Sunday, November 17, 2024
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‘ज्ञानवापी ढाँचे की जगह भव्य शिव मंदिर जल्द’: इलाहाबाद हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका, खारिज की आपत्ति

दरअसल, रेखा सिंह एवं अन्य महिलाओं ने माता श्रृंगार गौरी की हर दिन पूजा करने की इजाजत कोर्ट से माँगी थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर परिसर का सर्वे हुआ था। सर्वे के दौरान ढाँचे के तहखाने में कई हिंदू प्रतीक मिले। इसके साथ ही एक शिवलिंग भी मिला। मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बताता आ रहा है।

श के विभिन्न धार्मिक स्थलों को मुक्त कराने के लिए अदालत में लड़ाई लड़ रहे हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब वाराणसी के ज्ञानवापी ढाँचे की जगह पर भव्य शिव मंदिर बनेगा। बताते चलें कि ज्ञानवापी ढाँचा (Gyanvapi Masjid) मामले में भी हरिशंकर जैन (Hari Shankar Jain) हिंदू पक्ष के वकील हैं। वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार (31 मई 2023) को ढाँचा परिसर में स्थित माता श्रृंगार गौरी पूजा को लेकर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया।

भगवान विश्वेश्वर के मंदिर को तोड़कर मुगल आक्रांता औरंगजेब (Mughal Invader Aurangzeb) द्वारा बनवाए गए ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर वकील जैन ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि वह दिन दूर नहीं जब वर्तमान ढाँचे को हटा दिया जाएगा और हम (हिंदू समुदाय) वहाँ एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण करेंगे।”

वकील हरिशंकर जैन ने कहा, “353 साल से हिंदू जनता संघर्ष कर रही है और चाहती है कि वहाँ से ढाँचा हटे और भगवान भोलेनाथ प्रकट हों। वहाँ भगवान भोलेनाथ प्रकट हो गए हैं। उनकी भी साइंटिफिक जाँच होगी और मालूम पड़ जाएगा कि वहाँ पर शिवजी हैं।ठ

ज्ञानवापी ढाँचे की जाँच को लेकर उन्होंने आगे कहा, “हमने पूरे-के-पूरे परिसर की वैज्ञानिक जाँच के लिए प्रार्थना-पत्र दिया है और उससे साबित हो जाएगा कि पूरा परिसर हिंदुओं का है। भगवान भोलेनाथ चाहते हैं कि मंदिर बने और हम उसी तरफ आगे बढ़ रहे हैं।”

बताते चलें कि वाराणसी के ज्ञानवापी ढाँचा परिसर में ही माता श्रृंगार स्थित हैं। इनकी पूजा करने को लेकर राखी सिंह के नेतृत्व में 5 महिलाओं ने कोर्ट से अनुमति माँगी थी। हालाँकि, मस्जिद पक्ष से जुड़े अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने इसका विरोध करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High court) ने याचिका दाखिल की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया।

इस अर्जी के खारिज होते ही माता श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की माँग वाली अर्जी पर सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। अब वाराणसी की जिला कोर्ट माता श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की माँग वाली याचिका पर सुनवाई करेगी।हाईकोर्ट के इस फैसले को मुस्लिम पक्ष के लिए बहुत बड़ा झटका माना जाता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जेजे मुनीर की एकल पीठ ने इस मामले में 23 दिसंबर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दिसंबर में ही इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी थी। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जिला जज वाराणसी के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिला जज की अदालत ने मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को खारिज कर दिया था।

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अपनी अर्जी में कहा था कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के उपबंधों के तहत अदालत को वाद सुनने का अधिकार नहीं है। अदालत ने कमेटी की अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

दरअसल, रेखा सिंह एवं अन्य महिलाओं ने माता श्रृंगार गौरी की हर दिन पूजा करने की इजाजत कोर्ट से माँगी थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर परिसर का सर्वे हुआ था। सर्वे के दौरान ढाँचे के तहखाने में कई हिंदू प्रतीक मिले। इसके साथ ही एक शिवलिंग भी मिला। मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बताता आ रहा है।

इसके बाद 18 अगस्त 2021 को इन महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर में माता श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान समेत मौजूद अन्य देवताओं की रोजाना पूजा की इजाजत माँगने के लिए कोर्ट पहुँची। अभी यहाँ साल में एक बार ही पूजा होती है। अब हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज होने के बाद परिसर में स्थित भगवानों की नियमित पूजा पर सुनवाई होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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