Sunday, November 17, 2024
Homeदेश-समाजचंद्रयान-3 के लॉन्च व्हीकल का एक हिस्सा हुआ अनियंत्रित, पृथ्वी की कक्षा में फिर...

चंद्रयान-3 के लॉन्च व्हीकल का एक हिस्सा हुआ अनियंत्रित, पृथ्वी की कक्षा में फिर हुआ दाखिल: ISRO बोला- उत्तर प्रशांत महासागर में गिरेगा

भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 के लॉन्च व्हीकल LVM3 M4 का एक हिस्सा नियंत्रण से बाहर हो और पृथ्वी के वातावरण में फिर से प्रवेश कर गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार (15 नवंबर 2023) को इसकी जानकारी दी। वहीं, सितंबर 2023 में स्लीप मोड में गए लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अब तक सक्रिय नहीं हो पाए हैं।

भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 के लॉन्च व्हीकल LVM3 M4 का एक हिस्सा नियंत्रण से बाहर हो और पृथ्वी के वातावरण में फिर से प्रवेश कर गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार (15 नवंबर 2023) को इसकी जानकारी दी। वहीं, सितंबर 2023 में स्लीप मोड में गए लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अब तक सक्रिय नहीं हो पाए हैं।

ISRO ने बताया कि अनियंत्रित होने वाला हिस्सा लॉन्च व्हीकल के क्रायोजेनिक का ऊपरी हिस्सा था। इसे चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को कक्षा में स्थापित किया था। यही हिस्सा 15 नवंबर 2023 को दोपहर 2:42 बजे पृथ्वी के वातावरण में फिर से दाखिल हो गया है। आशंका है कि यह उत्तर प्रशांत महासागर में गिरेगा।

LVM3 M4 का हिस्सा किस वजह से अनियंत्रित हुआ है, इसके बारे में अभी ISRO ने जानकारी नहीं दी है। इसका फाइनल ग्राउंड ट्रैक भारत के ऊपर से होकर नहीं गुजरा है। इसको देखते हुए माना जा रहा है कि यह उत्तर प्रशांत महासागर में गिरेगा।

ISRO ने अपने बयान में कहा है कि चंद्रयान-3 को लॉन्च किए जाने के 124 दिन बाद NORAD 57321 नाम की यह रॉकेट बॉडी पृथ्वी में फिर से प्रवेश कर गई। चंद्रयान-3 के ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद अपर स्टेज को निष्क्रिय करने की प्रक्रिया से भी गुजारा गया था। रॉकेट में मौजूद प्रोपेलैंट और एनर्जी सोर्स को हटाया गया, ताकि अंतरिक्ष में विस्फोट के खतरे को कम किया जा सके।

बता दें कि 14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोट्टा से प्रक्षेपित किया गया था। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड कर गया था। इस तरह वह चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर लैंडिंग कराने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया था। इसके बाद वहाँ से कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ भेजी गई थीं।

इसके बाद 2 सितंबर को लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान स्लीप मोड में चला गया था। ISRO की लगातार कोशिश के बावजूद भी इन्हें सक्रिय नहीं किया जा सका है। दरअसल, रोवर और विक्रम को पृथ्वी के 14 दिनों के हिसाब से तैयार किया गया था। वैज्ञानिकों ने कहा था कि अगर ये दोबारा सक्रिय होते हैं तो यह बोनस होगा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मुस्लिम घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र में उलझा है झारखंड, सरना कोड से नहीं बचेगी जनजातीय समाज की ‘रोटी-बेटी-माटी’

झारखंड का चुनाव 'रोटी-बेटी-माटी' केंद्रित है। क्या इससे जनजातीय समाज को घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र से निकलने में मिलेगी मदद?

दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत का AAP से इस्तीफा: कहा- ‘शीशमहल’ से पार्टी की छवि हुई खराब, जनता का काम करने की जगह...

दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने अरविंद केजरीवाल एवं AAP पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -