कॉन्ग्रेस नेता हार्दिक पटेल को गुजरात पुलिस ने एक बार फिर से गिरफ्तार कर लिया। राजद्रोह के मामले में हार्दिक पटेल जमानत मिलने के बाद साबरमती जेल से जैसे ही बाहर निकले, ऐसे ही गुजरात पुलिस ने पटेल को आचार संहिता उल्लंघन के मामले में गिरफ्तार कर लिया।
कॉन्ग्रेस नेता हार्दिक पटेल की एक के बाद एक मुसीबतें बढ़ती चली जा रही हैं। बीते दिनों 18 जनवरी को राजद्रोह के एक मामले में निचली अदालत में पेश नहीं होने का कारण गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद पुलिस ने उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। जहाँ से उन्हें जेल भेज दिया गया था। तीन दिन जेल मेें रहने के बाद हार्दिक को गुरुवार को जमानत मिल गई। जैसे ही पटेल जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए ऐसे ही पुलिस ने उन्हें फिर से 2017 में दर्ज आचार संहिता उल्लंघन मामले में गिरफ्तार कर लिया।
#JustIn | Cong leader Hardik Patel, who walked out of Sabarmati Central Jail in Ahmedabad on Thursday after getting bail in a sedition case, immediately arrested by Gandhinagar district police in a 2017 case of addressing a rally without police permission, reports PTI
— Times of India (@timesofindia) January 23, 2020
आचार संहिता उल्लंघन के मामले में हुई गिरफ्तारी के बाद अब हार्दिक पटेल से सिद्धपुर और मानसा पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ करेगी। इससे पहले कॉन्ग्रेस नेता के खिलाफ़ राजद्रोह मामले में अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया था, जिसके बाद विरमगाँव के पास हासलपुर से पुलिस ने 18 जनवरी को गिरफ्तार किया था। दरअसल इससे पहले हार्दिक पटेल कोर्ट की सुनवाई में लगातार गैर हाजिर हो रहे थे।
आपको बता दें कि हार्दिक पटेल के ख़िलाफ़ अलग-अलग मामलों में 24 केस दर्ज हैं। हार्दिक पटेल को इससे पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका है। लंबे समय तक जेल में रहने के बाद जुलाई 2016 में उन्हें जमानत पर रिहा किया गया था। नवंबर, 2018 में हार्दिक पटेल और अन्य आरोपितों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, लेकिन इसी बीच पटेल ने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले ही कॉन्ग्रेस का दामन थाम लिया था।
ग़ौरतलब है कि 25 अगस्त 2015 को अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान में हुई विशाल पाटीदार आरक्षण समर्थक रैली के बाद राज्य में हुई तोड़फोड़ और हिंसा को लेकर यहाँ की क्राइम ब्रांच ने उसी साल अक्टूबर में हार्दिक पटेल सहित कई लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था। हिंसा के दौरान आंदोलनकारियों ने कई सरकारी बसों, पुलिस चौकियों और अन्य सरकारी संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया था, जिसमें एक पुलिसकर्मी सहित लगभग दर्जन भर बेगुनाह लोग मारे गए थे। पुलिस ने आरोप पत्र में हार्दिक और उनके सहयोगियों पर चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए और हिंसा फैलाने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया था।