उत्तराखंड के हल्द्वानी में शनिवार (31 दिसंबर, 2022) को सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम भीड़ ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन रेलवे की जमीन पर हुए अवैध अतिक्रमण को हटाने के आदेश के खिलाफ हो रहा था। अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन है। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन पर खुद को बेघर करने का आरोप लगाया। हाथों में ली गई तख्तियों में उन्होंने पहले खुद को बसाने की लाइनें लिखी थीं।
सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरों के मुताबिक, शाहीन बाग़ वाले अंदाज में हो रहे इस प्रदर्शन में महिलाओं और बच्चों को आगे कर दिया गया था। ऑल्ट न्यूज़ के कथित फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर द्वारा प्रदर्शनकारियों के समर्थन में शेयर किए गए एक वीडियो से पता चलता है कि लगभग 4500 परिवारों ने रेलवे की जमीन पर अवैध अतिक्रमण कर रखा है, जो अब बेघर होने की दुहाई दे रहे हैं। यहाँ ध्यान रखने योग्य है कि मोहम्मद जुबैर द्वारा शेयर हुए नूपुर शर्मा के एडिटेड वीडियो से देश के अलग-अलग हिस्सों में तनाव का माहौल बन गया था।
It’s time to Speak up for people of Haldwani. Amplifiy their voices. Media is supposed to be the voice of the people, but unfortunately Indian media has become Govt Mouthpiece. Not one Nation Media has reported this protest. #StandWithPeopleOfHaldwani #SpeakUpForPeopleOfHaldwani pic.twitter.com/UW68EHPqVt
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) December 30, 2022
वायरल करवाए जा रहे वीडियो के साथ ट्विटर पर #StandWithPeopleOfHaldwani व #SpeakUpForPeopleOfHaldwani नाम से हैशटैग भी चलाए जा रहे हैं। ज्यादातर वीडियो में लड़कियों को पढ़ाई से वंचित किए जाने व महिलाओं को बेघर होने की दुहाई देते सुना जा सकता है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मंगलवार (27 दिसम्बर, 2022) को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में स्थित गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए थे। इसके लिए न्यायालय ने प्रशासन को सप्ताह भर की समयसीमा दी थी। इसी आदेश में कोर्ट ने प्रशासन से वनभूलपुरा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लाइसेंसी हथियर भी जमा करवाने को कहा था। दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट भी रेलवे की जमीनों पर अतिक्रमण को ले कर चिंता जताते हुए इसे जल्द से जल्द खाली करवाने के आदेश दे चुका है।
1975 से हो रहा कब्ज़ा
एक दावे के मुताबिक, हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्ज़े की शुरुआत साल 1975 से हुई थी। पहले कच्ची झुग्गियाँ बनाई गईं, जो बाद में पक्के निर्माण में तब्दील हो गए। बाद में इसी अवैध कब्ज़े में न सिर्फ इबादतगाहें बल्कि अस्पताल तक बना डाले गए। आरोप है कि यह सब देखने के बाद भी तत्कालीन रेलवे सुरक्षा बल खामोश रहा। साल 2016 में नैनीताल हाईकोर्ट की कड़ाई के बाद रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने अवैध कब्जेदारों के खिलाफ पहला केस दर्ज करवाया, लेकिन तब तक लगभग 50 हजार लोग अवैध तौर पर वहाँ रहना शुरू कर चुके थे।
नैनीताल हाईकोर्ट के साल 2016 में आए आदेश के चलते कब्जेदारों ने लम्बी मुकदमे बाजी की। हालाँकि, वो अपने कब्ज़े का कोई ठोस प्रमाण नहीं पेश कर पाए। बताया जा रहा है कि अवैध कब्जेदारों के खिलाफ डेढ़ दशक पहले भी बड़ा अभियान चलाया गया था। तब भारी फ़ोर्स के साथ सिर्फ कुछ हिस्सों को खाली करवा पाया गया था। इस दौरान कब्जेदारों के घरों के नीचे रेलवे लाइनें तक निकली थीं। कुछ समय की शांति के बाद खाली करवाए गए स्थान पर फिर से अवैध कब्ज़ा हो गया।
कॉन्ग्रेस नेताओं पर अतिक्रमणकारियों के संरक्षण का आरोप
सोशल मीडिया पर सक्रिय अभिषेक सेमवाल ने कॉन्ग्रेस पार्टी पर अवैध कब्ज़ा करने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। अभिषेक के मुताबिक, इसकी शुरुआत दिवंगत कॉन्ग्रेस नेत्री इंदिरा हृदयेश ने की थी जिस राह पर अब उनके बेटे सुमित हृदयेश भी हैं। यहाँ ये जानना जरूरी है कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के खिलाफ और कब्जेदारों के समर्थन में कैंडल मार्च निकाला है।
इंदिरा हृदयेश का निधन हुआ तो उसके बाद उनकी राजनैतिक विरासत संभाली उनके पुत्र सुमित हृदयेश ने
— ABHISHEK SEMWAL (@Abhiisshhek) January 1, 2023
जो विधानसभा चुनाव में हल्द्वानी से जीत विधायक भी बने और इस उनके विधायक बनने में अहम भूमिका निभाई इस वनभूलपुरा गफूर बस्ती ने (10/n) pic.twitter.com/8sTWhpVIck
कोरोना काल में पुलिस में किया था हमला
‘सुदर्शन न्यूज़’ ने 15 अप्रैल, 2022 को एक वीडियो शेयर किया था। इस वीडियो में एक भीड़ को सड़क पर हंगामा करते देखा जा सकता है। ‘सुदर्शन न्यूज़’ ने दावा किया था कि यह भीड़ लॉकडाउन 2 समय की है। तब हल्द्वानी के वनभूलपुरा इलाके में मुस्लिम भीड़ ने सड़कों पर उतर कर न सिर्फ डाक्टरों को बंधक बना लिया था, बल्कि उन्हें बचाने आई पुलिस से भी झड़प की थी।
मुम्बई से कई गुना भयावह हालात उत्तराखंड के हल्द्वानी में.
— Sudarshan News (@SudarshanNewsTV) April 15, 2020
12 अप्रैल को वनभूलपुरा में तोड़ डाला गया #Lockdown2 और डॉक्टरों के साथ पुलिस को भी घेर लिया “नारे तकबीर” का नारा लगाती भीड़ ने.
और – “ये मजदूर नही थे”.@tsrawatbjp @ukcmo @GovtofUK @uttarakhandcops pic.twitter.com/Xa6MqLiwZ4
अपनी कार्रवाई के पीछे रेलवे ने तर्क दिया है कि अवैध कब्ज़े से न सिर्फ विकास में दिक्कत आ रही बल्कि विस्तार भी प्रभावित हो रहा है। रेलवे का यह भी कहना है कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से पहले अतिक्रमण करने वालों को कई नोटिस भेजी गई थी, लेकिन उस पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला और न ही किसी ने खुद से अतिक्रमण हटाया।