पिछले साल सितंबर में आईपीसी की धारा 377 (समलैंगिक यौन संबंध के सम्बन्ध में) को हटाने के बावजूद भारत में एलजीबीटीक्यूआई (LGBTQI) लोगों का उत्पीड़न जारी है। सामाजिक उत्पीड़न से निराश अविंशु की फेसबुक पोस्ट से पता चलता है कि भले ही कानून बदल जाए, लेकिन समाज खुद को बदलने में हमेशा देर कर देता है।
समलैंगिक होने के कारण कथित भेदभाव से दुखी मुंबई के 20 साल के अविंशु पटेल की आत्महत्या और उसके खुदकुशी नोट ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। अविंशु ने समुद्र में कूदकर खुदकुशी कर ली। पुलिस ने मंगलवार (जुलाई 09, 2019) को यह जानकारी दी। उसका शव पिछले सप्ताह (बुधवार) तमिलनाडु की राजधानी चेन्नै के नीलंकरई बीच पर मिला। उसने कथित तौर पर समलैंगिक होने के कारण अपनी जान दी। मौत को गले लगाने से पहले उसके द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट को जिसने भी पढ़ा, वह सतब्ध रह गया। अविंशु पटेल ने फेसबुक पर हिन्दी और अंग्रेजी में किए दो पोस्ट में कहा है कि उसकी खुदकुशी के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है।
अविंशु ने दो जुलाई को हिन्दी में किए पोस्ट में लिखा, ”मैं एक लड़का हूँ, सभी यह जानते हैं। लेकिन मैं जिस तरह से चलता हूँ, सोचता हूँ, भाव व्यक्त करता हूँ, बात करता हूँ, वह लड़की की तरह है। भारत के लोगों को यह पसंद नहीं आता है।”
“लोग मेरे हाव-भाव से नफ़रत करते हैं”
अविंशु को प्यार से लोग अवी कहते थे। वह मूलरूप से मुंबई का रहने वाला था और पिछले महीने ही चेन्नै के एक स्पा में काम करने गया था। फेसबुक पर 1750 शब्दों के सुसाइड नोट में उसने कहा कि वह गे है, इसलिए उसे परेशान किया जा रहा। उसने लिखा, “लोग मेरे शारीरिक हाव-भाव से नफरत करते हैं। मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की कोशिश करता हूँ, लेकिन यह स्वाभाविक रूप से मेरे शरीर की गतिविधियों में दिखाई देती है। वे (लोग) मुझसे नफरत करते हैं, वे मेरे पीठ पीछे मेरा मजाक उड़ाते हैं…वे मुझे हिजड़ा, छक्का और बैलया कहते हैं…मुझे बहुत अफसोस है कि मेरा शरीर एक लड़के का था, लेकिन मेरा व्यवहार एक लड़की की तरह था।”
“मेरी गलती नहीं है कि मैं समलैंगिक हूँ, यह भगवान की गलती है”
अंग्रेजी पोस्ट में अवि ने लिखा, “मुझे उन देशों पर गर्व है जो समलैंगिक लोगों और ट्रांसजेंडरों को सम्मान देते हैं। मुझे अपने सहयोगी भारतीयों पर भी गर्व है। यह मेरी गलती नहीं है कि मैं समलैंगिक हूँ, यह भगवान की गलती है। मुझे अपनी जिंदगी से नफरत है।”
अविंशु अपने घर का इकलौता कमाने वाला था। वह नंदुरबार जिले के शाहदा में रहता था। उनके पिता रवींद्र सब्जी विक्रेता थे, लेकिन दिल की बीमारी से पीड़ित होने के कारण काम नहीं कर पाते। अवि के बचपन का नाम अमोल था। आत्महत्या करने से पहले दो जुलाई की शाम 5 बजे के आसपास उसने अपने रूममेट सहित कुछ अन्य लोगों से इस बात का जिक्र किया था कि वह मरने जा रहा है। अवि के चाचा दीपक ने बताया कि लगभग पाँच महीने पहले अवि की माँ ने उसके ऊपर शादी करने का दबाव बनाया था तब वह उनके पास आया था। घर में तनाव था, लेकिन बाद में वह चेन्नै काम करने चला गया।