गुजरात (Gujarat) का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में सूरत के चौकबाजार इलाके में हेरिटेज कॉम्प्लेक्स के अंदर एक दरगाह (Dargah at Heritage building in Surat) दिखाई दे रही है। वीडियो शूट करने वाले शख्स का आरोप है कि यह दरगाह रातों-रात बनी है। एक दिन पहले यह दरगाह इस स्थान पर नहीं थी। वीडियो बनाने वाले शख्स को यह कहते हुए भी सुना जा सकता है, “इस स्थान पर कब्जा कर लिया गया है। यहाँ पर झाड़-फूँक और दिया लगाया गया है। इस पूरी जमीन पर धीरे-धीरे कब्जा किया जा रहा है।”
दरगाह की ओर इशारा करते हुए वह शख्स कहता है, “कल तक यह चीज यहाँ पर नहीं थी। सार्वजनिक स्थान पर ये चीज बनाई जा रही है। आप लोगों को सोचना है कि ये चीज यहाँ पर रहनी चाहिए या नहीं रहनी चाहिए। ये आप लोगों का निर्णय है।” उसने आम लोगों को चेताया और कहा, “आज यहाँ कब्जा हुआ है। कल आपके घरों पर कब्जा होगा तो आप सोच लीजिए कि आपको क्या करना है। ये गैजन शाह वालिद की दरगाह-वरगाह बनाई गई है। इसका काम अभी भी चल रहा है। अभी भी हमारे पास टाईम है कि समय रहते इसका विरोध किया जाए। अगर बात आगे पहुँच गई तो आप हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे।”
सूत्रों के अनुसार, जिस जमीन पर दरगाह बनी है, पुलिस उसके मालिक की तलाश कर रही है। जब दरगाह के मामले में पुलिस से संपर्क किया गया तो एक अधिकारी ने बताया कि स्वामित्व के रिकॉर्ड से पता चलता है कि जमीन तीन पक्षों की है। एक पक्ष सूरत नगर निगम है, एक सरकारी जमीन है और एक प्राइवेट पार्टी है। वह प्राइवेट पार्टी कौन है, जिसका जिक्र नहीं किया गया। उसको लेकर सूरत पुलिस ने बताया कि जाँच में पाया गया है कि यह 5-6 ट्रस्टियों वाला एक ट्रस्ट है। पुलिस ने कहा कि वे भूमि के स्वामित्व के बारे में अधिक जानकारी के लिए शहरों का सर्वेक्षण कर रहे हैं।
पता चला है कि घनीभाई देसाई, गोरधनभाई चोखावाला, यशवंतभाई शुक्ला, ईश्वरलाल देसाई, चुन्नीभाई भट्ट ट्रस्टी हैं, जो इस जमीन के तीसरे मालिक हैं। कुल मिलाकर हेरिटेज कॉम्प्लेक्स की जमीन के तीन अलग-अलग मालिक हैं। इसका एक हिस्सा सूरत नगर निगम के पास है, कुछ हिस्सा गुजरात सरकार के पास है और कुछ हिस्सा ऊपर बताए गए ट्रस्ट के पास है। यह पता लगाने के लिए कि दरगाह सरकारी अधिकारियों के क्षेत्र में आती है या नहीं इसके लिए शहर के सर्वेक्षण से उस विशेष क्षेत्र के स्वामित्व को जानना होगा। हालाँकि, उपरोक्त जानकारी से तो ऐसा ही लगता है कि वक्फ ने अभी तक इस दरगाह को लेकर कोई दावा नहीं किया है, जबकि कुछ स्थानीय मीडिया रिपोर्टों का दावा है कि यह दरगाह यहाँ कई वर्षों से है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है।
सूरत नगर निगम निकाय वक्फ संपत्ति है
पिछले साल नवंबर में एसएमसी मुख्यालय मुगलिसरा (SMC headquarters Muglisara) को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था। उस वक्त शरिया कानून का हवाला देते हुए राज्य वक्फ बोर्ड ने दावा था कि इस इमारत का इस्तेमाल 17वीं शताब्दी में हज यात्रियों द्वारा किया गया था और इसे एक मुस्लिम शासक द्वारा दान किया गया था। सुप्रीम कोर्ट की इस घोषणा, ‘एक बार वक्फ, हमेशा एक वक्फ’ पर भी भरोसा जताया गया था।