सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने सीनियर वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की 11 नवंबर की बैठक में यह फैसला लिया गया। इसमें सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस यूयू ललित और एएम खानविलकर के तीन सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। अगर 49 वर्षीय सौरभ कृपाल को जज के पद पर नियुक्त किया जाता है, तो वह भारत में हाई कोर्ट के पहले गे (समलैंगिक) जज होंगे।
खास बात यह है कि अक्टूबर 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से जज के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी। इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट चार बार उनकी सिफारिश का फैसला टाल चुका था। आखिरी बार अगस्त 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सिफारिश का फैसला टाल दिया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सौरभ कृपाल खुले तौर पर गे होने की बात स्वीकार कर चुके हैं। कृपाल के पार्टनर ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट निकोलस जर्मेन बाकमैन हैं और स्विट्जरलैंड के रहने वाले हैं। इसलिए केंद्र को राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता सता रही है। पिछले साल एक इंटरव्यू में कृपाल ने कहा था कि शायद उनके सेक्शुअल ओरिएंटेशन की वजह से ही उन्हें जज बनाने की सिफारिश का फैसला टाला गया है।
बता दें कि सौरभ कृपाल वरिष्ठ वकील और पूर्व चीफ जस्टिस बीएन कृपाल के बेटे हैं। कृपाल ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की है और लॉ की डिग्री ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पूरी की है। सौरभ पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के साथ बतौर जूनियर काम कर चुके हैं। इसके साथ ही वह यूनाइटेड नेशंस के साथ जेनेवा में भी काम कर चुके हैं। कृपाल समलैंगिक हैं और LGBTQ के अधिकारों के लिए मुखर रहे हैं। वह ‘सेक्स एंड द सुप्रीम कोर्ट’ किताब के लेखक भी हैं।