Monday, November 18, 2024
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अहमदाबाद: 23 वर्षीय स्मृति ठक्कर ने कोरोना को मात देने के बाद किया ब्लड प्लाज्मा दान करने का फैसला

स्मृति ठक्कर 19 मार्च को पेरिस से लौटी थीं, जिसके बाद उन्हें कोरोना वायरस इलाज के लिए SVP अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह 6 अप्रैल को पूरी तरह से ठीक हो गई थीं।

गुजरात की 23 वर्षीय स्मृति ठक्कर ने मिसाल पेश करते हुए अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल (SVP) अस्पताल में अपना ब्लड प्लाज्मा दान करने का फैसला किया है। बता दें कि स्मृति इसी महीने की शुरुआत में कोरोना को मात देकर जिंदगी की जंग जीत कर लौटी है। अब वो अपना ब्लड प्लाज्मा दान करना चाहती है, ताकि अन्य मरीजों के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जा सके।

स्मृति ठक्कर 19 मार्च को पेरिस से लौटी थीं, जिसके बाद उन्हें कोरोना वायरस इलाज के लिए SVP अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह 6 अप्रैल को पूरी तरह से ठीक हो गई।

स्मृति कहती हैं, “मैंने 14 दिन पूरे कर लिए थे और कोई लक्षण नहीं था। मुझे SVP अस्पताल से एक कॉल आया, जिसमें थेरेपी के लिए प्लाज्मा की सहमति माँगी गई। मेरे माता-पिता भी इस पर सहमति जताई, क्योंकि उन्हें विश्वास है कि मैं इन डॉक्टरों की वजह से ही जिंदा हूँ।” वह शनिवार को अस्पताल गई और अपना प्लाज्मा दान किया। इस तरह वो गुजरात की पहली प्लाज्मा डोनर बन गई।

इससे पहले स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव, जयंती रवि ने कहा था, “हमें पता चला है कि ICMR ने केरल सरकार को ऐसे प्लाज्मा ट्रांसफ्यूजन ट्रीटमेंट के लिए मँजूरी प्रदान की है। गुजरात के अहमदाबाद सिविल अस्पताल और SVP अस्पताल ने भी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए इस ट्रीटमेंट को शुरू करने के लिए ICMR की अनुमति माँगी है।”

शनिवार को इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने प्लाज्मा थेरेपी परीक्षण करने के लिए दोनों अस्पतालों को अपनी सहमति दी। राज्य में स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि प्लाज्मा ट्रांसफ्यूजन का उपयोग शरीर में एंटीबॉडी उत्पन्न करके क्रिटिकल कोरोना वायरस मरीजों की इम्युनिटी (प्रतिरक्षा) को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

अहमदाबाद के नगर आयुक्त विजय नेहरा ने इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी का धन्यवाद किया। उनके हस्तक्षेप की वजह से SVP अस्पताल को ICMR की तरफ से इस परीक्षण को मँजूरी मिलने में मदद मिली। उन्होंने यह भी बताया कि डोनर की पहचान कर ली गई थी और डोनर की सहमति के बाद प्लाज्मा डोनेट करने की प्रक्रिया पूरी की गई।

जानकारी के मुताबिक 6 ऐसे डोनर्स की पहचान की गई थी, जिसमें से 3 ने कोरोना वायरस के ठीक होने के बाद आवश्यक 14 दिन की अवधि पूरी कर ली थी। जयंती रवि के अनुसार दान किए गए एक ब्लड प्लाजमा से 4 कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक दवाओं और टीकों की अनुपस्थिति में क्रिटिकल मरीजों के उपचार के लिए एक बेहतर विकल्प है।

उल्लेखनीय है कि गुजरात के सूरत और अहमदाबाद शहर प्रशासन ने अपने प्रतिदिन के कोरोना वायरस बुलेटिन में उन लोगों के बारे में जानकारी देना शुरू किया है, जो COVID-19 से संक्रमित पाए गए हैं। सूरत म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के रिहायशी पतों को गूगल मैप्स पर पिन करना भी शुरू कर दिया है, जिससे आस-पास रहने वाले लोग सतर्क रह सकें।

इसी तरह अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने भी कोरोना पॉजिटिव केस की जानकारी देनी शुरू कर दी है। कॉर्पोरेशन के पास कोई आधिकारिक मैप नहीं है, इसलिए अहमदाबाद में मौजूद तकनीकी विशेषज्ञों ने बतौर वॉलंटियर कोरोना संक्रमित लोगों की लोकेशंस को गूगल मैप पर पिन करना शुरू कर दिया है। बता दें कि जब राज्य में 58 मामले सामने आए थे, तभी केवल 6 दिनों में राज्य के 4 शहरों में 2200 बेड का कोविड हॉस्पिटल तैयार किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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