आवश्यकता है।