हाथरस की घटना ने देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लोगों को आक्रोशित कर दिया है। मामले की तह तक जाने के लिए हर कोई गहन जाँच की माँग कर रहा है। हालाँकि पीड़ित परिवार ने मामले में सीबीआई जाँच और खुद के नार्को टेस्ट से साफ इनकार किया है।
आजतक की एक पत्रकार से बात करते हुए मृतका की माँ ने मामले की सीबीआई जाँच से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि परिवार सीबीआई जाँच नहीं चाहता है और इसके बजाय वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में एक टीम से जाँच चाहती है।
मृतका की माँ से जब पत्रकार ने पूछा कि क्या हाथरस मामले को देश की प्रमुख जाँच एजेंसी को ट्रांसफर किया जाना चाहिए? तो उन्होंने जवाब दिया, “नहीं, हम नहीं चाहते कि सीबीआई मामले की जाँच करे। हम चाहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में एक टीम इस मामले की जाँच करे।”
बता दें कि कल उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने इस केस से जुड़े सभी पक्षों का नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने का फैसला किया था। लेकिन मृतका की माँ ने इससे इनकार करते हुए कहा कि उनका परिवार नार्को टेस्ट से नहीं गुजरेगा।
मृतका की माँ के इनकार करने पर आजतक के रिपोर्टर ने दुखी माँ पर दबाव बनाते हुए इस बात पर जोर दिया कि नार्को टेस्ट से मामले के छिपे हुए तथ्यों का पता लगाया जाएगा, उसके बावजूद माँ ने जवाब दिया, “हमें नहीं पता कि नार्को टेस्ट क्या है और हम इसे नहीं कराना चाहते हैं।”
वहीं जब पीड़ित परिवार द्वारा दिए गए शुरुआती बयानों के बारे में माँ से पूछा गया, जिसमें उन्होंने सिर्फ हमले के बारे में पुष्टि की थी और यौन उत्पीड़न को लेकर कुछ नहीं कहा था, तो उन्होंने खुद का बचाव करते हुए कहा कि वह इस घटना से बहुत दुखी थी और घबराई हुई थी।
गौरतलब है कि दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हाथरस की कथित सामूहिक बलात्कार पीड़िता की मौत हो गई थी। खबरों के अनुसार, उसके साथ दो सप्ताह पहले कथित तौर पर बलात्कार किया गया था। वहीं लोगों का गुस्सा तब और भड़क गया जब सोशल मीडिया पर यह भ्रामक चलाई गई कि हाथरस पुलिस ने परिवार के सदस्यों की सहमति के बिना लड़की का जबरन अंतिम संस्कार कर दिया। हालाँकि पुलिस ने बाद में खबरों को खरिज करते हुए कहा था कि दाह संस्कार के दौरान मृतका के पिता मौजूद थे।
एडीजी प्रशांत कुमार ने एएनआई से बात करते हुए बताया था कि फोरेंसिक रिपोर्ट मिल गई है और उसके मुताबिक़ लड़की के साथ बलात्कार की घटना नहीं हुई थी। पीड़िता के साथ किसी भी तरह का यौन शोषण नहीं हुआ था। मौत का कारण गला दबाना और रीढ़ की हड्डी में लगी चोटें थीं।
पुलिस ने कहा था कि हमलावरों का विरोध करने के दौरान पीड़िता की जीभ कट गई थी और गला घोंटने की वजह से उसकी रीढ़ पर चोटें आई थी। पीड़िता ने बाद में पुलिस को बताया था कि उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। हालाँकि, यूपी पुलिस ने कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऐसी किसी भी चोट का जिक्र नहीं किया गया है, जिसमे बलात्कार या यौन उत्पीड़न का संकेत दिया गया हो।
वहीं हाथरस मामले में योगी सरकार ने प्राथमिक जाँच की रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन द्वारा बरती गई लापरवाही पर सख्त रुख अपनाते हुए हाथरस के एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर और कुछ अन्य अधिकारियों को निलंबित करने का भी निर्देश दिया था।
उल्लेखनीय है कि यूपी प्रशासन ने मीडिया को अनुमति दे दी है कि वह पीड़ित परिवार वालों से मिलकर बात कर सकते हैं। एसडीएम ने कहा, “इस मामले में एसआईटी की जाँच पूरी हो चुकी है इसलिए मीडिया के लिए लगाई गई पाबंदी भी हटा दी गई है। फ़िलहाल उस इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 लागू है, इसलिए एक समय पर 5 से अधिक मीडियाकर्मी मौजूद नहीं रह सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “अभी वहाँ सिर्फ मीडियाकर्मियों को जाने की अनुमति है। जब प्रतिनिधिमंडल के लिए हरी झंडी दिखाई जाएगी तब हम सभी को प्रवेश करने की अनुमति देंगे। इस तरह के जितने भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि पीड़िता के परिवार वालों के फोन लिए जा चुके हैं या उन्हें घर में बंद करके रखा गया है, यह सभी आरोप बेबुनियाद है।” उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन पर इस तरह के आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने पीड़िता के परिवार वालों के फोन जब्त कर लिए हैं।