Sunday, December 22, 2024
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सूरत में रेहान प्रोजेक्ट पर रोक: हिंदू पार्टनर बना अशांत क्षेत्र में निर्माण की ली थी अनुमति, मँजूरी मिलते ही किया बाहर

सूरत के अदजान इलाके में एक मंदिर के बगल में रेहान हाइट्स प्रोजेक्ट निर्माण के लिए मुस्लिम स्वामित्व वाली एंटरप्राइजेज ने हिंदू साथी को सामने पेश कर अनुमति ली और बाद में उसे डील से बाहर कर दिया।

गुजरात के सूरत के अदजान इलाके में रेहान हाइट्स प्रोजेक्ट के निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है। सूरत नगर निगम ने 21 सितंबर 2021 को जारी पत्र में इसकी जानकारी दी है। दरअसल कंपनी पर अशांत क्षेत्र अधिनियम का उल्लंघन कर भवन निर्माण के लिए अनुमति लेने का आरोप है। यह बात सामने आते ही नगर निगम ने निर्माण के लिए दी गई अनुमति को स्थगित कर दी है।

सूरत नगर निगम से जारी पत्र

निगम ने पत्र में कहा है कि टीपी योजना 11 (अदजान) के अंतर्गत फ्लैट नंबर 82 के निर्माण की दी गई अनुमति को स्थगित कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि यह क्षेत्र अशांत क्षेत्र अधिनियम के तहत आता है और सूरत के डिप्टी कलेक्टर ने प्रॉपर्टी हस्तांतरण को रद्द कर दिया था, जिसके बाद यहाँ पर निर्माण गतिविधि की अनुमति को स्थगित कर दिया गया है। लिहाजा अगले आदेश तक भूमि पर कोई निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है। नोटिस में कहा गया है कि यदि कोई आदेश का उल्लंघन कर निर्माण करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 

हिंदू पार्टनर के नाम पर ली गई थी अनुमति

ऑपइंडिया ने इससे पहले अपनी खबर में बताया था किअशांत क्षेत्र अधिनियम के तहत आने वाले इलाके में किस तरह गुमराह कर निर्माण के लिए अनुमति ली गई थी। सूरत के अदजान इलाके में एक मंदिर के बगल में रेहान हाइट्स प्रोजेक्ट निर्माण के लिए एक मुस्लिम स्वामित्व वाली एंटरप्राइजेज ने हिंदू साथी को सामने पेश कर निर्माण की अनुमति ली, जो कि कानून को धोखा देने जैसा था। अनुमति मिलने के बाद हिंदू पार्टनर को डील से बाहर कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि सूरत का अदजान गुजरात अशांत क्षेत्र अधिनियम के तहत आता है, जहाँ अचल संपत्ति का हस्तांतरण केवल कलेक्टर द्वारा संपत्ति को खरीदने वाले और बेचने वाले द्वारा किए गए आवेदन पर हस्ताक्षर करने के बाद ही हो सकता है। संपत्ति बेचने वाले को आवेदन में यह उल्लेख करना होता है कि वह अपनी मर्जी से संपत्ति बेच रहा है।

इस तरह के किसी भी आवेदन के बाद कलेक्टर को औपचारिक जाँच करनी होती है। पुलिस और जिला मजिस्ट्रेट को जाँच करनी होती है। सूरत के कार्यकर्ता असित गाँधी ने बताया थाई ऐसे मामलों में अधिकारियों को मौके पर खुद जाकर सार्वजनिक तौर पर जानकारियाँ इकट्ठी करनी होती है। इसके अलावा प्रभावित लोगों से लिखित में भी स्वीकृति भी लेनी होती है। इस अधिनियम के तहत वे लोग भी शामिल हैं जो उस संपत्ति के आस-पास रहते हैं। सभी प्रक्रियाओं का पालन होने और उससे संतुष्ट होने के बाद ही कलेक्टर संपत्ति के हस्तांतरण की मँजूरी दे सकते हैं।

बता दें कि यह अधिनियम उन क्षेत्रों के धार्मिक और सामुदायिक मूल्य और पहचान को बचाने के लिए है जो जनसंख्या की दृष्टि से अतिसंवेदनशील हैं। यह कलेक्टर की जिम्मेदारी होती है कि सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखा जाए और सांप्रदायिक दंगा न हों। इस अधिनियम के जरिए सरकार राज्य के संवेदनशील हिस्सों में समुदायों के ध्रुवीकरण पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है।

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Nirwa Mehta
Nirwa Mehtahttps://medium.com/@nirwamehta
Politically incorrect. Author, Flawed But Fabulous.

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